Chandra Grahan 2022

Chandra Grahan 2022: हिंदू धर्म में ग्रहण की घटना को बेहद अहम माना जाता है। चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि को लगता है। साल का पहला चंद्रग्रहण 16 मई को लगने जा रहे हैं, यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। इस दिन दो शुभ योग बनने से इस दिन का महत्व बढ़ रहा है। इस दिन वैशाख मास की पूर्णिमा भी है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान करने का विशेष महत्व होता है।

Chandra Grahan 2022: इस दिन बुध पूर्णिमा भी है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। पंचाग के अनुसार इस दिन चंद्र ग्रहण का प्रारंभ सुबह 07 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा। हालांकि भारत में ये चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा। 

ग्रहण को नहीं माना जाता शुभ

Chandra Grahan 2022: मान्यता है कि ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ग्रहण काल में मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। हालांकि साल के पहले सूर्यग्रहण की तरह साल का पहला चंद्रग्रहण भी भारत में नजर नहीं आएगा। जिसके चलते देश में सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण तीन राशि वालों के लिए लाभकारी साबित होगा।

चंद्रग्रहण पर बन रहे ये खास योग

Chandra Grahan 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का पहला चंद्रग्रहण 16 मई को लगेगा। इस दिन सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक वरियान योग रहेगा। मान्यता है कि इस योग में किया गया कार्य सफल होता है। 16 मई की सुबह से अगले दिन रात करीब ढाई बजे तक परिघ योग रहेगा। इस योग में शत्रुओं पर विजय प्राप्त होने की मान्यता है।

वर्ष 2021 में कब-कब बना चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) का संयोग? 

Chandra Grahan 2022: 2021 वर्ष का आखिरी चन्द्रग्रहण 19 मई 2021, शुक्रवार को लगेगा। यह 2021 का दूसरा और आख‍िरी चंद्रग्रहण है। इससे पूर्व 26 मई को इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण लगा था। जो पूरी तरह से लाल रंग का था इसल‍िए उसे सुपरमून या फ‍िर रेड ब्‍लड मून भी कहा जाता है।

Chandra Grahan 2022 क्या है चंद्र ग्रहण?

Chandra Grahan 2022: सर्व विदित है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य के चक्कर लगाती है और चंद्रमा पृथ्वी के। अपनी परीधि में घूर्णन करते हुए जब ये तीनों ग्रह एक सीधी रेखा में आ जाते हैं एवं पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है तब ग्रहण होता है। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की ऐसी स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। एक साल में अधिकतम तीन चंद्र ग्रहण हो सकते हैं। नासा का अनुमान है कि 21वीं सदी में कुल 228 चंद्र ग्रहण होंगे।

Also Read: क्यों मनाया जाता है ‘इंटरनेशनल नर्सेस डे’? जानें इसका इतिहास

कितने प्रकार के चन्द्र ग्रहण होते हैं? (Types of Lunar Eclipse)

Chandra Grahan 2022: मुख्यता चन्द्रग्रहण तीन प्रकार के माने गए हैं एक ग्रहण होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण, एक आंशिक चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण। जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चांद को पूरी तरह से ढक लेती है तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से लाल दिखाई देता है। 

वहीं, जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है और चंद्रमा के कुछ ही भाग पर पृथ्वी की छाया पड़ पाती है, इसे ही आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं। उपछाया चंद्र ग्रहण में सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी उस समय आती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं।

क्या है सतभक्ति?

Chandra Grahan 2022: सतभक्ति मंदिर जाना, उपवास करना और शास्त्रों का अध्ययन करना कतई नहीं है। सतभक्ति है गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहे अनुसार पूर्ण तत्वदर्शी संत की शरण खोजना और उससे अध्याय 17 श्लोक 23 में दिए तीन मन्त्रों को प्राप्त कर उनका जाप करना है। सतभक्ति केवल पूर्ण तत्वदर्शी संत ही समझा सकता है।

वही शास्त्रानुकूल भक्ति बताते हैं और मोक्ष प्राप्त करवाते हैं। याद रखें कि सतभक्ति से केवल मोक्ष प्राप्ति नहीं होगी बल्कि इस लोक के सभी सुख और इन ग्रहण, सूतक, देवी-देवताओं से होने वाले कष्टों से भी राहत मिलती है। राहु-केतु हो या अकाल मृत्यु, पूर्ण तत्वदर्शी संत की शरण में रहने वाला इनकी चपेट में कभी नहीं आता। तत्वदर्शी संत पूरे विश्व में एक समय में एक ही होता है। 

जगतगुरु रामपाल जी से नामदीक्षा लेकर जीवन में आने वाले कष्ट रूपी ग्रहणों से मुक्ति पाएं

वर्तमान में एकमात्र तत्वदर्शी संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं उनसे नाम दीक्षा लेकर अपने हर तरह के असाध्य कष्टों का निवारण करवाएं एवं भक्ति करके मोक्ष का रास्ता चुनें। यह समय विनाशकारी समय है और बिना तत्वदर्शी संत की शरण के जीवन, बिना पानी के कुएं की भाँति है। इस समय तत्वदर्शी संत की शरण में रहकर मर्यादा में भक्ति करने वाले ही मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल

Also Read: Human Rights Day: क्यों मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस?

You May Also Like

Class 10th & 12th Exam: सीबीएसई ने 10वीं-12वीं की परीक्षा को लेकर लिया ये बड़ा फैसला

Table of Contents Hide इन छात्रों को होगा फायदा Class 10th, 12th…

Rishi Parashara: पाराशर ऋषि ने अपनी पुत्री के साथ किया….

पाराशर ऋषि भगवान शिव के अनन्य उपासक थे। उन्हें अपनी मां से पता चला कि उनके पिता तथा भाइयों का राक्षसों ने वध कर दिया। उस समय पाराशर गर्भ में थे। उन्हें यह भी बताया गया कि यह सब विश्वामित्र के श्राप के कारण ही राक्षसों ने किया। तब तो वह आग बबूला हो उठे। अपने पिता तथा भाइयों के यूं किए वध का बदला लेने का निश्चय कर लिया। इसके लिए भगवान शिव से प्रार्थना कर आशीर्वाद भी मांग लिया।

भगवान कौन है?[Bhagwan Kaun Hai]: संत रामपाल जी भगवान है।

Table of Contents Hide भगवान कौन है? दो शक्तियां- सत्य पुरुष और…

Marne Ke Baad Kya Hota Hai: स्वर्ग के बाद इस लोक में जाती है आत्मा!

Table of Contents Hide Marne Ke Baad Kya Hota Hai: मौत के…