Special Day

Labour Day: भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत, कैसा जीवन होता है मजदूरों का।

Labour Day: 1 मई को दुनिया भर में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है इसकी शुरुआत साल 1888 में हुई थी जब अमेरिका में मजदूरों की बहुत सारी मांगे मान ली थी और उनके कार्य संस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन आ गया था तब से 1 मई का दिन मजदूर क्रांति की सफलता का ही नहीं दुनिया भर में मजदूरों के हितों और उनके सम्मान के लिए मनाया जाता है इसे कामगार दिवस {WORKERS DAY} भी कहते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं।

Labour Day: पिछले साल लॉकडाउन के बाद इन्हीं मजदूरों की तस्वीर दुनिया भर में वायरल हुई थी और ये सुर्खियों में छाए रहे थे आपको तो याद ही होगा। कोरोना संक्रमण का प्रसार एक ओर जहां सरकार की पेशानी पर बल डाल रहा है वहीं राहत की खबर यह है कि कुछ देश इससे निपटने में कामयाब हुए हैं।

Labour Day


यहां जानें मजदूर दिवस से जुड़ी 5 खास बातें –

  • कैसे और क्यों हुई शुरुआत
  • Internatinal Labour Day 2021 की शुरुआत एक मई 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन से हुई थी। इस आंदोलन के दौरान अमेरिका में मजदूर काम करने के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किए जाने को लेकर आंदोलन पर चले गए थे। 1 मई, 1886 के दिन मजदूर लोग रोजाना 15-15 घंटे काम कराए जाने और शोषण के खिलाफ पूरे अमेरिका में सड़कों पर उतर आए थे।
  • इस दौरान कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी थी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। इसी के साथ भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में काम के लिए 8 घंटे निर्धारित करने की नींव पड़ी।
  • भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत
    भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था।
  • यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। दुनियाभर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचारों व शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
  • आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील किया गया था। मजदूर वर्ग इस दिन पर बड़ी-बड़ी रैलियों व कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) द्वारा इस दिन सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।
  • कई देशों में मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की जाती है। टीवी, अखबार, और रेडियो जैसे प्रसार माध्यमों द्वारा मजदूर जागृति के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
  • भारत में लेबर डे को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, मई दिवस, कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, वर्कर डे भी कहा जाता है।
  • 1 मई को ही महाराष्‍ट्र और गुजरात का स्‍थापना दिवस भी मनाया जाता है। भारत की आजादी के समय यह दोनों राज्‍य बॉम्‍बे प्रदेश का हिस्‍सा थे। महाराष्‍ट्र में इस दिन को महाराष्‍ट्र दिवस, जबकि गुजरात में इसे गुजरात दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
    मजदूरों को आर्थिक सहायता

Labour Day कैसा था श्रमिक दिवस से पहले मजदूरों का हाल


Labour Day मिला था एक बड़ा हक

Labour Day: 19वीं सदी में मजदूरों की हालत बहुत अच्छी नहीं थी. अपने हक के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था. एक मई को ही 1886 के दिन हजारों मजदूरों ने एक साथ मिलकर हड़ताल की थी. इसमें सबसे प्रमुख मांग काम का समय 15 घंटे से घटाकर 8 घटें करने की थी. इस हड़ताल के बाद उन्हें सम्मान और हक तो मिला ही उनके एक दिन की कार्यावधि 8 घंटे कर दी गई. इसके बाद से धीरे धीरे पूरी दुनिया में एक मई को मजूदर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

Labour Day हादसे ने लगाई मुहर


यह हड़ताल आसान नहीं रही. 4 मई को शिकागों के हेमार्केट में इस हड़ताल के दौरान बम धमाका हुआ था. इस धमाके की जानकारी तो किसी को नहीं थी, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से निपटने और हड़ताल खत्म करने के लिए मजदूरों पर गोलियां चला दी थी और कई मजदूर मर गए थे. इसके बाद से इस हड़ताल में आक्रोश बढ़ गया था.

वहीं बिहार के श्रमिकों के लिए भी अच्छी खबर है। अब उन्हें बीमार होने की स्थिति में इलाज के पैसों के लिए परेशान नहीं होना होगा। श्रम संसाधन विभाग में निबंधित श्रमिकों को केंद्र की आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है।

तब उनके इलाज पर होने वाला पांच लाख तक का खर्च इस योजना से आच्छादित होगा। एक मई यानी मजदूर दिवस पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका एलान कर सकते हैं।
उद्योगों की सफलता का स्तंभ हैं मजदूर

मेहनतकश मजदूरों को समर्पित 1 मई की तारीख समारोह के तौर पर पूरी दुनिया में मनाई जाती है। इस मौके का मुख्य मकसद दुनिया भर के श्रमिकों व मजदूरों के अहम और उल्लेखनीय योगदान को याद करना है।

1 मई या मई दिवस के नाम से इस दिन को जाना जाता है जिसे क्यूबा, भारत, चीन समेत तमाम देश मनाते हैं। देश में मनाई जाती है। दरअसल किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। किसी भी उद्योग को सफल बनाने के लिए उसके मालिक का होना तो अहम है ही मजदूरों के अस्तित्व को भी नहीं नकारा जा सकता है क्योंकि कामगार ही किसी भी औद्योगिक ढांचा के लिए संबल की भूमिका निभाते हैं।

सद्भक्ति प्राप्त करें

इस दुनिया में सुख सिर्फ कहने के लिए है इस दुनिया में सुख बिल्कुल भी नहीं है हम कबीर परमात्मा के बच्चे हैं। उन से बिछड़े हुए यहां इस दुनिया में धक्के खा रहे हैं, पूर्ण परमात्मा ही हमारे पिछले जन्मों के कर्मों को काट सकते हैं और हमारे जीवन में आने वाले दुख को समाप्त कर सकते हैं, इसीलिए पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। हमें यह मनुष्य जीवन भक्ति करने के लिए ही मिला है लेकिन हम इस मूल कार्य को भूल जाते हैं।

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है जो हमारे सभी सदग्रंथो से प्रमाणित है।
सद्भक्ति देने वाले इस कलयुग में संत रामपाल जी महाराज है, जो संतों के अनुसार ज्ञान बताते हैं उनसे नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं। कबीर साहेब (परमेश्वर) जी के चमत्कार एक बार जरूर पढ़ें।

दुख बार-बार क्यों आते हैं || Saint Rampal Ji Maharaj || Supreme Knowledge ||
Nity

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