Body Donation: जबलपुर( म.प्र.) मानव एवं विश्व कल्याण के लिए निरंतर प्रयत्नशील जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के शिष्य दान, सेवा और जन कल्याणकारी कार्यों में नित नए आयाम स्थापित करते हुए आ रहे हैं। इसी संदर्भ में संत जी के शिष्यों ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर में दो देहदान Body Donation कर मानवीय सेवा रूपी यज्ञ में अपनी आहुति प्रदान की ।
गौर इलाके के निरज दास ने अपनी माता मीरा दासी जोकि पेशे से नर्स थी और सुनील दास निवासी कारीपाथर, जिला-कटनी के पिता बदरी दास के निधन उपरांत उनकी इच्छानुसार मृत देह जबलपुर में कॉलेज के एनोटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ एलएल अग्रवाल मौजूदगी दान कि गई।
संत रामपाल जी महाराज जी की नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षाओं पर चलकर उनके अनुयायियों द्वारा यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया।डॉ एलएल अग्रवाल ने बताया डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को इन देहदान (Body Donation) से बहुत कुछ सीखने को मिल सकेगा।
कई बार देखने में आया है कि डॉक्टरों ने डेड बॉडी पर प्रैक्टिकल कर जटिल से जटिल ऑपरेशन को भी सफल कर दिखाया है, इससे अब बहुत से रोगियों की जान बचने लगी है। इसलिए रक्तदान, नेत्रदान की तरह ही देहदान (Body Donation) को भी बढ़ावा देना नितांत आवश्यक है। देहदान के दौरान मेडिकल स्टाफ के साथ संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी भी उपस्थित रहे।
मेडिकल स्टाफ की टीम ने इस महापरोपकारी कार्य की सराहना की और संत रामपाल जी महाराज का धन्यवाद किया। मेडिकल स्टाफ की तरफ से बताया गया कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए बॉडी की आवश्यकता होती है और लोग जागरूक नहीं हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से प्रभावित होकर उनके अनुयायी देहदान (Body Donation) करने में सदैव तत्पर रहते हैं। तथा उन्होंने बताया कि जितने भी देहदान (Body Donation) होते हैं उनमें 90प्रतिशत बॉडी संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों की होती हैं।
यदि कोई देहदान करना चाहता है तो अपने नजदीक स्थित मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के एनोटॉमी विभागाध्यक्ष के नाम लिखित में आवेदन करना होगा। एनोटॉमी विभाग की ओर से दो पेज का फार्म निशुल्क दिया जाएगा । फार्म में देहदान (Body Donation) करने वाले व्यक्ति का नाम, पता, उत्तराधिकारी का नाम, दो विटनेस जिसमें या तो पत्नी या पड़ोसियों हो सकते हैं।
देहदान करने वाले व्यक्ति को दो पासपोर्ट फोटो देने होंगे, जिसमें से एक फार्म पर लगाया जाएगा दूसरा रजिस्ट्रेशन कार्ड पर लगेगा। फार्म एनोटॉमी विभाग को देने के बाद विभाग की ओर से तुरंत एक रजिस्ट्रेशन कार्ड दिया जाएगा, जिस पर रजिस्ट्रेशन नंबर व नाम अंकित होगा, उस पर देहदान करने की घोषणा करने वाले व्यक्ति का फोटो भी लगा होगा।
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किडनी, हार्ट, लीवर, लंग्स, पैंक्रियाज, कॉर्निया और स्मॉल बाउल (छोटी आंत) का प्रत्यारोपण किया जा सकता है। ऊतकों में हृदय के वॉल्व, हड्डियों और त्वचा को दान किया जा सकता है।
संत जी के अनुयायियों का कहना है कि यह परोपकार के कार्य की प्रेरणा हमें अपने गुरुदेव संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान से मिलती है। उन्होंने बताया कि संत रामपाल जी महाराज जी सत्संगों में बताते हैं कि यह मनुष्य जीवन अनमोल है और किसी के जीवन की रक्षा करना महा परोपकार का कार्य होता है।
उनके गुरु भाई-बहन समाज सुधार के कार्यों में कभी भी पीछे नहीं हटते, चाहे वो रक्तदान हो, देहदान हो, कोरोना महामारी में लोगो की मदद करना हो या फिर प्राकृतिक संकट से जूझ रहे लोगो के लिए व्यवस्था करना। सभी कार्यों में संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयाई सबसे आगे रहते हैं।
देहदान हेतु समाज में जागरूकता लाने में संत रामपाल जी महाराज जी के अतुलनीय योगदान को सदैव याद रखा जाएगा।
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