प्रदेश के स्कूलों में खाली पदों पर लेंगे गेस्ट फैकल्टी, करीब 75 हजार को मिलेगा फायदा
वित्त मंत्रालय ने 30 मार्च को एक आदेश जारी कर विद्या संबल गोजना के जरिये स्कूलों में भी गेस्ट फैकल्टी का चयन जिला स्तरीय समिति से करवाने का निर्णय किया है। इससे पहले ये चपन विभाग करता था। यूनिवर्सिटी कॉलेज अपने स्तर पर गेस्ट फैकल्टी का चयन करते थे। अब कलेक्टर इस समिति के अध्यक्ष होंगे और संबंधित विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी सदस्य सचिया सभी स्कूल या शिक्षण संस्थाएं मात्र शुरू होने से पहले रिक्त पदों की सूचना जिला समिति को भेजेंगे।
जिला समिति ब्लॉक पर वरीयता सूची बनाएगी। एक पद के विरुद्ध तीन अभ्यर्थियों का पैनल बनाया जाएगा और उसमें से किसी एक को मौका मिलेगा। कलेक्टर को ममिति में डाला है, इसलिए एक्सपर्ट का मानना है कि सत्तारूढ़ पार्टी के प्रभावशाली लोगों की सिफारिश मानी जाएगी। आदेश में विधि और कॉलेजों के लिए स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि अगर कॉलेज-विवि नहीं करते तो ये समिति यहां भी गेस्ट फैकल्टी का चयन करेगी।
प्रदेशभर के स्कूलों के खाली पदों का रिकॉर्ड चेक किया, तो सामने आया कि कुल मिलाकर 75 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। वहीं कॉलेजों व यूनिवर्सिटी में करीब चार हजार पद खाली है। गेस्ट फैकल्टी के रूप में चयन के लिए हालांकि क्रिया तय कर दिए गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि गहलोत सरकार इस फैसले के जरिये पार्टी के लोगों को संतुष्ट करना चाहती है। जिस पद पर गेस्ट पैकल्टी चुनी जाएगी, निर्धारित प्रक्रिया से वो पद भरते ही गेस्ट फैकल्टी का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।
इस आदेश से कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहया आर्डर में अच्छी बात ये है कि पीरियड का मानदेय तय हो गया, वरना हर कॉलेज या शिक्षण संस्थान अलग- अलग पैसा देते थे। कलेक्टर की अयक्षता वाली कमेटी गेस्ट फैकल्टी का चयन करेगी उसमें कौन-कौन से शिक्षण संस्थान आएंगे, विवि-कॉलेज इसमें आएंगे या नहीं यह इसमें स्पष्ट नहीं है। आदेश को फिर से जारी करने की जरूरत है या अलग से स्पष्टीकरण जारी हो। यदि कलेक्टर को यूनिवर्सिटी या कॉलेज की गेस्ट फैकल्टी तय करने का काम दे दिया गया, तो कॉलेज-यूनिवर्सिटी की गरिमा प्रभावित होगी कॉलेजों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।
मिली जानकारी के अनुसार गेस्ट फैकल्टी पहले भी लगाई जाती थी और चयन प्रक्रिया भी यही थी, लेकिन पहली बार इसमें कलकार को शामिल किया है। आदेश को गहराई से समझने की जरूरत है। कलंकटर सरकार के निर्देश पर काम करते हैं। सत्ताधारी पार्टी के लोग अपने लोगों को इसमें अब आसानी से भेज सकते हैं।
सही मायने में ये एक राजनीतिक हस्तक्षेप है, वरना जिला शिक्षा अधिकारी और जायरेक्टर एजुकेशन का काम है। कलेक्टर को कमेटी का अध्यक्ष बनाने की जरूरत नहीं भी, क्योंकि वैसे ही सारे विभाग कलेक्टर के अधीन होते ही हैं। इस ऑर्डिर का दूसरा मानब ये भी है कि सरकार स्थायी भर्ती ना करने के बजाय अब गेस्ट फैकल्टी के भरोसे ही शिक्षण संस्थाना चानाना चाहती है।
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माध्यमिक शिक्षक संघ इंजीनियरिंग कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी लगाई थी, लेकिन उनको आज भी आसानी से नहीं स्टा पा रहे हैं। अब अगर स्थायी भर्ती तोगी तो ऐसी गेस्ट फैकल्टी के रूप में काम कर चुके लोगों को एक्स्ट्रा बेटेज देना होगा। इसी तरह नए सिरे से अगर कोई संस्थान गेस्ट फैकल्टी को लगाते हैं तो एकदम से उसे नहीं कहा जा सकता कि कल से ना आना।
अब कुछ क्लॉज भी ऐसे आ गए कि अनुभव को वेटेज दैना ही होगा। प्रदेशभर में हजारों संविदाकर्मियों को इसीलिए आसानी से सरकार हटा नहीं पा रही है। ऐसा ही इन मामलों में होगा वरना ऐसे लोगों की न्यायालय से राहत मिलती है। सां, सरकार इसमें चतुराई कर सकती ऐसे संस्थानों से रिटायर हो चुके लोगों को गेस्ट फैकल्टी लगाए ताकि स्ट्ट लाने या स्थायी नौकरी की मांग का इंट ना रहे।
कक्षा | प्रति घंटा मानदेय | अधिकतम मासिक वेतन | |
1 से 8 9 से 10 11 से 12 | 300 350 400 300 | 21000 25000 30000 21000 21000 |
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