Dowry Free India
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Dowry Free India: जैसे ही लड़की का जन्म होता है तुरन्त ही मां बाप शादी की चिन्ता में डूब जाते हैं , अपने खानपान में कटौती कर बचपन से ही बेटी के लिये दहेज इकट्ठा करना शुरू कर देते है। जहाँ आज की आधुनिक जीवन शैली के खर्चे व्यक्ति की कमर तोड़ रहे है वहीं बेटी की पढ़ाई लिखाई में कोई कमी न रह जाये इसके लिये मां बाप अपनी जीवन की गाढ़ी कमाई खर्च करते रहते है तो दूसरी तरफ योग्य वर की तलाश में शादी का बेहिसाब खर्चा पूरा करने की धुन में मां बाप अपने सिर पर कर्जा लाद लेते हैं। शादी के बाद भी दहेज की यह प्रक्रिया सूक्ष्म रूप में किसी न किसी रूप नेग, छोछक, सगुन, टीका, भात या विदाई जैसी कुरीतियों के नाम पर आजीवन जारी रहती है।

Dowry Free India: सन्त रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं से प्रभावित होकर अब तक बहुत बड़ी तादाद में दहेज रहित विवाह सम्पन्न हो चुके है।पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी सन्त रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर 17 मिनट की रमैनी द्वारा सैकड़ों दहेज रहित विवाह सन्त रामपाल जी महाराज के भारतवर्ष में स्थिति सभी 9 आश्रमों मे सम्पन्न हुये हैं।

बेटियां अब नहीं रहेगी बोझ, दहेज रहित शादियां बचा रही लाखों बेटियों की जिन्दगियां

Dowry Free India: सन्त रामपाल जी महाराज (Sant Rampal Ji) के द्वारा चलाये जा रहे एक दर्जन से अधिक समाज सुधार के मिशनों में दहेज रहित शादियों का मिशन पूरे भारतवर्ष में चर्चा का विषय बना हुआ है। बेटी को जलाने मारने व भ्रूण हत्या में दहेज एक बहुत बड़ी कुरीति थी। सन्त रामपाल जी महाराज ने इस कुरीति को समझा व अपने मिशन का हिस्सा बनाया जिसका परिणाम यह निकला आज सन्त रामपाल जी महाराज का कोई अनुयायी दहेज ना लेता है और ना देता है।

सन्त रामपाल जी महाराज के द्वारा करायी गयी शादियों की बजह से लाखों बेटियां सुखमय जीवन जी रही है। दहेज की बजह से लोग बेटी को कोख में मार डालते थे अब लोगों की समझ में आता जा रहा है कि बेटी अब बोझ नहीं अतः बेटी को कोख में नही मारना है। ज्यों ज्यों सन्त रामपाल जी महाराज के दहेज रहित मिशन का विस्तार होगा त्यों त्यों पूरे भारतवर्ष में भ्रूण हत्या भी धीरे धीरे बन्द हो जायेगी। दहेज के कारण जल रही व कोख में ही मर रही बेटियों को सुख की सांस नसीब होगी।

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Dowry Free India: दहेज रहित विवाह

Dowry Free India: स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से ही सरकार व बुद्धिजीवियों का ध्यान दहेज रहित विवाह की तरफ गया तो था। सरकार ने अपने स्तर से प्रयास किये सख्त कानून बनाये पर परिणाम शून्य का शून्य निकला । सन्त रामपाल जी महाराज के मिशन की नकल तो अनेक मिशन करने कोशिश में लगे हैं पर कोई सन्तोषजनक परिणाम नहीं निकल रहा हैं । दिखावे के लिये की जा रही दहेज रहित शादियों से भला क्या अर्थ निकलने वाला है जब तक मन क्रम बचन से इसे अंगीकार ना किया जाये।

सब मानते है दहेज एक कुरीति है फिर भी दहेज लेते हैं। समाज के दिखावे के लिये पहले नहीं लेगे तो बाद में नोकझोंक करेंगे। कोई भी , कैसा भी व किसी प्रकार का समाज सुधार सन्त रामपाल जी महाराज के मिशन से बिना जुड़े पूरा नहीं हो सकता। सरकार और सामाजिक संगठन वास्तव में भारत को दहेज रहित बनाना चाहते है तो उन्हें सन्त रामपाल जी महाराज के सिद्धांतो को अंगीकार करना ही पड़ेगा। यह तो सन्त रामपाल जी महाराज के वचन व प्राण ऊर्जा का प्रभाव है कि सन्त रामपाल जी महाराज का कोई अनुयायी आजीवन दहेज की मांग नहीं करता है।

Dowry Free India: जहां ज्यादातर हत्यायें कम दहेज के कारण हो रही हैं। वहीं दूसरी तरफ अंधे कानून की आड़ में दहेज प्रताड़ना के झूठे मुकद्दमे लड़की पक्ष की तरफ से अदालतों में डाले जा रहे हैं । भारत सरकार के आंकड़े गवाही दे रहे है कि दहेज निषेध अधिनियम 1961 के तहत 2018.में 12826 ,सन 2019 में 13307 व 2020 में 10366 मुकद्दमे पंजीकृत हुये जिनमें से दहेज हत्या के क्रमशः7161, 7141 व 6966 मुकद्दमें थे। बाकी मुकद्दमें दहेज प्रताड़ना के थे।

यह सरकारी आंकड़े है जो सरकार के रिकार्ड में रहते हैं। बहुत से आंकड़े सामाजिक सरोकार की बजह से समझौता हो जाने के कारण पंजीकृत नहीं हो पाते है । या फिर लड़की पक्ष पर दवाब डालकर थानों में ही निपटा दिये जाते हैं। दहेज हत्या का प्रमुख कारण था झूठी शान शौकत और दिखावा जिससे उनके पड़ोसी या रिश्तेदार कहें कि उन्हें सबसे ज्यादा दहेज मिला। कम दहेज के रोज रोज के तानों से या तो बेटियां आत्महत्या जैसे कदम उठा लेती थी या उन्हें जलाकर मार दिया जाता था।

Dowry Free India: दहेज प्रताड़ना के मुकदमों में बढ़ोत्तरी

Dowry Free India: दहेज प्रताड़ना के झूठे मुकद्दमों में कारण था लड़की का दूसरे वातावरण में खुद को एडजस्ट ना कर पाना। अब अदालत में यह तो कह नहीं सकते कि हम दूसरे वातावरण में एडजस्ट नही कर पा रहे हैं। क्योंकि अदालत भी यही सुझाव देेगी कि आपको नये वातावरण में एडजस्ट करना चाहिये। अतः वकीलों की मदद लेकर झूठे दहेज प्रताड़ना के झूठे मुकद्दमे डलवाये जाते रहे हैं।

दूसरे वातावरण में एडजस्ट ना करने का कारण लड़की के पूर्व जन्म के संस्कार व वर्तमान का परिवेश होता है जिस परिवेश में वह रहती आयी है। वह अपनी उस आदत को बदल नहीं पाती है या बदलना नहीं चाहतीे है। ससुराल पक्ष भी यह नहीं सोंचता कि बेटी नये परिवेश से आयी है हमारे परिवेश में बदलने मे थोड़ा समय लगेगा । ससुराल वाले बेटी को तरह तरह के उलाहने देने लग जाते है जिस कारण क्लेश का बातावरण बन जाता है। इस बजह से भी दहेज प्रताड़ना के मुकदमों में बढ़ोत्तरी होती रही है।

परमात्मा कबीर कहते है
कोस कोस पर बदले पानी चार कोस पर वाणी।
एक कोस मतलब 3 किमी होता है एक कोस पर पानी बदल जाता है । चार कोस पर वाणी बदल जाती है यानि हर 12 किमी के बाद हर क्षेत्र समुदाय की भाषा संस्कार रहन सहन बदल जाता है। हर क्षेत्र के अपने संस्कार है वहां के हिसाब से बेटी को परिवर्तन लाना पड़ेगा। तभी गांवों में आज भी कहा जाता है कि लड़की की शादी का मतलब दूसरा जन्म। मतलब साफ है जो लड़की अब तक यहां के संस्कारों से तालमेल बैठाकर जीवन जी रही थी अब उसे नयी जगह के परिवेश के अनुसार जीना पड़ेगा।

■ यह भी पढ़ें: संत रामपाल जी महाराज समाज सुधारक

Dowry Free India: सन्त रामपाल जी महाराज समाज सुधारक

Dowry Free India: सन्त रामपाल जी महाराज ने दोनों समस्याओं का समाधान एक ही चोट से कर दिया है। भगतों में अहंकार नही होता है। अहंकारी जीव अपने अंदर परिवर्तन नहीं लाना चाहता है इस कारण बिटिया ससुराल में दुखी रहती हैं। सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायी अहंकार शून्य होने के कारण हर परिवेश में खुद को ढाल लेते हैं अतः बिटिया दुखी नही रह सकती है ओर ना ससुराल पक्ष के लोग दुखी रहते हैं।

सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायी बेवजह विवाद नहीं करते हैं। सन्त रामपाल जी महाराज की शिक्षाओं का अनुसरण करते है। विवाद से बचने का सबसे उत्तम उपाय कबीर साहेब की यह बाणी है। इस वाणी में सभी समस्याओं का उत्तम सार छिपा है एक ने कही दूसरे ने मानी कह कबीर दोनों है ज्ञानी।

Dowry Free India: अहंकार वश अपनी सोच वचन व कर्म को सही सिद्ध करने की चेष्टा में तकरार करते हैं उससे हासिल भी कुछ नहीं होता है। सब कुछ करने कराने वाला परमात्मा है। यदि परमात्मा अपनी दी हुई एक भी दया को वापस कर ले तो हम कुछ नहीं कर सकते इसलिये किस बात का अहंकार जिस सोच जिस विचार व जिस कर्म से शान्ति स्थापित हो जाये व्यक्ति विशेष के मन में सन्तोष स्थापित हो जाये तो वही सोच – विचार, वाणी व कर्म श्रेष्ठ है अतः हमें पारिवारिक सामाजिक शान्ति के लिये परमात्मा की उक्त वाणी का अनुसरण सबका प्रथम कर्तव्य होना चाहिए । जब शान्ति होगी तो परमात्मा का भजन अच्छा होगा और हम सतलोक भी आसानी से पहुंच सकेंगे।

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भारत सरकार भी अपने बेटी बचाओ अभियान

Dowry Free India: भारत सरकार भी अपने बेटी बचाओ अभियान की समीक्षा करे। कागजों में खीचें गये झूठे आंकड़े कुछ भी कह रहे हो पर धरातल पर भारत सरकार का बेटी बचाओ अभियान कहीं से कहीं तक सफल नजर नहीं आ रहा है। सरकार इस बात की भी समीक्षा करे कि सन्त रामपाल जी महाराज का बेटी बचाओ अभियान 100 का 100 प्रतिशत क्यों सफल है।

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