Godhra Kand 2002 : गोधरा कांड 2002 की जानिए पूरी सच्चाई; गुजरात में दंगा भड़कने का कारण गोधरा अग्निकांड
Godhra Kand 2002 : 2002 में गुजरात में हुआ था गोधरा अग्निकांड और इसकी सच्चाई सभी भारतीयों को पता होनी चाहिए। इसलिए इस ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़ें।
Godhra Kand 2002 : गोधरा रेलवे स्टेशन से 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन के S6 बोगी को करीब 826 मीटर की दूरी पर जला दिया गया था। जिसमें 38 मासूम, निर्दोष निहत्थे हिंदू कारसेवकों की मौत हुई थी।
गोधरा कांड 2002 के प्रथम प्रत्यक्ष द्रष्टा रहे वहां के 14 पुलिस जवान जो रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे और इनमें से तीन पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और उनके साथ ही अग्निशमन दल के एक जवान सुरेश गिरी गोसाई भी मौजूद थे। और अगर हम इन लोगों की माने तो मुंशीपल काउंसिल हाजी बिलाल भीड़ को आदेश दे रहे थे कि ट्रेन के इंजन को जला दिया जाए।
Godhra Kand 2002 : और जब जवानों द्वारा ट्रेन की आग बुझाने की कोशिश की जा रही थी तब भीड़ के द्वारा ट्रेन पर पत्थरबाजी चालू कर दी गई और जब गोधरा बस स्टेशन की टीम वहां पर पहुँची तो 6 मुंशीपल प्रसिडेंट मोहम्मद कालोटा और म्युनिसिपल काउंसलर हाजी बीलाल दो हजार लोगों की भीड़ को उकसा रहे थे।
अब यहां पर सवाल यह उठता हैं कि हाजी बिलाल और मोहम्मद कालोटा को किसने उकसाया? और यह ट्रेन क्यों जलाना चाहते थे?
और यह सवालों की लिस्ट यहीं पर नहीं रुकती अभी काफी लंबी हैं! मीडिया के मुताबिक भी माने तो शांति दूतों को भी उकसाने वाले नारे भी लग रहे थे।
11वीं क्लास में पढ़ने वाली गायत्री पंचाल उस समय उसी ट्रेन में मौजूद थी और उसने बताया कि ट्रेन गोधरा स्टेशन से जैसे ही रवाना हुई। कुछ देर के बाद ही किसी ने ट्रेन की चेन खिंची और ट्रेन रुक गई और कुछ लोग हथियार लेकर ट्रेन की तरफ बढ़ने लगे; उन लोगों के पास हथियार भी सामान्य नहीं थे तलवार, भाले पेट्रोल बंब, गुप्ति, एसिड बम और भी पता नहीं क्या-क्या हत्यार उन लोगों के पास मौजूद थे। यह नजारा देख ट्रेन के अंदर मौजूद लोगों ने दरवाजा और खिड़कियां बंद कर ली। कुछ लोग ट्रेन के अंदर आ गए थे जो कारसेवकों को लूटने और मारने लगे और जो कुछ लोग ट्रेन के बाहर रह गए थे वह बाहर से नारे लगा रहे थे “मारो-काटो”।
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और कुछ समय पश्चात ही बाहर खड़े लोगों ने ट्रेन पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। ट्रेन को जला दिया गया।
ट्रेन में मौजूद कुछ लोग जब ट्रेन से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे तो बाहर खड़े लोगों ने उन्हें बुरी तरह से तलवार से काट दिया और सब बहुत बुरी तरह से घायल हो गए।
विश्व हिंदू परिषद की तरफ से पूर्णहुति महायज्ञ का आयोजन फरवरी 2002 में अयोध्या में किया गया था।
और इस योजना में बड़ी संख्या में श्रद्धालु वहां पर पहुंचे थे। 25 फरवरी 2002 को अहमदाबाद से जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में लगभग 1700 यात्री और कारसेवक सवार थे।
27 फरवरी की सुबह लगभग 7:40 पर गोधरा रेलवे स्टेशन से जैसे ही ट्रेन रवाना हुई तो किसी ने ट्रेन की चेन खींची जिस वजह से ट्रेन सिगनल के पास जाकर रुक गई और वहां पर बड़ी संख्या में मौजूद भीड़ ने गोधरा अग्निकांड की घटना को अंजाम दिया।
गोधरा कांड की घटना में 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई और इस घटना के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी जिसमें जान माल की का भारी नुकसान उठाना पड़ा।
उस समय गुजरात में हालात इस कदर बिगड़ गए थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को जनता से शांति की अपील तक करनी पड़ गई थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गोधरा अग्निकांड के बाद गुजरात में हुए दंगों से हालात इतने ज्यादा गंभीर हो गए थे कि लगभग 1200 से भी अधिक लोगों की मौत हुई थी।
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