17 फरवरी बोध दिवस: सतगुरु रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के पवित्र अवसर पर आइए सब मिलकर 17 फरवरी को परम संत सतगुरु रामपाल जी महाराज के बारे में जाने और उनके सतमार्ग पर चलकर अपना, अपने परिवार और समाज का कल्याण कराने का वायदा करें…
17 फरवरी बोध दिवस एक ऐसे महान संत का बोध दिवस है जिसने दहेज मुक्त, नशा मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, व्याभिचार मुक्त समाज का निर्माण करते हुए सतज्ञान की सुगन्ध को पूरे विश्व में फैलाने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने मानव जीवन का लक्ष्य सतगुरु की छत्रछाया में समग्रता से जीते हुए दुष्कर्म त्यागने और परमात्मा का ध्यान सुमरण प्रभु गुणगान करके काल जाल से मुक्त होकर अपनी उच्चतम संभावना को प्राप्त करने का संदेश दिया है।
कबीर परमेश्वर जी को साक्षी लेकर सतगुरु ने बताया है कि हे भोले मानव! मुझे आश्चर्य है कि बिना गुरू से दीक्षा लिए किस आशा को लेकर जीवित है। जिनको यह विवेक नहीं कि भक्ति बिना जीव का कहीं भी ठिकाना नहीं है तो वे नर यानि मानव नहीं हैं, वे तो पत्थर हैं-
बिन उपदेश अचम्भ है, क्यों जिवत हैं प्राण।
भक्ति बिना कहाँ ठौर है, ये नर नाहीं पाषाण।।
न तो शरीर तेरा है, यह भी त्यागकर जाएगा। फिर सम्पत्ति तेरी कैसे है? इसलिए जीवन के बचे हुए पलों में शुद्ध अंतःकरण से भक्ति करो-
कबीर, काया तेरी है नहीं, माया कहाँ से होय।
भक्ति कर दिल पाक से, जीवन है दिन दोय।।
आध्यात्मिक दृष्टि से वह मनुष्य जो पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति नहीं करता है तो उसको चाहे पूरी पृथ्वी का राज्य ही क्यों नहीं मिल जाए लक्ष्यहीन सिद्ध होकर जन्म मृत्यु काल दुष्चक्र में फंसे रहकर बेगार करना बताया है-
अगम निगम को खोज ले, बुद्धि विवेक विचार।
उदय-अस्त का राज मिले, तो बिन नाम बेगार।।
सतगुरु रामपाल जी के अनुसार परम सत्य को जानने के बाद मनुष्य की आत्मा जीवन मुक्ति की अधिकारी हो जाती है और मनुष्य इस संसार समुद्र से पूर्णतया मुक्त होकर पुनः संसार चक्र में नहीं फँसता। सतगुरु से सतज्ञान लेकर आत्मबोध ही केवल ऐसा मार्ग है जिसके जरिये भक्त अपना जीवन कुशलतापूर्वक व्यतीत कर सकते हैं।
कबीर, जा दिन सतगुरु भेंटिया, ता दिन लेखे जान।
बाकी समय गंवा दिया, बिना गुरु के ज्ञान।।
ज्ञान के बिना मनुष्य और पशु-पक्षी सभी पालन पोषण और संतानोत्पत्ति के लिए आजीवन संघर्षरत रहते हैं अंत में प्राण त्याग कर कर्मानुसार पुनर्जन्म को प्राप्त होते हैं। अन्यत्र सतगुरु मिल जाए तो पशु जैसे जीवन को भोग रहा इंसान सतज्ञान से देवता बन जाता है।
कबीर, बलिहारी गुरू आपणा, घड़ी घड़ी सौ सौ बार।
मानुष से देवता किया, करत ना लाई वार।।
17 फरवरी बोध दिवस: ऐसा शुभ दिन जब किसी को सतगुरु से नामदीक्षा मिल जाए उस व्यक्ति का वास्तविक जन्म दिवस है। इस शुभ दिन ही उसे मनुष्य योनि में जन्म मिलने पर अपने जीवन के वास्तविक कर्तव्य का बोध होता है। ऐसे दिन को बोध दिवस के नाम से पुकारते है। गुरू की महत्ता को जताने के लिए अनन्त कोटि ब्रह्मांड के स्वामी पूर्ण परमेश्वर कबीर जी ने भी उस समय के प्रकांड पंडित रामानंद जी महाराज को गुरू बनाया।
परमपिता पूर्ण परमात्मा कबीर साहब के धरती पर अवतार तत्वदर्शी संत सतगुरु रामपाल जी महाराज ने भी अपना गुरू बनाया। परम संत रामपाल दास जी महाराज को 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी 1988 फाल्गुन महीने की अमावस्या की रात्रि को स्वामी रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त हुई। सतगुरु रामपाल दास जी महाराज ने नाम उपदेश प्राप्त करने के बाद तन-मन से समर्पित होकर अपने सतगुरु स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग पर दृढ़ होकर साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया। उपदेश दिवस (दीक्षा दिवस) को संतमत में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है। इसीलिए हर वर्ष 17 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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वर्तमान में पूर्ण परमात्मा तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का धरती पर अवतरण विश्व के महान भविष्यवक्ताओं की वाणियों में छिपे संदेश के साथ मिलना महज एक संयोग नहीं है अपितु विश्व को सतभक्ति मार्ग बताने के लिए साक्षात परमात्मा का कृत्य है। उदाहरणतः नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी से स्पष्ट है कि ”जिस समय उस तत्वदृष्टा शायरन का आध्यात्मिक जन्म होगा, उस दिन अमावस्या की अंधेरी रात होगी। उस समय उस विश्व नेता की आयु 16 या 20 या 25 वर्ष नहीं होगी, वह तरुण नहीं होगा, बल्कि वह प्रौढ़ होगा और वह 50 और 60 वर्ष के बीच की उम्र में संसार में प्रसिद्ध होगा। सन् 2006 में वह संत अचानक प्रकाश में आएगा।“
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज को सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण उन्होंने कनिष्ठ अभियंता के पद से त्यागपत्र दे दिया जिसे हरियाणा सरकार द्वारा 16/5/2000 को पत्र क्रमांक 3492.3500, तिथि 16/5/2000 के तहत स्वीकृत कर लिया गया था।
सभी से करबद्ध प्रार्थना है कि तत्वदर्शी संत सतगुरु रामपाल जी महाराज के अद्भुत ज्ञान को पहचानें और नाम दीक्षा लेकर अपने परिवार सहित अपना कल्याण करवाएं। कलियुग में स्वर्ण युग प्रारम्भ हो चुका है। विश्व के सभी महाद्वीपों में करोड़ों पुण्य आत्मांए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में सतभक्ति कर सर्व विकार त्यागकर निर्मल जीवन जी रहे हैं। आप भी शीघ्र अतिशीघ्र आयें।
कबीर, जा दिन सतगुरु भेटियां , सो दिन लेखे जान।
बाकी समय व्यर्थ गया, बिना गुरु के ज्ञान।।
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