Rajiv Gandhi Death: देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई 1991 को आती है, 21 मई को इनकी 30 वी पुण्यतिथि है। राजीव गांधी बहुत ही अच्छे प्रधानमंत्री रहे। देशवासियों ने इन्हें वक्त से पहले ही खो दिया । देशवासियों का इसका बहुत ही दुख हुआ, आज तक दुख है। श्रीपेरबदुर में एक धमाके में राजीव गांधी की मौत [Rajiv Gandhi Death] हो गई।
Rajiv Gandhi Death: राजीव गांधी श्री लंका गए हुए थे तभी वहां यह हादसा हुआ था तब घने जंगलों के बीच में आतंकी छुपे हुए थे उनके 4 साथी थे जिनका नाम बेबी सुब्रमण्यम, मथुराजा, मुरूगन और शिवरासन है। इनकी यह बहुत ही बड़ी साजिश थी घंटों तनाव के बीच चली बैठक के बाद हर आदमी अपना पक्ष रख रहे थे। बेहद ही गोपनीय बैठक थी। उसमें अचानक से हवा भी उनकी तरह आवाज की तरह लग रही थी। उमस और गर्मी के बीच प्रभाकरण बहुत तेजी से सुन और सुन रहा था। आखिर साजिश पूरी हो गई प्रभाकरण ने राजीव गांधी की मौत का पूरा किया हुआ था। उनकी साजिश को 4 लोगों ने मिलकर अंजाम दिया।
Rajiv Gandhi Death दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी प्रभाकरण ने राजीव गांधी की हत्या की थी इनकी हत्या करने के बाद इन्होंने यह खबर बेबी सुब्रमण्यम को दी। बेबी सुब्रह्मण्यम और मुथुराजा चेन्नई चले गए वहां जाकर एक न्यूज़ एजेंसी से मिले और उन्हें अपने काम में शामिल किया मतलब उन्हें कुछ ऐसे लोग जा रहे थे। जो हत्या क्यों की गई यह जाने बिना उनकी मदद करें। वह न्यूज़ एजेंसी के साथ शामिल हो गई और इनकी मदद की उन्होंने ऐसे लोगों का एक समर्थन समर्थकों का एक नेटवर्क बनाया जिसमें छाती लोग बंद दिमाग में साजिशों को धीरे-धीरे अंजाम तक पहुंचाने में मददगार साबित होते हैं और बिना कुछ जाने पैसों के लिए काम करते हैं।
बेबी सुब्रमण्यम- उन्होंने हमलावरों के लिए ठिकाने का जुगाड़ किया कि हमलावर हमला करने से पहले और उसके बाद कहां छुप एंगे ताकि वह पुलिस से बच सकें।
मुथुराजा यह प्रभाकरण के खास व्यक्ति थे हमलावरों के लिए संचार और पैसे की जिम्मेदारी उन्होंने ली थी उनको हर सुविधा प्रदान करना उनका कार्य था।
मुरूगन विस्फोटक विशेषज्ञ है आतंक के गुरु हैं हमले के लिए जरूरी चीजें और पैसों का इंतजाम करना इनका कार्य है। हमले के लिए इनको बम वगैरा इन सब की अच्छी जानकारी है।
शिवरासन यह एक नंबर की जासूस है। राजीव गांधी की हत्या की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं दी गई थी। इनका दिमाग बहुत ही शातिर है।
राजीव गांधी की हत्या के लिए साजिश बहुत ही बारीकी से तैयार की गई थी कि कब क्या कैसे करना है ईट से ईट जोड़ी जा रही थी श्रीलंका में बैठे मुरूगन ने इस बीच जयकुमार और रोबोट बायस्कोर चेन्नई भेजा था। यह दोनों ने पूर्व के सावित्री नगर एक्सटेंशन में रुके गए थे। इनको श्रीलंका से चेन्नई भेजने का मकसद यही था कि अरसे से चुपचाप पड़े कंप्यूटर इंजीनियर और इलेक्ट्रॉनिक एक्सपर्ट अरेवीयू पैरुलीबालन को साजिश में शामिल करना ताकि वह हत्या का औजार बम बना सके। आगे चलकर पुरूर का यही घर राजीव गांधी हत्याकांड के प्लान का हेडक्वार्टर बन गया। यहीं से चलकर पूरी साजिश श्री पेरबंदूर तक पहुंची थी।
शिव राजन समुद्र के रास्ते से जाफना पहुंचे धनु और शिवा को साथ लेकर वहां से फिर चेन्नई पहुंचे वहां वह नलिनी के घर पर रहे इन्होंने एक महिला के कमर पर बांधा जाने वाला बेल्ट रूप में बम तैयार कर लिया था जो बहुत ही ज्यादा विस्फोटक था। अब बस उस समय का इंतजार था। जब इस साजिश को अंजाम देना था।
Rajiv Gandhi Death सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश सुनाया है।
पेरारिवलन उन सात दोषियों में से एक हैं जिन्हें आजीवन कारावास की सज़ा मिली थी. उनके साथ ही इस मामले में संथन, मुरुगन, नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन जेल में सज़ा काट रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी वर्ष 1991 के आम चुनाव में प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती बम हमले में मारे गए थे।
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राजीव गांधी और जयललिता रैली कर रहे थे तब शिवराज ने वहां उनकी सुरक्षा का जायजा लिया। राजीव गांधी से शिवरासन 25 से 30 फीट की दूरी पर थे। उन्होंने राजीव गांधी की सुरक्षा का जायजा लिया और भाप लिया था कि कोई खास सुरक्षा नहीं है। साजिश को अंजाम दिया जा सकता है। उस समय लोकसभा चुनाव का दौर था राजीव गांधी की मीटिंग 21 मई को श्रीपेरबंदूर में तय हो गई थी।
उनकी अगली मीटिंग हुई तब सिवराजन धनु को साथ लेकर गए। धनु के एक बेल्ट बांधा हुआ था बेल्ट बम जिससे वह सभी लोगों को उड़ाने वाली थी। 20 मई की रात को धनु ने पहली बार सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए चश्मा पहना बेल्ट पहनी और प्रैक्टिस की सब ने मिलकर पूरी प्लानिंग की कि कल क्या करना है और पूरे मकसद को तैयार हो गए। फिर वह फिल्म देखी और सो गए।
सुबह हुई तो शिवराज उनके साथ पांच लोग धनु शुभा,नलिनी और हरी बाबू यह सब साजिश को तैयार कर रहे थे फिर यह रैली में गए। 6 महीने तक उसकी प्लानिंग हुई थी।
जब रैली में यह राजीव गांधी के पास पहुंचे तो एक महिला इंस्पेक्टर ने इन्हें दूर रहने के लिए कहा लेकिन राजीव गांधी ने कहा कि सबको पास आने का मौका मिलना चाहिए उन्हें नहीं पता था कि आज उनके साथ क्या होने वाला है। नलिनी ने उन्हें माला पहनाई और पैर छूने के लिए झुकी और बस साजिद पूरी हो गई। झुकते ही बम फट गया और खूब जोर का धमाका हुआ। सब खत्म हो गया। बहुत सारे लोग इसमें मारे गए। अफरा तफरी मच गई।
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राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उनके शव का पता लगाना मुश्किल हो गया था। क्योंकि सभी शव की हालत काफी खराब हो चुकी थी उनका चेहरा ठीक नहीं था क्यों नहीं पहचाना जा सके राजीव गांधी की हत्या के बाद वहां घटनास्थल पर तमिलनाडु के फॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट के डायरेक्टर पी चंद्रशेखर 2 दिन चुपचाप अपनी जांच करते रहे 2 दिनों बाद उन्होंने बताया कि बम को बेल्ट की तरह एक औरत ने पहन रखा था उस औरत ने हरे रंग का सलवार सूट पहना था वह राजीव गांधी के पैर छूने के लिए चुकी थी तभी बम फटा।
यह घटना पूरी दुनिया के सामने हुई हुई थी बम फटने से पहले भी कई फोटो ली गई वह फटने के बाद भी कई फोटो ली गई थी लेकिन जब बम फटा उसकी कोई वीडियो नहीं है इसीलिए जांच पड़ताल करने वालों ने उसी घटनास्थल की पड़ताल की।
चंद्रशेखर ने सभी शव को अच्छे से परीक्षण किया और पाया कि एक महिला जिन्होंने बम बेल्ट के रूप में पहना था इसीलिए उनकी पूरी कमर नहीं रही। उसके शव में एक तरफ हाथ और दोनों पैर बचे। ऊपर का आधा हिस्सा और कमर नहीं थी।
चंद्रशेखर ने और अधिक जांच की तब उन्होंने पाया कि डेनिम के कपड़ों की बनियान पाई जिसमे वेल्क्रो लगा था। जिससे अंदाजा लगाया कि बम को पेट और कमर के आसपास एक फ्रेंड की तरह लगाया होगा किसी केस के चक्कर में कुछ महीने पहले चंद्रशेखर ने इंग्लैंड में एक ऐसी ही एक वेल्क्रो लगी संज्ञान को देखा था यह यहां यह साफ हो गया कि बम को एक बेल्ट में लगाकर सरीर के चारों तरफ लपेटा गया था।
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