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तत्वदर्शी संत से दीक्षित (गुरू दीक्षा) व्यक्ति बनता है मोक्ष का अधिकारी। जाने कैसे ?

विश्व के विभिन्न धर्मो व सम्प्रदायों के मध्य गुरू दीक्षा का किसी न किसी रूप में विभिन्न नामों से प्रचलन तो है पर गुरू दीक्षा के प्रति जो बानगी हिन्दुस्तान के अन्दर हिन्दू बोद्ध जैन सिक्ख धर्म में देखने को मिलती है वह बानगी अन्यत्र शायद नहीं है।

गुरू दीक्षा: गुरु दीक्षा के कितने प्रकार होते है?

काल प्रेरित गुरुओं द्वारा दीक्षा के पांच प्रकार कहे तो जाते है पर आवागमन से मुक्ति चाहने वालों के लिये यह सभी दीक्षायें व्यर्थ है। काल प्रेरित गुरुओं के द्वारा दीक्षा पांच प्रकार की बतायी जाती है पर देवता विशेष के हिसाब से और भी अनगिनत भेद है। काल प्रेरित गुरुओं की दीक्षा में विशेष रूप से वाक दीक्षा, मनो दीक्षा, समय दीक्षा, स्पर्श दीक्षा और शाम्भवी दीक्षा प्रचलित है।

गुरू दीक्षा को कहीं नाम उपदेश, कहीं मन्त्र दीक्षा, कहीं गुरू ज्ञान, कहीं ज्ञान दीक्षा तो भिन्न भाषा वर्ग में विभिन्न अन्य नामों से भी जाना जाता है।

कोई गुरू कितने प्रकार की कैसी दीक्षायें दे रहा है इस पर भ्रम है। पैसे के लालच में काल प्रेरित गुरुओं ने अपने मन से भी तरह तरह की दीक्षायें जरूरत के हिसाब से गढ़ ली उदाहरण के लिये काल भैरव दीक्षा, यक्षिणी दीक्षा , अप्सरा दीक्षा आदि आदि अनेको प्रकार की सैकड़ों दीक्षायें प्रचलन में है। इन समस्त दीक्षाओं का आत्म कल्याण से कोई सरोकार नहीं है। तत्वज्ञान की दृष्टि यह समस्त प्रकार की दीक्षायें बंधन का कारण है। नरक व चौरासी में ढकेलने वाली है।

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गुरू दीक्षा के नाम पर आप ठगे जा रहे हैं जाने कैसे?

काल भैरव दीक्षा का मतलब काल भैरव को प्रसन्न करने की मन्त्र दीक्षा । यक्षिणी दीक्षा का मतलब यक्षिणी को प्रसन्न करने वाली दीक्षा, यक्षिणियां भी 64 प्रकार की होती हैं उन सभी यक्षिणियों की अलग अलग दीक्षा। यदि एक प्रकार की यक्षिणी सिद्ध नहीं हो पायी तो दूसरी यक्षिणी की दीक्षा इस तरह यह चक्र चलता रहता है।

परमात्मा प्राप्ति की राह में चलने वाले साधक का पूरा जीवन ऐसी ही नाना प्रकार की काल प्रेरित साधनाओं में गुजर जाता है। माना कि कोई कुबेर दीक्षा से कुबेर बन जायें बिना आत्म कल्याण के ऐसी दीक्षा का क्या प्रयोजन आगे चौरासी में भटकना पडे़गा़ । दीक्षा वह श्रेष्ठ है जो नरक से बचाये चौरासी से बचाये आवागमन का चक्कर छुड़वायेे। ऐसी दीक्षा सन्त रामपाल जी महाराज के अतिरिक्त पूरे विश्व में किसी के पास नहीं है।

कबीर साहेब कहते है

गुरुओं गांव बिगाड़े सन्तो, गुरुओं गांव बिगाड़े ।
ऐसे कर्म जीव के ला दिये ईब झड़े ना झाड़े ।।

यानि इन गुरुओं ने टोल के टोल में शाश्त्र विरूद्ध, काल व्यवस्था के तहत गलत साधनाओं का प्रवेश कराकर टोल के टोल बिगाड़ दिये है। यह काल प्रेरित गुरू सच्ची बात परमात्मा के साधक को नहीं मानने देते। यह सभी नकली गुरू पद पैसा प्रतिष्ठा के लालच में कीमती मनुष्य जीवन वरबाद करने के दोषी हो रहे है। यह सब चेला व गुरू नरक को जायेगे , चौरासी में गोते खायेंगे ।

कबीर साहेब आगे कहते है

एक साधै सब सधै, सब साधै सब जाय।
माली सींचै मूल कूं, फूलै फलै अघाय।।

यानि एक पूर्ण परमात्मा की मूल साधना अधिकारी गुरू से नाम उपदेश लेकर करने से इस लोक में भी हम सुखकर जीवन व्यतीत कर सकेंगे और हमारा परलोक भी सुधर जायेगा यानि सच्ची साधना परमधाम की प्राप्ति में सहायक होगी। परमधाम को सन्तो की भाषा में सतलोक कहा जाता है।

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गुरू दीक्षा: तत्वज्ञान विहीन गुरू चेलों को फंसा रहे हैं

एक ही गुरू के पास बीस प्रकार की दीक्षायें चेलों को फंसाये रखने के लिये मिल जायेगी।उदाहरण के लिये शक्तिपात दीक्षा। नकली धर्मगुरू शक्तिपात दीक्षा के नाम पर बहुत मोटी रकम अपने चेलों से वसूला करते है। जब तक चेला मोटी रकम देगा नहीं शक्तिपात दीक्षा मिलेगी नहीं।

गुरू शिष्य का मिलन आत्मा का मिलन होता है ऐसे में शक्ति पात दीक्षा की क्या जरूरत। यदि गुरू पूरा है तो मन्त्र दीक्षा लेते ही शक्ति का पात स्वतः ही होता है चाहे वह किसी अधिकृत सेवादार के मुख से मिली हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से मिली हो । इसका जीता जागता उदाहरण सन्त रामपाल जी महाराज द्वारा दी जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक माध्यम दीक्षा है जहां पर कितने ही भयंकर भूत प्रेत बैताल से ग्रसित व्यक्ति क्यों ना हो उसके पास से सभी आसुरी शक्तियां सदा के लिये भाग जाती है।

गुरू दीक्षा: दीक्षा की पूर्णता

दीक्षा की पूर्णता जभी है जब दीक्षा हमें संस्कार से जोड़ दे सच्ची सरकार (पूर्ण परमात्मा) से जोड़ दे सद्व्यवहार से जोड़ दे वरना दीक्षा का कोई महत्व नहीं है।

पूरे विश्व में आत्म कल्याण कारक सच्चे सन्त केवल तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज ही है

वर्तमान में सन्त रामपाल जी महाराज ही अकेले आत्मकल्याण कारक सन्त है। इन सन्त के विषय में नास्त्रेदमस से लेकर बाबा जयगुरूदेव मथुरा वाले तक ने भविष्यवाणी अपने अपने हिसाब से की है जो सिर्फ सन्त रामपाल जी महाराज पर ही फिट बैठती हैं। इन सभी भविष्यवाणियों को अन्य किसी के ऊपर फिट करने का मतलब हाथी के वस्त्र गधे को पहनाने जैसा है।

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गुरू दीक्षा के अधिकारी गुरु के बारें में

विश्व विजेयता सन्त के गांव से सम्बन्धित होने व जन्म तिथि 8 सितम्बर 1951 होने की स्पष्ट भविष्यवाणी बाबा जयगुरूदेव ने की है। उन विश्व विजेयता सन्त के सिर के बाल सफेद , मूछ ना रखना व चमड़े की चप्पलों का इस्तेमाल न करना भविष्यवाणी फ्लोरेन्स की है। फ़्लोरेन्स ने और भी विश्व विजेयता सन्त के प्रमाण दिये है नाश्त्रेदमस ने लिखा वह विश्व विजेता सन्त भारत में जन्म लेगा।

इसी प्रकार अन्य भविष्य वक्ताओ की भविष्यवाणी है जो सन्त रामपाल जी महाराज पर ही फिट बैठी है जैसे उन सन्त के घर त्याग से पूर्व दो बेटे व दो बेटी का उल्लेख मां का तीन बहने होना आदि आदि ।

गुरू दीक्षा: नरेंद्र मोदी पर भविष्यवाणी

अब मोदी को चाहने वाले यह भविष्यवाणियां मोदी पर फिट करने की कोशिश मे जोड़ तोड़ के शब्दों का इस्तेमाल तो करते है। पर कोई य्व्यापक प्रमाण नहीं देते। मोदी पूर्व जन्म के अच्छे भक्त है उनको जाना था अध्यात्म के क्षेत्र में पिछले कर्म संस्कार वश फंस गये राजनीति के क्षेत्र में। इस तरह मोदी झूठी वाहवाही के चक्कर में अपने पुण्य कर्मों का नाश कर रहे है। इनके साथ आगे क्या बनेगी वह तो संतों की इस वाणी से पता चलता है।

तप से राज राज मध्य मानम् ।
जन्म तीसरे शूकर श्वानम् ।।

तपेश्वरी सो राजेश्वरी ।राजेश्वरी सो नरकेश्वरी ।।

जब तक व्यक्ति के पिछले पुण्य होते हैं आदमी का दिमाग खूब चलता है और वह अपने विरोधियों पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेता है। वह समझता है उसके कर्म का फल है।इसे यों समझें उसी सत्य नारायण की कथा को एक रिक्शाचालक बड़ी श्रद्धा से कराता है तो वह जीवन भर रिक्शाचालक का रिक्शाचालक ही रहता है।

कोई पुण्य कर्मी सेठ साहुकार कराता है तो उसके पुण्य के हिसाब से भाग्य खुल जाते है। अपितु जो सत्य नारायण की कथा है वह सत्य नारायण की कथा है ही नही अपितु औपचारिकता मात्र है। असली सत्य नारायण की कथा सन्त रामपाल जी महाराज सुनाते है जिसको विभिन्न टी वी चैनलों पर सुना जा सकता है।

गुरू दीक्षा: जगतगुरु से दीक्षा कैसे लें।

विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सन्त रामपाल जी महाराज टाइप कर खोजा जा सकता है। सन्त राम पाल जी महाराज की बतायी सत्य कथा से लोगों के पुण्य बनते है ,जीवन स्तर में सुधार होता है व आत्म कल्याण का रास्ता प्रशस्त होता है।

पिछले पुण्य, व्यक्ति विशेष के कब जाग्रत होंगे वह कहां से कहां तक पहुच जायेगा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण वर्तमान में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू है। पिछले पुण्यों का भोग समाप्त होते ही व्यक्ति के साथ क्या बनेगी इसका ज्ञान सन्त कराते है।

पद कोई बुरा नहीं है चाहे वह राष्ट्रपति बन जाये या प्रधानमंत्री सभी को आत्मकल्याण का रास्ता खोजना चाहिए आत्म कल्याण कारक सन्त खोजना चाहिए सभी सन्तों के पास आत्म कल्याण का रास्ता नही होता है। कभी कभी व्यक्ति विशेष के पास इतने ज्यादा पुण्य होते हैं वह अनेक जन्मों तक राजा रह सकता है और वर्तमान के राजा यह सोचे आगे देखा जायेगी। तो इस सम्बन्ध में सन्त रामपाल जी महाराज बताते है आगे तो भाई कुम्हार देखेगा।

सन्त रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश कोई भी कहीं कैसे भी ले सकता है। सन्त रामपाल जी महाराज का ज्ञान विविध सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर उपलब्ध है।

गुरू दीक्षा: संत रामपाल जी से नाम दीक्षा कैसे लें।

गूगल, यूट्यूब, फेसबुक या किसी भी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सन्त रामपाल जी महाराज सर्च बाक्स में लिखते ही सन्त रामपाल जी महाराज से संबन्धित तमाम लिंक खुल जाते है। उन लिंक को खोलतेे ही संत रामपाल जी महाराज के सत लोक आश्रम के सेवादारों के मोबाइल नम्बर व्हाटसएप नम्बर का पता चल जाता है। उन नम्बरों पर सम्पर्क कर मुफ्त में किताब घर बैठे मंगा सकते है और नजदीक के नामदान केन्द्र का पता लगा सकते है।

वर्तमान में सन्त रामपाल जी महाराज द्वारा 500 से अधिक नामदान केन्द्र चलाये जा रहे है। विभिन्न टीवी चैनल पर आ रहे सत्संगों में पीली पट्टी पर आ रहे मोबाइल नम्बर देखकर भी नामदीक्षा हेतु सम्पर्क कर सकते है ।अपने गांव शहर के पडोस में रह रहे सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों का पता कर भी नामदीक्षा प्राप्त की जा सकती है। साथ में किताब भी प्राप्त कर सकते है। अवश्य जानिये पम्फलेट पर दिये नम्बरों पर सम्पर्क कर नाम दीक्षा को मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है। सन्त रामपाल जी महाराज की वेबसाइट के द्वारा भी सम्पर्क साधा जा सकता है।

Nity

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