Martyr’s-Day

Martyr’s Day: शहीद दिवस हर साल 30 जनवरी महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस या Martyr’s Day के रूप में मनाया जाता है। अनेक वीर भारत की आजादी के लिये लड़े और अपने प्राणों की आहुति दी। महात्मा गांधी की 74 वीं पुण्यतिथि पर पीएम मोदी रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को सम्बोधित करेंगे।

Martyr’s Day: 23 मार्च को भी शहीद दिवस

Martyr’s Day 23 मार्च को भी शहीद दिवस (Martyr’s Day) के रूप में चिह्नित किया जाता है, क्योंकि उस दिन भगत सिंह (Bhagat Singh), राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।

Martyr’s Day
महात्मा गांधी – युवा

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Martyr’s Day: शहीद दिवस कैसे मनाते है?

इस दिन, भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख राजघाट पर बापू की समाधि पर पुष्प श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। शहीदों को सम्मान देने के लिये अंतर-सेवा टुकड़ी और सैन्य बलों के जवानों द्वारा एक सम्मानीय सलामी दी जाती है। इसके बाद, वहाँ एकत्रित लोग राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और देश के दूसरे शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखते हैं।

Martyr’s Day: भारत में शहीद दिवस कब-कब मनाया जाता है?

इन तारीखों पर भी मनाया जाता है शहीद दिवस

इसके अलावा 23 मार्च को भारत के तीन क्रांतिकारियों के बलिदान को याद करने के लिए भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 23 मार्च को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। भारत में कई तारीखों पर शहीद दिवस मनाया जता है, जिसमें 30 जनवरी, 23 मार्च, 21 अक्टूबर, 17 नवम्बर तथा 19 नवम्बर शामिल हैं। इसके अलावा 21 अक्टूबर को पुलिस भी शहीदी दिवस मनाती है। इस दिन केन्द्रीय पुलिस बल के जवान 1959 में लद्दाख में चीनी सेना द्वारा एंबुश में मारे गए थे। तो वहीं 17 नवंबर को ओडिशा में लाला लाजपत राय की स्मृति में शहीद दिवस मनाया जाता है।

“मैंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश के कोने-कोने में राष्ट्रवाद की लहर देखी।”

~ नेताजी सुभाष चंद्र बोस

(एम. गांधी नाथन की किताब ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस : अ मलेशियन पर्सपेक्टिव’ से ।)

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मैंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश के कोने-कोने में राष्ट्रवाद की लहर देखी।

क्यों मनाया जाता है 30 जनवरी को शहीद दिवस

राष्ट्र और उसकी स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी का योगदान बहुत अहम था। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अहिंसा का पाठ भारत ही नहीं दुनिया को पढ़ाया और भारत में राष्ट्र की एकता का निर्माण करने का काम किया। जिसे अंग्रेजों ने तोड़ा था। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद बापू राजनीति से दूर रहे और लोगों के बीच सामंजस्य, शांति और भाईचारे पर काम करना शुरू किया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को शाम की प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में गांधी स्मृति में राष्ट्रपिता की हत्या कर दी गई थी। 30 जनवरी वह दिन है जब महात्मा गांधी शहीद हुए थे और भारत सरकार ने उस दिन को शहीद दिवस या शहीदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।

 Martyr’s Day
Martyr’s Day

पीएम मोदी 30 जनवरी (Martyr’s Day) को करेंगे ‘मन की बात’


पीएम मोदी का यह साल 2022 का पहला रेडियो कार्यक्रम होगा जो कि पूर्वाह्न 11 बजकर 30 मिनट पर होगा। यह कार्यक्रम ऐसे दिन पड़ रहा है, जब देशभर में महात्‍मा की 74वीं पुण्‍यतिथ‍ि मनाई जाएगी। इसे शहीद दिवस (Shaheed Diwas) के रूप में भी मनाया जाता है, जिस मौके पर कई कार्यक्रम देशभर में आयोजित किए जाते हैं। मुख्‍य समारोह दिल्‍ली स्थित महात्‍मा गांधी के समाधि स्थल‍ राजघाट पर आयोजित किया जााता है। ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम का यह 85वां संस्‍करण होगा।

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अन्य तिथियों पर भी देश में मनाए जाते हैं Martyr’s Day


हालाँकि भारत में राष्ट्र के दूसरे शहीदों को सम्मान देने के लिये एक से ज्यादा शहीद दिवस मनाए जाते हैं

लाला लाजपत राय (पंजाब के शेर के नाम से मशहूर) की पुण्यतिथि को मनाने के लिये उड़ीसा में ‘शहीद दिवस’ के रुप में 17 नवंबर के दिन को मनाया जाता है।
22 लोगों की मृत्यु को याद करने के लिये भारत के जम्मू और कश्मीर में शहीद दिवस के रुप में 13 जुलाई को भी मनाया जाता है। वर्ष 1931 में 13 जुलाई को कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के समीप प्रदर्शन के दौरान रॉयल सैनिकों द्वारा उनको मार दिया गया था। (Martyr’s Day)
झाँसी राज्य में (रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिवस) 19 नवंबर को भी शहीद दिवस के रुप में मनाया जाता है। ये उन लोगों को सम्मान देने के लिये मनाया जाता है जिन्होंने वर्ष 1857 की क्रांति के दौरान अपने जीवन का बलिदान कर दिया।
21 अक्टूबर पुलिस द्वारा मनाया जाने वाला शहीद दिवस है। केन्द्रीय पुलिस बल के जवान 1959 में लद्दाख में चीनी सेना द्वारा घात लगाकर मारे गए थे।।


Martyr’s Day: शहीद दिवस के लिए उद्धरण, नारे व संदेश


Martyr’s Day: शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाक़ी निशाँ होगा – जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’
मानवता की महानता मानव होने में नहीं, बल्कि मानवीय होने में है – महात्मा गांधी


मैं जला हुआ राख नहीं, अमर दीप हूँ जो मिट गया वतन पर मैं वो शहीद हूँ
वतन की मोहब्बत में खुद को तपाये बैठे है, मरेंगे वतन के लिए शर्त मौत से लगाये बैठे हैं।
भगवान का कोई धर्म नहीं है – महात्मा गांधी


परमात्मा कबीर साहेब जी ने किया है वीरों का गुणगान
कबीर, या तो माता भक्त जनै, या दाता या शूर |

या फिर रहै बांझड़ी, क्यों व्यर्थ गंवावै नूर ||

सत्य साधक, दानवीर, शूरवीर को जन्म देने वाली माताएँ धन्य होती हैं। कबीर साहेब जी ने कहा है कि जननी भक्त को जन्म दे जो शास्त्र में प्रमाण देखकर सत्य को स्वीकार करके असत्य साधना त्यागकर अपना जीवन धन्य करे। या किसी दानवीर पुत्र को जन्म दे जो दान-धर्म करके अपने शुभ कर्म बनाए। या फिर शूरवीर बालक को जन्म दे जो परमार्थ के लिए कुर्बान होने से कभी न डरता हो। सत्य का साथ देता हो, असत्य तथा अत्याचार का विरोध करता हो। यदि अच्छी सन्तान उत्पन्न न हो तो स्त्री का बांझ रहना ही उत्तम है।

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संत रामपाल जी महाराज ने बनाया स्वच्छ समाज


निश्चित ही वीर होना सरल नहीं है बल्कि यह तो सरलता का विलोम हुआ। क्या आपने ऐसे समाज की कल्पना की है जिसमें किसी भी माता को अपना पूत न खोना पड़े? ऐसी धरती जिसमें धर्म, जाति, देश, सीमा के बंधन न हों? मानवता की नींव पर निर्णय लिए जाएं? जी ऐसा ही समाज संत रामपाल जी महाराज बना रहे हैं। ऐसा समाज जहाँ स्त्री निडर होकर घूम सके, जहाँ अपराध शून्य हो जाएं, पृथ्वी नशामुक्त हो जाए, स्त्री पुरुष बराबरी पर आ खड़े हों और मानवता सबसे बड़ा धर्म हो।

ज्ञान युद्ध पूरी दुनिया के पाखंड को उखाड़ फेंकेगा


इस समाज का आरंभ हो चुका है तथा लाखों वर्षों से भविष्यवक्ता भी ऐसे समय और ऐसी परिस्थितियों की ओर इशारा करते रहे हैं जो एक सन्त के माध्यम से लाई जाएंगी। ये सभी भविष्यवाणियां संत रामपाल जी महाराज पर खरी उतरती हैं। क्या आपने कल्पना की है कि मानवता के साथ ही इस पूरी पृथ्वी पर वीर हों जो लड़ें अत्याचार से, असत्य से, पाखंड से? यह लड़ाई भी आरम्भ हो चुकी है। आरम्भ हो चुका है एक ज्ञानयुद्ध का जो पूरी दुनिया के पाखंड और पूर्ण तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज के सही आध्यात्मिक ज्ञान के बीच है। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।

गरीब, पतिब्रता चूके नहीं, साखी चन्द्र सूर |

खेत चढ़े सें जानिए, को कायर को सूर ||

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