भगवान कौन है?
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आज हम जानते हैं भगवान कौन है? [Bhagwan Kaun Hai] भगवान कैसा है? भगवान कहां रहता है? भगवान को किसने देखा है? क्या भगवान है? भगवान साकार है क्या? भगवान निराकार है? भगवान कैसा दिखता है? भगवान से कैसे मिल सकते हैं? भगवान को कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

इतने सारे धर्मों की स्थापना कैसे हुई। जाति और धर्म के नाम पर अनेक संप्रदाय बन गये। अनेक धर्म भी बन गये। लेकिन वह एक भगवान कौन है जो हर जीव का उत्पत्ति करता है फिर चाहे वह इंसान हो या जानवर हो। सभी आत्माओ का जनक एक है जिसे प्राप्त करने के लिए किसी धर्म विशेष की अवश्यकता नही।

हर धर्म अपने ईश्वर को सर्वोच्च और सृष्टिकर्ता मानता है लेकिन सच क्या है? मुस्लिमों का अल्लाह, खुदा सबसे बड़ा है या हिंदुओ का निराकार ब्रह्म? या फिर ब्रह्मा,विष्णु शंकर से बड़ा कोई नहीं है ? सिक्ख धर्म मे गुरु नानक जी को ही वाहेगुरु कहकर सर्वोच्च स्थान दिया गया है और ईसाइयो के लिए यीशु ही भगवान के बेटे है? पर आखिर कौन है सबसे बड़ा ईश्वर और कितने है ईश्वर?

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जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू,मुस्लिम, सिख्ख,ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा। |

तो आईये हम जानते है की कौन है वह सबसे बड़ा भगवान, जिसे चाहे अल्लाह कहो, सबसे बड़ा GOD कहो, सच्चा वाहेगुरु कहो या सबसे बड़ा भगवान कहो। आईये हम यह भी जाने की जब भगवान एक है तो फिर यह धर्मों का बंटवारा कैसे हुआ ।

भगवान कौन है? दो शक्तियां- सत्य पुरुष और काल ब्रह्म

दो सुप्रीम शक्ति है। इस संसार में दो शक्तियां अपना अलग अलग कार्य कर रही है जिसमें एक ज्योति निरंजन “काल ब्रह्म” है! वेदांती उसे निराकार ब्रह्म भी कहते है। मुसलमान उसी को बेचून (निराकार) अल्लाह कहते है। ईसाई उसे Formless (निराकार) God कहते हैं।

भगवान कौन है? सबसे बड़ा भगवान कोंन

दूसरी शक्ति “सत्य पुरुष” है जिसको गीता जी में परम अक्षर पुरुष, सच्चिदानंद घन ब्रह्म, दिव्य परम पुरुष, तत् ब्रह्म कहा है। असंख्य ब्रह्माण्डो में जितने भी प्राणी है यह सब सत्य पुरुष जी की आत्माएं हैं। जो सतलोक में रहते थे वहाँ से अपनी अल्प बुद्धि के कारण काल ब्रह्म के साथ यहाँ आ गए।

वहाँ सतलोक मे सर्व सुख थे, ना वृद्ध अवस्था थी और ना ही मौत थी। पाँच तत्व का शरीर भी नहीं था! यह सृष्टि तो ऐसी ही है पाँच तत्व से बनी है लेकिन वहाँ सतलोक मे एक तत्व, नूर तत्व से बनी सृष्टि है। यहाँ नाशवान है वहाँ अविनाशी है।

भगवान कौन है? परमात्मा कैसा है?

पूर्ण परमात्मा सत्य पुरुष स्वयं कबीर जी है। उनके मनुष्य स्वरूप शरीर का नाम कबीर है। वेदों ने इन्हे कविर्देव (कबीर) कहा है। कुरान शरीफ ने इन्हे कबिरन् खबिरन् अल्लाह अकबर कहा है! कबीर परमेश्वर जी चाहते है कि सर्व जीव मेरे ज्ञान को समझे और मेरे द्वारा बताई शास्त्रानुकुल भक्ति साधना करे। इसलिए वह पूर्ण परमात्मा कबीर जी सतलोक से गति करके यहाँ आते हैं।

अपनी आत्माओं को ज्ञान समझाकर काल ब्रह्म के जाल से परिचित कराते हैं।

भगवान कौन है? ईश्वर हमें दिखाई क्यों नहीं देते?

भगवान इस सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है परंतु कई लोग ये तर्क देने लगते हैं कि भगवान इस सृष्टि के कण-कण में है तो वे दिखाई क्यों नहीं देते। जो लोग ऐसा सोचते हैं उनके लिए मैं यही कहना चाहूंगा कि भगवान तो सब जगह हैं और दिखाई भी देते हैं।

मगर जिन लोगों की आंखों पर अहंकार और अज्ञान की पट्टी बंधी हुई है भगवान उनके घर भी आ जाए तो वे उन्हें पहचान नहीं पाएंगे। क्योंकि भगवान को पहचानने के लिए निर्मल मन और ज्ञान की आंखों की जरूरत होती है। अज्ञान के प्रभाव से मनुष्य का मन दूषित हो जाता है और जिस तरह गंदे पानी में आपकी अपनी छवि दिखाई नहीं देती ठीक वैसे ही दूषित मन से भगवान को नहीं देखा जा सकता।

यहां मुख्य चार धर्म है सभी धर्म को भगवान ने अपना सच्चा ज्ञान दिया है भगवान से कैसे मिला जा सकता हैं? उसे कैसे पाया जा सकता है? उसकी विधि हमारे धार्मिक ग्रंथों में है धार्मिक ग्रंथों का सार संत रामपाल जी महाराज विस्तार से बताते हैं। वेदो ग्रंथों को समझने के लिए हमें तत्वदर्शी संत की आवश्यकता होती है।

यह भी पढ़ें : कलयुग के अंत में क्या होगा?

तत्वदर्शी संत ही हमें भगवान से मिला सकता है वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज है जो हमें हमारे सभी वेदो ग्रंथों का ज्ञान को विस्तार से बता कर सही मंत्र विधि देकर देते हैं जिन मंत्रों का जाप करके हम सच में भगवान को प्राप्त कर सकते हैं.

भगवान कौन है? भगवान का रूप क्या है ?

भगवान का रूप होता है भगवान सशरीर और साकार है हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार भगवान साकार ओर् सशरिर है मनुष्य के शरीर जैसा ही भगवान का सशरीर है मनुष्य के शरीर जैसा है जैसा ही शरीर है भगवान का शरीर एक तत्व का बना हुआ है।

किस तरह अलग-अलग जगह अलग-अलग ज्ञान प्रचार किया?
चारों वेदो का ज्ञान काल ने सर्वप्रथम दिया था। चारों वेदो का ज्ञान अर्थात संक्षिप्त रुप श्रीमद्भगवद्गीता है। उसके पश्चात दाऊद जी को जबुर किताब वाला ज्ञान दिया।

भगवान कौन है? भगवान का रूप क्या है ?

इसमे सृष्टि की उत्पत्ति का आंशिक ज्ञान दिया। इसके पश्चात मूसा जी को तौरेत वाला ज्ञान या तथा इसके पश्चात ईसा जी को इंजिल पुस्तक का ग्यान दिया। फिर बाद मे कुरान शरीफ वाला ज्ञान हजरत मोहम्मद जी को दिया। मूसा जी के अनुयाई यहुदी कहलाते है और ईसा जी के ईसाई।

यह जरूर पढ़ें : भगवान एक- फिर कैसे बन गए धर्म अनेक

यहां पर मुसलमानों का विधान गलत सिद्ध होता है मोहम्मद जी के अनुयाई मुसलमान कहलाते है। यह उपरोक्त सभी बाबा आदम को अपना प्रथम पुरुष अर्थात सब आदमियो का पिता मानते है।

ये मानते है की जब तक सृष्टि चलेगी तब तक सर्व मानव मरते रहेंगे उनको कब्र में दबाते चलो। जिस समय कयामत (प्रलय) आयेगी उस समय सब व्यक्ति स्त्री पुरुष कब्र से निकलकर जीवित किये जायेंगे।

उनके कर्मों का हिसाब होगा जिन्होने चार कतेबो (पुस्तको) मे लिए अल्लाह के आदेश अनुसार कर्म किये है वे जन्नत (स्वर्ग) मे रहेंगे। इसके पश्चात यहाँ की सृष्टि सदा के लिए नष्ट हो जायेगी।

भगवान कौन है? वर्तमान में कौन है सत्यपुरुष का धरती पर अवतार?

वह संत रामपालजी महाराज है जो पूर्ण परमात्मा के अंश बनकर आये है, एक संदेश वाहक के रुप मे जीव आत्माओं को सच्चा और शास्त्रानुकूल ज्ञान समझाकर पूर्ण परमात्मा की जानकारी करा रहे हैं और काल ब्रह्म से भी हमें परिचित करा रहे है।

यही वो सत्यपुरुष कबीर जी का स्वरुप है जिसने छ:दिन मे सृष्टि रची और सातवें दिन तख्त पर जा विराजा! संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाए।

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