International Sloth Day

International Sloth Day

संस्था ने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ( IUCN) को प्रस्ताव दिया कि स्लॉथ भालू प्रजाति के संरक्षण के लिए 12 अक्टूबर को "वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे" घोषित किया जाए।

पहले वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे का उद्घाटन वाइल्डलाइफ एसओएस और आईयूसीएन-एसएससी की टीम 12 अक्तूबर को आगरा के कीठम स्थित भालू संरक्षण केंद्र में की। यह इस भालू की प्रजाति का दुनिया का सबसे बड़ा संरक्षण और पुनर्वास केंद्र है, जिसकी स्थापना 1999 में उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा की गई थी। 

उदबिलाव जैसा दिखने वाला जानवर है स्लाथ. जिसे दुनिया का सबसे काहिल, आलसी, सुस्त जो चाहिए कह लीजिए. दिन भर लेटा रहता है. एक कदम भी चलना उसे बहुत भारी लगता है. देखने में क्यूट तो बहुत लगता है लेकिन बस एक ही जगह उल्टा लटका रहता है. पत्तियां खाता है. ज्यादा हिलता डुलता भी नहीं. उसका पाचन तंत्र इतना सुस्त है कि दुनिया में शायद किसी जीवजंतु का हो.

गर्दन में 10 नेक वेरटेबर होते हैं जिनसे आप अपनी गर्दन को काफी पीछे तक घुमा सकते हैं. स्लॉथ अपनी गर्दन 270 डिग्री तक घुमा सकता है.

स्लॉथ भालू दुनिया भर में पाई जाने वाली आठ भालू की प्रजातियों में से एक है। उन्हें लंबे, झबरा गहरे भूरे या काले बाल, छाती पर सफेद ‘वी’ की आकृति और चार इंच लंबे नाखून से पहचाना जा सकता है, जिनका उपयोग वह टीले से दीमक और चींटियों को बाहर निकालने के लिए करते हैं। ये भालू भारतीय उपमहाद्वीप में तटीय क्षेत्र, पश्चिमी घाट और हिमालय बेस तक फैले हुए हैं।

भारत में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के भालुओं के संरक्षण के लिए 12 अक्तूबर को वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे मनाया जाएगा। इसकी शुरुआत आगरा से होगी। कीठम स्थित भालू संरक्षण केंद्र में पहला वर्ल्ड स्लॉथ बेयर डे मनाया जाएगा। स्लॉथ भालू मुख्य रूप से भारत में पाई जाने वाली एक अनोखी प्रजाति है। इस प्रजाति के कुछ भालु नेपाल में और एक उप-प्रजाति श्रीलंका में पाई जाती है, जिस कारण भारत इस प्रजाति के भालुओं का मुख्य गढ़ माना जाता है।