Labour Day: 1 मई को दुनिया भर में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है इसकी शुरुआत साल 1888 में हुई थी जब अमेरिका में मजदूरों की बहुत सारी मांगे मान ली थी और उनके कार्य संस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन आ गया था तब से 1 मई का दिन मजदूर क्रांति की सफलता का ही नहीं दुनिया भर में मजदूरों के हितों और उनके सम्मान के लिए मनाया जाता है इसे कामगार दिवस {WORKERS DAY} भी कहते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं।
Labour Day: पिछले साल लॉकडाउन के बाद इन्हीं मजदूरों की तस्वीर दुनिया भर में वायरल हुई थी और ये सुर्खियों में छाए रहे थे आपको तो याद ही होगा। कोरोना संक्रमण का प्रसार एक ओर जहां सरकार की पेशानी पर बल डाल रहा है वहीं राहत की खबर यह है कि कुछ देश इससे निपटने में कामयाब हुए हैं।
Labour Day: 19वीं सदी में मजदूरों की हालत बहुत अच्छी नहीं थी. अपने हक के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था. एक मई को ही 1886 के दिन हजारों मजदूरों ने एक साथ मिलकर हड़ताल की थी. इसमें सबसे प्रमुख मांग काम का समय 15 घंटे से घटाकर 8 घटें करने की थी. इस हड़ताल के बाद उन्हें सम्मान और हक तो मिला ही उनके एक दिन की कार्यावधि 8 घंटे कर दी गई. इसके बाद से धीरे धीरे पूरी दुनिया में एक मई को मजूदर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
यह हड़ताल आसान नहीं रही. 4 मई को शिकागों के हेमार्केट में इस हड़ताल के दौरान बम धमाका हुआ था. इस धमाके की जानकारी तो किसी को नहीं थी, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से निपटने और हड़ताल खत्म करने के लिए मजदूरों पर गोलियां चला दी थी और कई मजदूर मर गए थे. इसके बाद से इस हड़ताल में आक्रोश बढ़ गया था.
वहीं बिहार के श्रमिकों के लिए भी अच्छी खबर है। अब उन्हें बीमार होने की स्थिति में इलाज के पैसों के लिए परेशान नहीं होना होगा। श्रम संसाधन विभाग में निबंधित श्रमिकों को केंद्र की आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है।
तब उनके इलाज पर होने वाला पांच लाख तक का खर्च इस योजना से आच्छादित होगा। एक मई यानी मजदूर दिवस पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका एलान कर सकते हैं।
उद्योगों की सफलता का स्तंभ हैं मजदूर
मेहनतकश मजदूरों को समर्पित 1 मई की तारीख समारोह के तौर पर पूरी दुनिया में मनाई जाती है। इस मौके का मुख्य मकसद दुनिया भर के श्रमिकों व मजदूरों के अहम और उल्लेखनीय योगदान को याद करना है।
1 मई या मई दिवस के नाम से इस दिन को जाना जाता है जिसे क्यूबा, भारत, चीन समेत तमाम देश मनाते हैं। देश में मनाई जाती है। दरअसल किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। किसी भी उद्योग को सफल बनाने के लिए उसके मालिक का होना तो अहम है ही मजदूरों के अस्तित्व को भी नहीं नकारा जा सकता है क्योंकि कामगार ही किसी भी औद्योगिक ढांचा के लिए संबल की भूमिका निभाते हैं।
इस दुनिया में सुख सिर्फ कहने के लिए है इस दुनिया में सुख बिल्कुल भी नहीं है हम कबीर परमात्मा के बच्चे हैं। उन से बिछड़े हुए यहां इस दुनिया में धक्के खा रहे हैं, पूर्ण परमात्मा ही हमारे पिछले जन्मों के कर्मों को काट सकते हैं और हमारे जीवन में आने वाले दुख को समाप्त कर सकते हैं, इसीलिए पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। हमें यह मनुष्य जीवन भक्ति करने के लिए ही मिला है लेकिन हम इस मूल कार्य को भूल जाते हैं।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है जो हमारे सभी सदग्रंथो से प्रमाणित है।
सद्भक्ति देने वाले इस कलयुग में संत रामपाल जी महाराज है, जो संतों के अनुसार ज्ञान बताते हैं उनसे नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं। कबीर साहेब (परमेश्वर) जी के चमत्कार एक बार जरूर पढ़ें।
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