Diwali Festival: भारत में कई त्योंहार मनाया जाते हैं। दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह खुशी और रोशनी लाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस साल कार्तिक अमावस्या 4 नवंबर 2021 को है।
इस लेख में आज हम जानेंगे कि दीपावली के त्यौहार की पुरानी कथा क्या है? दीपावली कब और क्यों मनाया जाता है? दीपावली मनाने का उद्देश्य क्या है और इससे क्या लाभ होते हैं? पूर्ण परमात्मा कौन है उसकी पहचान कैसे करें?
Diwali Festival: दीपावली के त्योहार की पौराणिक कथा
Diwali Festival: दीपावली के संबंध में जो पौराणिक कथाएं हैं उनके अनुसार त्रेता युग में विष्णु अवतार श्री राम जी और सीता जी को 14 वर्ष का वनवास हुआ था। राजा दशरथ की आज्ञा अनुसार राम और सीता 14 वर्ष तक बनवास में रहे। वनवास के दौरान ही रावण ने सीता जी का हरण किया। उसके बाद राम जी ने सीता जी को रावण से युद्ध कर लेकर आए। यही समय 14 वर्ष के वनवास के पूरे होने का भी था। 12 वर्ष तक सीता जी रावण के पास रहे थे।
Diwali Festival अधर्मी रावण सीता माता को वापस लेकर जब श्रीराम अयोध्या वापस आए तो अयोध्या वासियों की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं था। इसी खुशी में उन्होंने दीपक जलाकर अमावस्या की अंधकार में यात्री को चरण और उज्जवल बना दिया। श्री राम और माता सीता के आगमन की खुशी मनाई गई किंतु यह प्रतिवर्ष नहीं मनाया जाता यह 2 वर्षों तक ही मनाया गया था। फिर हम दीपावली क्यों मना रहे हैं?
Diwali Festival: जैसे ही सीता जी श्रीराम द्वारा गर्भावस्था में अयोध्या से निष्कासित किए गए। अयोध्यावासी दुखी हो गए और उसके पश्चात अयोध्या वासियों ने कभी भी दिवाली का त्यौहार नहीं मनाया। जब राजा राम और माता सीता अलग हो चुके थे। तो अयोध्या वासियों में उल्लास का विषय ही नहीं रहा किंतु लोक वेद के अनुसार अब लोगों ने मनमानी रूप से पुनः इस त्यौहार को बनाना शुरू कर दिया है। जिसका ना ही कोई महत्व है ना ही कोई अर्थ।
आप ही विचार कीजिए इस बारे में।
Diwali Festival: दीपावली का त्यौहार कब मनाया जाता है।
Diwali Festival: दीपावली का त्योहार कार्तिक की अमावस्या को मनाया जाता है। जो इस वर्ष 4 नवंबर 2021 को है। भारत में वर्ष में केवल हिंदू ही नहीं बल्कि सिख और जैन धर्म के लोगों द्वारा भी यह त्योहार मनाया जाता है। जैन धर्म के लोग इस दिन को महावीर के मुख्य दिवस के रूप में मनाते हैं। अतः सिख समुदाय से बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं।
यह उल्लेख करना आवश्यक है कि वेदों में पूर्ण परमात्मा कबीर देव का नाम लिखा है उसी को बंदी छोड़ भी कहते हैं। उसका नाम कबीर है। वह पाप नाशक है और बंधनों का शत्रु होने के कारण उसे बंदी छोड़ कहा गया है दीपावली सिख समाज दीपावली को बंदी छोड़ दिवस के रुप में मनाते हैं, जो कबीर साहेब है।
Diwali Festival:वर्तमान में दीपावली किस तरह मनाई जाती है।
Diwali Festival : दिपावली का त्यौहार का मूल उद्देश्य तो बहुत पहले ही खत्म हो चुका है जैसे कि आपको बताया था कि अयोध्या वासियों ने 2 वर्ष दिवाली मनाई थी। जब भगवान राम ने सीता जी को गर्भावस्था में विद्या से निष्कासित कर दिया। उसके बाद अयोध्यावासियों ने कभी दिवाली नहीं मनाई। लोक वेद के अनुसार यह व्यर्थ आडंबर दिवाली मनाना बाद में फिर से शुरू किया गया। जो केवल आडंबर है इससे कोई लाभ नहीं मिलता। गीता के अध्याय 7 के श्लोक 15 में ब्रह्मा विष्णु महेश तक की पूजा करने वाले को मूर्ख और नीच बताया गया है।
Diwali Festival: दीपावली मनाने का उद्देश्य?
Diwali Festival: लोगों के अनुसार इस दिन भगवान राम सीता जी को लेकर आए थे इसीलिए दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन सीता जी को निष्कासित करने के बाद सीता जी पूरे जीवन दुखी रहे आजीवन भटकती रहे और जंगलों में दो बच्चों का कैसे पालन पोषण किया यह सोचना भी कठिन है अतः इस त्योहार का कोई उद्देश्य नहीं है कोई बुनियाद नहीं है।
Diwali Festival लक्ष्मी पूजन करने का भी कोई फायदा नहीं हो सकता है क्योंकि आप भी जानते हैं कि गीता जी में बताया है कि हम जैसे कर्म करेंगे वैसा हमें फल मिलेगा। यह भगवान भी हमें इससे अधिक कुछ नहीं दे सकते हैं। इससे अधिक हमें पूर्ण परमात्मा दे सकते हैं हमारे जीवन के पाप कर्मों को काटकर हमें सुख दे सकते हैं। वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है।
■ Also Read: Celebrate This Diwali Festival With Almighty God By Sharing This Special Gift
Diwali Festival: दीपावली मनाने से क्या लाभ है?
Diwali Festival: यह लोगों द्वारा गलत परंपरा शुरू हुई है, जो कि बिल्कुल गलत हैं। यह शास्त्र विरूद्ध व लोकवेद पर आधारित मनमाना आचरण है। इस के कारण इससे हमें कोई लाभ नहीं है। साथ ही लक्ष्मी जी की पूजा और त्रिगुण आराधना से भी कोई लाभ नहीं है क्योंकि यह शास्त्रों में वर्णित साधनाएं नहीं हैं। व्यक्ति अपने कर्मानुसार ही धन पाता है।
Diwali Festival निर्धन व्यक्ति कितना भी ध्यान से पूजा करे यदि उसके भाग्य में धन नहीं है तो उसे पूर्ण परमेश्वर कबीर के अतिरिक्त विश्व के अन्य कोई देवी देवता नहीं दे सकते। तीनो देवता ब्रह्मा-विष्णु-महेश जी मात्र भाग्य में लिखा हुआ देने को बाध्य हैं। भाग्य से अधिक आकांक्षा रखने वाले को पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करनी चाहिए। लक्ष्मी पूजा शास्त्रों के विरुद्ध साधना है।
Diwali Festival भगवद्गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरूद्ध साधना करने से हमें कोई लाभ नहीं प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 7 के श्लोक 12-15 में प्रमाण है। जो व्यक्ति तीन गुणों की पूजा करता है वो मूर्ख बुद्धि, मनुष्यों में नीच, राक्षस स्वभाव को धारण किये हुए होते हैं। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 के श्लोक 23 में लिखा है कि शास्त्र विरुद्ध साधना करने से न तो लाभ मिलेगा न ही गति होगी।
■ Also Read: दीपावली का पर्व मानने से कोई लाभ संभव है?
Diwali Festival: हमें किसकी भक्ति करनी चाहिए?
Diwali Festival: दुर्गा माता जी को त्रिदेवी भी कहते हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश यह तीनों देवताओं की माता दुर्गा ही हैं। यह तीनों देवता सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और संहार का कार्य करते हैं। दुर्गा माता जी को आदिशक्ति, त्रिदेवजननी, अष्टांगी (प्रकृति) देवी भी कहा जाता है।
Diwali Festival इन तीनों देवताओं की माता दुर्गा है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण में उल्लेख है जहाँ ब्रह्मा जी कहते हैं कि रजगुण, तमगुण, सतगुण हम तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिवजी) को उत्पन्न करने वाली माता आप ही हो, हमारा तो आविर्भाव माने जन्म तथा तिरोभाव माने मृत्यु होती हैं।
अतः इनकी पूजा करना व्यर्थ है और देवी भागवत महापुराण में ही देवी जी यानि दुर्गा जी अपने से अन्य किसी और भगवान की भक्ति करने के लिए कह रही है। इससे स्पष्ट है कि देवी दुर्गा जी से भी ऊपर अन्य कोई परमात्मा है जिसकी भक्ति करने के लिए दुर्गा जी निर्देश दे रही हैं। इससे स्पष्ट है कि देवी दुर्गा जी की भी भक्ति करना व्यर्थ है। वह पूर्ण परमात्मा तो कोई और है। पूर्ण परमात्मा की पूरी जानकारी तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं जो स्वंय पूर्ण परमात्मा ही होता है। गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञानदाता ने तत्वदर्शी सन्त की खोज करने के लिए कहा है।
■ Also Read: मीरा बाई की जीवनी, मीरा बाई की मृत्यु कैसे हुई?
Diwali Festival: तत्वदर्शी संत की क्या पहचान है?
Diwali Festival: श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 15 श्लोक 1-4, 16,17 के अनुसार तत्वदर्शी संत वह है जो संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी भागों को स्पष्ट बताएगा वह तत्वदर्शी संत होगा। तत्वदर्शी संत सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रन्थों में छुपे हुए गूढ़ रहस्यों को भक्त समाज के समक्ष उजागर करता हैं। यजुर्वेद अध्याय 19 का मंत्र 25, 26 में भी पूर्ण तत्वदर्शी सन्त की पहचान दी है। साथ ही गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में ॐ-तत-सत तीन सांकेतिक मन्त्रों का ज़िक्र है जिनसे मुक्ति सम्भव है। ये मन्त्र भी एक पूर्ण तत्वदर्शी सन्त ही दे सकता है।
सतगुरु की पहचान संत गरीबदास जी की वाणी में:
गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरे बैन विनोद |
चार बेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध ||
पूर्ण संत चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण ज्ञात होता है वह उनका सार जानता है।
Diwali Festival: जाने पूर्ण परमात्मा कौन है?
Diwali Festival: ऋग्वेद मण्डल 9, सुक्त 82, मंत्र 1-3 के अनुसार पूर्ण परमेश्वर साकार है, मानव सदृश है, वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है। गीता जी, वेद, क़ुरान, बाइबल सभी धर्मों के सतग्रन्थों में अनेकों प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा कबीर जी ही हैं। कबीर परमात्मा ही सर्वोच्च, सर्वसुखदायक, आदि परमेश्वर हैं। वे बन्दीछोड़ हैं व पापों के नाशक हैं।
Diwali Festival: वर्तमान में पूरी पृथ्वी पर एकमात्र तत्वदर्शी सन्त है, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जो सभी धर्मों के ग्रन्थों से प्रमाणित गूढ़ रहस्यमयी ज्ञान बता रहे हैं। पूर्ण परमात्मा के बारे में और सच्ची भक्ति विधि के बारे में बता रहे हैं। इस संसार में एक पल का भरोसा नहीं अतः अतिशीघ्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से निशुल्क नाम-दीक्षा ले कर भक्ति करें। अधिक जानकारी के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल विज़िट करें।
■ Also Read: What is the difference between worship and devotion?