World Heart Day
World Heart Day


World Heart Day: हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस पुरी दुनिया मे मनाया जाता है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन द्वारा वर्ल्ड हार्ट डे मनाने की शुरुआत हुई। यह एक वैश्विक अभियान है जिसके माध्यम से लोगों को यह बताया जाता है कि हृदय रोग (सीवीडी) से कैसे बचा जा सकता है। वर्ल्ड हार्ट डे हर साल नई थीम के साथ मनाया जाता है।

आजकल इस तरह की खबरें बहुत आम हैं कि किसी को नाचते हुए हार्टअटैक आ गया या जिम में एक्सरसाइज करते समय कार्डिएक अरेस्ट हो गया या कोई रात में सोया तो सुबह उठ ही नहीं पाया क्योंकि नींद में ही उसका दिल बंद हो गया।

ऐसे में प्रशन उठना स्वाभाविक है कि क्या हमारा दिल इतनी अचानक ही बंद हो जाता है या हमारी धड़कनें रूकने से पहले हमारा दिल कुछ संकेत देता है? तो इस वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए क्या है वो लक्षण जो दिल के बीमार होने का संकेत देते हैं, अगर हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट हो जाए तो चिकित्सीय सहायता पहुंचने से पहले फर्स्ट एड के कौन-कौनसे विकल्प उपलब्ध हैं। हमारा दिल धड़कता रहे और हमारी सांसे चलती रहें, इसके लिए कौन-कौनसे जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं।

World Heart Day: विश्व हृदय दिवस क्यों मनाया जाता है ?

World Heart Day: इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य हृदय रोग, इसकी रोकथाम और दुनिया भर के लोगों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। हृदय रोग और स्ट्रोक सहित सीवीडी हर साल 17.9 मिलियन लोगों के जीवन का दावा करता है। इस तथ्य को देखते हुए, यह दिन उन कार्यों पर प्रकाश डालता है जो व्यक्ति सीवीडी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कर सकते हैं। यह दिवस हर साल एक थीम के साथ मनाया जाता है।

World Heart Day: विश्व हृदय दिवस का महत्‍व

World Heart Day: दुनियाभर में हर साल करीब 17 मिलियल लोग हृदय रोग (सीवीडी) की वजह से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं. इन मौतों का प्रमुख कारण कोरोनरी हार्ट डिजीज या स्ट्रोक रहा है. सीवीडी के बारे में एक आम गलत धारणा यह है कि यह विकसित देशों में अधिक लोगों को प्रभावित करता है, जो प्रौद्योगिकी पर अधिक निर्भर हैं और गतिहीन जीवनशैली जी रहे हैं, जबकि 80% से अधिक मौतें मध्यम आय और निम्न आय वाले देशों में होती हैं.

World Heart Day: विश्व हृदय दिवस का इतिहास

World Heart Day: विश्व स्वास्थ्य दिवस की स्थापना पहली बार 1999 में वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (WHF) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से की थी। एक वार्षिक आयोजन का विचार 1997-2011 तक वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अध्यक्ष एंटोनी बेयस डी लूना द्वारा कल्पना की गई थी।

World Heart Day
World Heart Day

पहले मूल रूप से विश्व हृदय दिवस सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता था। पहला वर्ल्ड हार्ट डे 24 सितंबर 2000 को मनाया गया था। लेकिन विश्व के नेताओं ने वैश्विक मृत्यु दर को 25 प्रतिशत तक कम करने के लिए 2012 में वर्ल्ड हार्ट डे हर साल 29 सितंबर को मनाने का फैसला किया। तब से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है।

दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षण हृदय रोग पूरे विश्व में मृत्यु का सबसे प्रमुख कारण हैं। हृदय रोगों में हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के मामले सबसे अधिक देखे जाते हैं। हृदय और रक्त परिसंचरण तंत्र की कई छोटी-बड़ी समस्याएं इनका कारण बनती हैं, इसलिए इन समस्याओं से संबंधित संकेतों की पहचान बहुत महत्वपूर्ण है।

Read in English | World Heart Day: Keep Your Heart Healthy by doing this

World Heart Day: सांस फूलना

World Heart Day: सीढ़ियां चढ़ते हुए अक्सर सांस फूलने लगती है, इसे चिकित्सीय भाषा में डिस्पनोइया कहते हैं। अगर लगातार सांस फूलने की समस्या हो या कड़े शारीरिक परिश्रम के बिना ही सांस फूलने लगे तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसका कारण एनजाइना, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और हृदय की असामान्य धड़कनें हो सकता है।
क्योंकि जब हृदय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है तो वह उतनी मात्रा में रक्त पंप नहीं कर पाता जितनी शरीर को आवश्यकता होती है, इसकी प्रतिक्रिया शरीर तेज-तेज सांस लेकर देता है ताकि शरीर के अंदर ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन आ सके।

क्या करें अगर वज़न अधिक है तो

World Heart Day: अपना वज़न कम करें, मोटापे के कारण भी सांस फूलने लगती है और हृदय पर दबाव भी बढ़ता है। संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, ताकि शरीर में रक्त का संचरण बेहतर रूप से हो सके। अगर समस्या गंभीर है तो तुरंत जांच कराएं, हृदय रोगों ही नहीं, अस्थमा, एंक्जाइटी, कैंसर, छाती का संक्रमण, फेफड़े में रक्त का थक्का बन जाना आदि के कारण भी सांस फूलने की समस्या हो सकती है।

कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक होना हार्ट अटैक का सबसे प्रमुख कारण है। इसके कारण धीरे-धीरे रक्त वाहिनियों में वसीय पदार्थ जमा होने लगता है जो रक्त के प्रवाह को अवरूद्ध करता है। अगर एक दशक तक शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक रहता है तो हृदय रोगों की आशंका 35-40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। धमनियों की खराबी के कारण हृदय में दर्द होने लगता है जिसे एनजाइना कहते हैं। हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट का खतरा भी अत्यधिक बढ़ जाता है।

World Heart Day: क्या करें अपने खानपान में

फल, सब्जियों, साबुत अनाजों और मछलियों को अधिक मात्रा में शामिल करें।
फल, सब्जियों, साबुत अनाजों और मछलियों को अधिक मात्रा में शामिल करें।

World Heart Day: फल, सब्जियों, साबुत अनाजों और मछलियों को अधिक मात्रा में शामिल करें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। धुम्रपान और शराब का सेवन न करें। नियमित अंतराल पर कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच कराते रहें। कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए दी गई दवाईयां बिना डॉक्टर की सलाह के लेना बंद न करें।

World Heart Day: उच्च रक्तदाब

World Heart Day: रक्तदाब को नियंत्रण में रखना हृदय रोगों से बचने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। उच्च रक्तदाब हृदय से संबंधित समस्याओं के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है, क्योंकि रक्तदाब अधिक होने से हृदय को शरीर में रक्त को धकेलने में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है।

इससे हृदय का आकार बड़ा हो सकता है और धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका बढ़ जाती है। क्या करें अपने रक्तदाब को नियंत्रित रखें। नमक का सेवन कम करें और अपनी दवाईयां ठीक समय पर लें। अनुशासित जीवनशैली का पालन करें। तनाव से बचें। नियमित रूप से योग और एक्सरसाइज करें।

और पढ़ें: शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने वाले हैं ये 5 Foods

World Heart Day: शूगर का अनियंत्रित स्तर

World Heart Day: टाइप-1 और टाइप-2 दोनों ही डायबिटीज़ हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देती हैं। रक्त में शूगर का अनियंत्रित स्तर रक्त नलिकाओं को संकरा बना देता है जिसके कारण कोरोनरी आर्टरी डिसीज का खतरा बढ़ जाता है। धमनियों की खराबी हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट का कारण बन सकती है।

जर्नल ऑफ दी अमेरिकन हार्ट असोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, डायबिटीज के 80 प्रतिशत लोगों में हृदय रोगों का खतरा होता है। क्या करें शारीरिक सक्रियता रक्त में की अतिरिक्त शूगर को जलाने का सबसे अच्छा तरीका है, इसलिए लगातार बैठे न रहें, जब भी अवसर मिले खड़े हो जाएं।

सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनिट अपना मनपसंद वर्कआउट जरूर करें। सही डाइट और दवाईयां भी रक्त में शूगर के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायता करती हैं। छाती में दर्द होना हम दिल में दर्द को सीधे महसूस नहीं कर सकते हैं, ये छाती में दर्द के द्वारा महसूस होता है।

हृदय रोगों के कारण छाती में होने वाले दर्द को एनजाइना कहते हैं। एनजाइना तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति नहीं होती है। इसके कारण हृदय में दबाव महसूस होता है, ऐसा लगता है कोई हृदय को भींच रहा है। एनजाइना अपने आपमें कोई रोग नहीं है बल्कि कोरोनरी हार्ट डिसीज़ का एक संकेत है। हार्ट अटैक में छाती में दर्द के साथ दूसरे कईं अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं।

World Heart Day: हार्ट अटैक से पहले के लक्षण

  1. बैचेनी महसूस होना
    कई बार लोगों को अचानक से बैचेनी सी होने लगती है लेकिन वो इसे नॉर्मल समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन रात या सुबह के समय अगर आपका मन बैचेन सा होने लगता है तो सावधान हो जाएं। ऐसे में तुरंत किसी डॉक्टर के पास जावे।
  2. सीने में दर्द महसूस होना
    सीने में दर्द होना हार्ट अटैक का सबसे बड़ा लक्षण है इसलिए पेट और सिर की तरह सीने के दर्द को अनदेखा न करें। छाती पर भारीपन, जकड़न और दबाव जैसा अगर महसूस हो रहा है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और समय रहते इसका इलाज करवाएं।

और पढ़ें: Health Benefits Of Giloy juice

  1. अचानक पूरे शरीर में पसीना आना
    गर्मी नहीं है और फिर भी आपका शरीर पसीने से भिगा हुआ है तो सर्तक हो जाएं। सुबह और रात में ठंडा पसीना आना हार्ट फेलियर का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाएं, जिससे समय रहते आपका इलाज शुरू हो सके।

ये भी पढ़ें: UPI payment करते समय इन बातों का रखें ध्यान, वर्ना होगा भारी नुकसान

  1. अधिक थकान होना या सांस फूलना
    थकान लगने का कारण हम अधिक काम को मान लेते हैं लेकिन कई बार ये हमारे दिल का सिग्नल भी होता है। दरअसल, जब दिल की किसी नली में इंफेक्शन या सूजन आ जाता है तब शरीर में थकान महसूस होने लगती है। यह लक्षण दिल के कमजोर होने का है। वहीं अगर कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करने पर सांस फूलने लगती है तो इसे भी अनदेखा न करें। सांस फूलना हार्ट अटैक की सबसे बड़ी चेतावनी है। तो समय रहते अपने दिल की बातों और लक्षणों को समझें और डॉक्टर से सलाह लें।

युवाओं में क्यों ज़्यादा देखे जा रहे हैं दिल की बीमारी के मामले?

भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों मे ह्रदय से सम्बंधित बीमारियों का प्रकोप हाल के समय में काफ़ी ज्यादा बढ़ गया है। दिल से सम्बन्धित बीमारियों की वजह से भारत में मौतें ज्यादा हो रही हैं। कोविड-19 के बाद यह स्थिति और भी ज्यादा भयानक हो गई है।

अब युवा लोगों में भी सडन कार्डिएक अरेस्ट और एक्यूट हार्ट अटैक ज्यादा देखने को मिल रहा है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रॉल, स्मोकिंग, मोटापा और स्ट्रेस से ह्रदय से सम्बन्धित बीमारियां ज्यादा हो रही हैं। यह समय की मांग है कि ह्रदय के स्वास्थ्य को ज्यादा महत्त्व दिया जाए और इससे सम्बन्धित बीमारियों के बारे में ज्यादा जागरूक रहा जाए और स्वस्थ लाइफस्टाइल को अपनाया जाए।


दिल की बीमारी से बचने के लिए क्या करें?

नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में कार्डिएक साइंसेज़ के चेयरमैन, डॉ. अजय कौल ने बताया कि अगर कोविड होने के बाद आप कार्डिएक संबंधी समस्या से जूझ रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप बहुत थका देने वाले व्यायाम नहीं करें। बॉडी बिल्डिंग या किसी भी तरह की एक्सरसाइज़ शुरू करने या सप्लीमेंट्स लेने से पहले मेडिकल प्रोफेशनल से सलाह अवश्य कर लें। कोई भी दवा लेने से पहले व्यक्ति को डॉक्टर से सलाह अवश्य करनी चाहिए क्योंकि इसके कारण खून के गाढ़ा होने की समस्या शुरू हो सकती है।

ये भी पढ़ें: महिलाएं घर पर ही सिर्फ 10 मिनट करें ये 5 वर्कआउट

स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना हमेशा ही अच्छा रहता है। जिसमें धूम्रपान से परहेज़, नियमित तौर पर व्यायाम करना, अधिक मात्रा में फ्लुइड्स का सेवन करना, अधिक तनाव वाले ऐसे व्यायाम नहीं करना जिनसे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, शामिल है।

नियमित रूप से ऐसे भोजन करें जिससे शरीर को पूरा पोषण मिले। साथ ही जंक फूड से परहेज़ करें और योग जैसे व्यायाम करें। जिम ट्रेनर्स इतने अनुभवी या योग्य नहीं होते हैं कि वे हैवी वर्कआउट कराते हुए आपकी रक्षा भी कर सकें। गंभीर कार्डिएक बीमारियों से पीड़ित लोगों को हैवी वर्कआउट से बचना चाहिए।


हृदय से संबंधित समस्या जैसे कार्डियोमायोपैथी या हाइपरट्रोफिक कार्डियोमायोपैथी के कारण हैवी वर्कआउट के दौरान मौत होने की आशंका बढ़ जाती है। कुछ अन्य कंडीशंस भी इसके लिए ज़िम्मेदार होती हैं जैसे कॉन्जेनिटल हार्ट डिज़ीज़ जिनकी ओर ध्यान नहीं जाता है या फिर उनके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। ये सिर्फ भारी-भरकम व्यायाम की परिस्थितियों में ही दिखते हैं।
सडन कार्डिएक डेथ के मामले बढ़ने की एक वजह बढ़ता मानसिक तनाव और दिनभर बैठी रहने वाली जीवनशैली भी है जिसका आजकल युवाओं में काफी चलन है और इसकी वजह से उनकी दैनिक दिनचर्या भी प्रभावित होती है।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. News Time Free इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

You May Also Like

Class 10th & 12th Exam: सीबीएसई ने 10वीं-12वीं की परीक्षा को लेकर लिया ये बड़ा फैसला

Table of Contents Hide इन छात्रों को होगा फायदा Class 10th, 12th…

Rishi Parashara: पाराशर ऋषि ने अपनी पुत्री के साथ किया….

पाराशर ऋषि भगवान शिव के अनन्य उपासक थे। उन्हें अपनी मां से पता चला कि उनके पिता तथा भाइयों का राक्षसों ने वध कर दिया। उस समय पाराशर गर्भ में थे। उन्हें यह भी बताया गया कि यह सब विश्वामित्र के श्राप के कारण ही राक्षसों ने किया। तब तो वह आग बबूला हो उठे। अपने पिता तथा भाइयों के यूं किए वध का बदला लेने का निश्चय कर लिया। इसके लिए भगवान शिव से प्रार्थना कर आशीर्वाद भी मांग लिया।

भगवान कौन है?[Bhagwan Kaun Hai]: संत रामपाल जी भगवान है।

Table of Contents Hide भगवान कौन है? दो शक्तियां- सत्य पुरुष और…

Marne Ke Baad Kya Hota Hai: स्वर्ग के बाद इस लोक में जाती है आत्मा!

Table of Contents Hide Marne Ke Baad Kya Hota Hai: मौत के…