Hanuman Jayanti Hindi

Hanuman jayanti Hindi: भारत में अनेकों धर्म है और सब धर्मों के लोगों की अपने-अपने धर्म के प्रति भावनाएं जुड़ी होती हैं। हर धर्म का अपना ही महत्व होता हैं। लेकिन भारत विविधता में एकता का देश हैं। सभी धर्मों के लोग एक दूसरों की भावनाओं की कद्र करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाती हैं।

Hanuman jayanti Hindi: कब है हनुमान जयंती?

Hanuman jayanti Hindi: इस वर्ष 16 अप्रैल मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। हनुमान जी को राम जी का परम भक्त माना जाता हैं। और यह भी माना जाता है कि रामसेतु बनवाते समय हनुमान जी ने हर पत्थर पर राम राम शब्द लिखकर उन्हें तैराया था।
इस हनुमान जयंती पर जानिए हनुमान जी के जन्म से जुड़ी घटना के बारे में।

पूंजीक स्थला नाम की एक सुंदरी इंद्रलोक की अप्सरा थी। वह अत्यंत ही चंचल परवर्ती की थी। एक दिन वह वन विहार पर निकली जहां एक ऋषि तपस्या कर रहे थे। पुंजिका स्थला ने ऋषि को एक फल फेंक कर मारा और पेड़ की ओट में वहीं पर छुप गई।

तभी ऋषि का ध्यान भंग हुआ और वह क्रोधित हो गए। पूंजीका स्थला ने ऋषि को क्रोधित देख कर कहा मुझे दूर से प्रतीत हुआ कि कोई बंदर पेड़ के नीचे बैठा हैं। ऋषि ने इतना सुनते ही कुपिल होते हुए उसे वानर योनि में जाने का श्राप दिया।

Hanuman Jayanti
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Hanuman jayanti Hindi: अप्सरा ने यह बात जाकर इंद्रदेव को बताएं। तब इंद्र ने उसे बताया कि इस श्राप को भोगने के लिए तुम्हें मृत्युलोक जाना होगा। वह तुम्हारे गर्भ से शिव के 11वें अवतार का जन्म होगा। पूंजीका स्थला को मृत्युलोक में एक वानरराज केसरी से प्रेम हो जाता हैं। तथा दोनों विवाह के बंधन में बंध जाते हैं।

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विवाह के बहुत दिन बीतने पर जब उन्हें संतान प्राप्ति नहीं हुई तो एक ऋषि की सलाह पर नारायण पर्वत पर तपस्या करने पर उन्हें पवन देव ने एक तेजस्वी पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। फिर शिव की आराधना करने से शिव के 11वें अवतार को जन्म देने का वरदान प्राप्त हुआ।

Hanuman jayanti Hindi: हनुमान जयंती स्पेशल

Hanuman jayanti Hindi: हनुमान जी लंका से निकलने के पश्चात बहुत दूर जाने के बाद एक सरोवर के किनारे रुक कर स्नान करने लगे। सीता माता द्वारा दिया गया कंगन वही सरोवर के किनारे रखा हुआ था और हनुमान जी की नजर उस कंगन पर ऐसे थी जैसे सांप की नजर सुबह ओस पीते समय उसकी मणि पर होती हैं। तभी कहीं से एक बंदर आया और कंगन उठाकर भागने लगा।
हनुमान जी को लगा कि कहीं यह बंदर इस कंगन को सरोवर में ना फेंक दें यह सोच कर हनुमान जी ने उसके पीछे -पीछे भागने लगे। वह बंदर एक कुटिया में चला गया और वहां ऊपर रखे एक घड़े में कंगन को डाल कर भाग गया हनुमान जी ने राहत की सांस ली।
जैसे ही हनुमान जी ने घड़े में जाकर देखा तो उसमें बहुत सारे वैसे के वैसे ही कंगन थे। हनुमान जी सोच में पड़ गई कि अब इसमें से मेरा लाया हुआ कंगन कौन सा हैं? तभी कुछ दूरी पर एक ऋषि जी को देखा। उनसे जाकर प्रार्थना की और सारी वार्ता बताई। कंगन खोजने में मदद मांगी। तभी मुनींद्र ऋषि ने कहा कि उसमें से कोई भी एक कंगन उठा लो सब एक जैसे ही हैं। और 30 करोड बार राम जी का अवतार हो चुका हैं और ऐसे ही घटना होती है। ऐसे ही हनुमान आता है और वहां से कंगन ले जाता हैं।
हनुमान जी ने कहा हर बार हनुमान आता है तो इसमें इतने सारे कंगन कैसे आए? तभी ऋषि जी ने कहा कि इस घड़े में ऐसी शक्ति है जिससे कंगन दो हो जाते हैं। तुम कोई भी वस्तु इसमें डालोगे तो वह दो हो जाएंगी। मुनींद्र ऋषि जी ने हनुमान जी को बताया कि आप और आपके प्रभु श्री राम सभी काल के जाल में हैं। किसी की भी मुक्ति नहीं हुई। पूर्ण परमात्मा की भक्ति से ही इस काल के जाल से निकला जा सकता हैं।

Hanuman jayanti Hindi: हनुमान जी ने उनकी बातों को अनसुना करके कहा कि अभी सीता माता को रावण के चंगुल से छुड़ाना हैं। इन सब बातों के लिए मेरे पास अभी समय नहीं हैं। ऋषि जी फिर कभी आपका यह ज्ञान सुन लूंगा। अभी थोड़ा जल्दी में हूं इतना कहकर हनुमान जी चले गए।

Sant Rampal Ji Maharaj ji


Hanuman jayanti Hindi: सीता जी ने किया हनुमान जी का अपमान

Hanuman jayanti Hindi: राम और रावण का युद्ध समाप्त होने के पश्चात सभी अयोध्या लौट गए थे। वहां उत्सव के संपन्न होने के पश्चात सीता जी ने अपना सबसे प्रिय मोतियों का हार हनुमान जी को दिया। हनुमान जी सारे मोतियों को तोड़-तोड़ कर देखने लगे तभी सीता जी ने कहा कि तुम क्या कर रहे हो? कीमती मोती बर्बाद कर रहे हो। हनुमान जी ने कहा कि मैं देख रहा हूं इसमें मेरा राम कहां हैं? इसमें प्रभु श्री राम का नाम ढूंढ रहा था। बिना उनके इस मोती के हार का मेरे लिए क्या मोल?

सीता जी ने यह बात सुनकर उनका मजाक उड़ाया और उन पर हँसने लग गए और बोले कि तुम आखिर रहे बंदर के बंदर ही। इस बात का हनुमान जी को बहुत दुख हुआ और वह जंगल की ओर प्रस्थान कर गए। दुखी मन में बैठे रहते थे।


Hanuman jayanti Hindi: मुनीन्द्र रूप में परमात्मा का हनुमान जी से दूसरी बार मिलना

Hanuman jayanti Hindi: हनुमान जी जंगल में अकेले रहते थे तभी परमात्मा एक बार फिर मुनींद्र ऋषि के रूप में आए जो कंगन की खोज करते समय कुटिया में मिले थे। हनुमान जी ने उन्हें तुरंत पहचान लिया कि यह तो वही ऋषि है जो कंगन की खोज करते समय मिले थे। हनुमान जी ने कहा आओ ऋषि जी! बैठो।
कैसे आना हुआ?
मुनींद्र ऋषि ने कहा कि भक्ति कर लो भगत जी। भगवान ही सुख-दुख का रखवाला हैं। तभी हनुमान जी ने कहा कि भगवान तो अयोध्या में आए हुए हैं। मुनींद्र ऋषि ने कहा कि अगर वह भगवान हैं तो आप उन्हें क्यों छोड़ आए? मुनींद्र ऋषि ने कहा यह तो तीन लोक के देवता हैं। असली राम तो कोई और ही हैं। इस दुनिया के लोगों में इतना सामर्थ्य नहीं है कि वह किसी का भला कर सके और किसी को कुछ दे सके। परमात्मा की भक्ति करने से ही परमात्मा अच्छे कर्मों का फल दे सकते हैं। ऋषि जी ने हनुमान जी को पूर्ण तौर से अपने ज्ञान से संतुष्ट करने की कोशिश की।

मुनींद्र ऋषि ने हनुमान जी से कुछ प्रश्न पूछे जैसे कि:

जब आप राम जी और उनकी सेना के साथ सीता जी को ढूंढने जा रहे थे तो रास्ते में जब आपको सांपों ने बांध दिया तब भगवान राम जो खुद को और सेना को मुक्त नहीं करवा पाए? उनकी बात सुनकर भगवान हनुमान जी वह घटना याद आ गई और उनके मन में वही बात खटकी।

तभी मुनीन्द्र ऋषि ने उन्हें फिर से ज्ञान समझाया हनुमान जी जंगलों में अकेले रहने थे थे तभी परमात्मा एक बार फिर मुनींद्र ऋषि के रूप में आए जो कंगन की खोज के समय कुटिया में मिले थे तो हनुमान जी ने उन्हें तुरंत पहचान लिया कि यह तो वही ऋषि है हनुमान जी ने कहा आओ ऋषि जी बैठो कैसे आना हुआ मुनींद्र ऋषि ने कहा कि भक्ति कर लो भगत जी भगवान ही सुख-दुख का रखवाला है

Hanuman jayanti Hindi: पूर्ण परमात्मा का मुनींद्र ऋषि के रूप में हनुमान जी को मिलना

रामायण की कथा से सब भली भांति परिचित हैं। सीता जी की खोज के दौरान जब घायल जटायु नामक पक्षी से रावण द्वारा सीता के हरण का पता चला तो लंका की दिशा में राम जी ने अपने सबसे विश्वासी सेवक हनुमान जी को भेजा था।
जब हनुमान जी समुद्र पार करके लंका में पहुंचे तब वे एक सूक्ष्म रूप धारण करके उस पेड़ के ऊपर जा बैठे जिस पेड़ के नीचे सीता जी बैठी थी। हनुमान जी सीता जी को पेड़ पर से देख रहे थे उन्हें समझते देर नहीं लगी कि यही सीता माता हैं। उन्होंने सीता माता से बात की और बताया कि भगवान राम उनको लेने आएंगे। हनुमान जी ने सीता जी को भगवान राम की अंगूठी दी और सीता माता से निशानी के रूप में कंगन लेकर वापस चले गए।

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जब आप राम जी और उनकी सेना के साथ सीता जी को ढूंढने जा रहे थे तो रास्ते में जब आपको साँपों ने बांध दिया था तब भगवान राम क्यों खुद को और सेना को मुक्त नहीं करवा पाए? उनकी बात सुनकर भगवान हनुमान जी को वो घटना याद आ गई और उनके मन में भी यह बात खटकी।

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काटे बंधत विपत में, कठिन कियो संग्राम।

चिन्हो रे नर प्राणियो, गरूड़ बड़ो के राम।।

उसके बाद उन्होंने कहा जब समुंदर पर पुल बन रहा था तो पुल क्यों नहीं बन पाया तुम्हारे भगवान राम से? लेकिन इस पर हनुमान जी ने कहा भगवान राम जी ने भेस बदलकर ऋषि के रूप में समुद्र पर पुल बनाया था। इस पर मुनीन्द्र ऋषि ने कहा अगस्त ऋषि ने सातों समंदर पी लिए थे फिर इनमें से कौन समर्थ भगवान है? उनके इतना बोलते ही हनुमान जी को पुल बनाने की पूरी घटना याद आ गई कि कैसे मुनींद्र ऋषि ने पुल बनाया था।


समन्दर पाटि लंका गयो, सीता को भरतार।

अगस्त ऋषि सातों पीये, इनमें कौन करतार।।

उसके बाद उन्होंने हनुमान जी से पूछा कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश को आप अविनाशी मानते हो तो विष्णु अवतार राम जी धरती पर माँ की कोख से जन्म लेकर आये हैं इस विषय में क्या कहोगे? ऋषि जी ने जब यह बात कही हनुमान जी को यकीन हो गया कि यह पक्का परमात्मा के विषय में जानते हैं।Hanuman Jayanti 2021
ऋषि जी ने दिव्य दृष्टि दे कर हनुमान जी को ब्रह्मा विष्णु और शिव जी से भी ऊपर के लोक के दर्शन वहां बैठे कराएं। तब हनुमान जी को विश्वास हुआ और उन्होंने मुनीन्द्र ऋषि जी से दीक्षा प्राप्त कर पूर्ण परमात्मा की भक्ति शुरू की।


Hanuman jayanti Hindi: हनुमान जयंती पर जानिए कौन थे मुनीन्द्र ऋषि?


Hanuman jayanti Hindi अब आप सोच रहे होंगे कि मुनीन्द्र ऋषि कौन थे जिनके विषय में चर्चा हो रही है, यह कोई और नहीं बल्कि इनके रूप में खुद पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब आये थे। भगवान कबीर साहेब जी सिर्फ त्रेता युग में ही नहीं बल्कि चारों युगों में आते हैं, वो यथार्थ ज्ञान देकर सही रास्ता दिखाते हैं। अगर ग्रंथो की माने तो परमात्मा की तीन प्रकार की स्थिति है पहली स्थिति में वो ऊपर सतलोक में विराजमान रहते है,

दूसरी स्थिति में वो जिंदा महात्मा के रूप अपने भक्तों को मिलते है और तीसरी स्थिति में वो प्रकट होकर धरती पर रहते है और वे कुंवारी गाय का दूध पीकर बड़े होने की लीला करते है। वो प्रभु कोई और नहीं बल्कि कबीर साहेब हैं जो चारों युगों में आते हैं।

आज वह भक्ति जो हनुमान जी को मिली उसी भक्ति का प्रचार प्रसार संत रामपाल जी महाराज कर रहे है। अगर आप भी मोक्ष प्राप्त करवाना चाहते है तो जल्द से जल्द संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ग्रहण करे।

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