Ganesh Chaturthi [Hindi]: भाद्रपद मास शुक्लपक्ष की चतुर्थी से गणेश उत्सव प्रारम्भ होता है। चतुर्थी को गणेश जी की स्थापना होती है 10 दिन तक पूजन अर्चन चलने के बाद भाद्रपद मास की चौदहवीं तिथि को गणेश का विसर्जन कर दिया जाता है। गणेश उत्सव महाराष्ट्र व गुजरात के कुछ क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। पुणे क्षेत्र में गणेश उत्सव पर भव्य आयोजन होते हैं। इस बार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी 31 अगस्त से मनायी जायेगी।
Ganesh Chaturti: गणेश जी का जन्म कब और कैसे हुआ?
Ganesh Chaturti: भादौ माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था. आइए जानते हैं मंगलमूर्ति के जन्म से जुड़ी कहानी के बारे में. शिवपुराण के अनुसार भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती के उबटन से हुआ था. देवी ने अपने शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया.
Ganesh Chaturti: उस उबटन को उतारने के बाद उसे इकट्ठा कर उससे एक पुतला बना दिया. फिर उस पुतले में प्राण डालें. इस तरह गणपति का जन्म हुआ. इसके बाद माता पार्वती ने लंबोदर को आदेश दिया कि तुम द्वार पर बैठो और किसी को अंदर आने मत देना.
Ganesh Chaturti: कुछ देर बाद महादेव जब घर आए तो भगवान गणेश ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया. जिससे भगवान शिव क्रोधित हो उठे. दोनों के बीच युद्ध हो गया. इस लड़ाई में शिवजी ने अपने त्रिशूल से गणपति की गर्दन काट दी. इसके बाद जब माता पार्वती ने अपने बेटे को इस हालत में देखा तो वह विलाप करने लगीं. देवी ने भोलेनाथ से कहा कि आपने मेरे संतान का सिर क्यों काटा. महादेव ने पूछा कि यह आपका पुत्र कैसे हो सकता है.
Ganesh Chaturti: गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है?
Ganesh Chaturti: लोक मान्यता के अनुसार छत्रपति शिवाजी व बाल गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव की शुरूआत की उसके बाद से गणेश पूजन विसर्जन के उत्सव को मनाया जाता रहा है। अंग्रेजों द्वारा 1893 में राजनीतिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा देने के कारण भारतीय राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक ने इस त्योहार को पुनर्जीवित कर इसकी आड़ में राजनैतिक सभायें की। इससे पूर्व महाराष्ट्र में सात वाहन, चालुक्य व राष्ट्र कूट आदि राजाओं द्वारा इस प्रथा को जन्म दिया जा चुका था। इस पर्व को दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है ।
Ganesh Chaturthi [Hindi]: गणेश को किसी कार्य को निर्विघ्न रूप से सम्पन्न करने के लिये पूजा जाता है। लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं पाया जाता है। गणेश जी के पूजन के उपरान्त भी कितनी अप्रिय व दुखदायी घटनायें घटित होती रही हैं, और हो रही हैं।
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Ganesh Chaturthi: इससे क्या लाभ होते हैं?
Ganesh Chaturthi [Hindi]: गणेश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में संक्षिप्त कथा इस प्रकार है। शिवजी के पास अनेक गण थे पार्वती के पास कोई गण नहीं था अतः पार्वती ने अपने मैल से गणेश की उत्पत्ति की और दरवाजे पर यह कहकर बैठा दिया कि किसी को बिना अनुमति के अन्दर नहीं आने देना। त्रिलोकी भगवान शंकर जी आये गणेश ने रोका । शंकर ने गणेश की गर्दन काट दी फिर हाथी की सूढ़ को ऐन केन प्रकारेण जोड़ दिया। बाद में शंकर भगवान ने सभी देवताओं से पहले पूजा का आशीर्वाद दे दिया। शंकर जी के वचनानुसार भूमण्डल पर गणेश की प्रथम पूजा शुरू हो गयी।
Ganesh Chaturthi [Hindi]: यह है हमारे भगवानों के चरित्र, जिनकी हम रातदिन पूजा करते हैं जरा सी बात पर शंकर को गुस्सा आ गया और गणेश का सिर काट दिया सच्चाई पता लगने पर हाथी का सिर जोड़ा। गणेश की पूजा से यदि कोई फल मिलता होता तो सभी रिक्शा वाले गणेश की पूजा के बाद महल में निवास कर रहे होते और रिक्शा ना चलाना पड़ता।
Ganesh Chaturti: सन्त रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान की रोशनी से पता चलेगा कि पिछले पुण्य कभी भी प्रारब्ध बन जाग्रत हो सकते हैं जो भी फल मिलना होता है वह आपके पिछले पुण्यों व यथार्थ भक्ति की बजह से मिलता है। उदाहरण के लिये भारत के प्रधानमन्त्री मोदी का जन्म कर्म संस्कार वश एक निर्धन परिवार में हुआ, राहुल गांधी का जन्म पिछले कर्मसंस्कार वश राज घराने में हुआ दोनों ही पिछली पुण्यकर्मी आत्मायें है पर तुलनात्मक रूप से मोदी के पुण्य ज्यादा है।
परिणाम स्वरूप मोदी का दिमाग खूब काम कर रहा है जिस दिन पुण्यों का वेग समाप्त या कम दूसरे राजपद की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के मुकाबले होगा मोदी चाहकर भी प्रधानमन्त्री नहीं बन पायेगे। राजपद के दौरान मोदी के कर्मों से जिन जिन की आत्मा दुखी होगी या जाने अनजाने में जो पापकर्म बने होगे इसके लिये मोदी को उन पापों के भोग के लिये नरक व चौरासी में जाना पड़ेगा। कुछ पुण्य बचे होगे उनको जाकर स्वर्ग में भोगेगे ।
सन्तो की वाणी है
तप से राज राज मद मानम, जन्म तीसरे सूकर श्वानम्।
तपेश्वरी सो राजेश्वरी, राजेश्वरी सो नरकेश्वरी।
Ganesh Chaturthi सोनिया गांधी प्रधानमन्त्री बनते बनते रह गयी मनमोहन सिंह ने स्वप्न मे नहीं सोचा था कि उन्हें कभी प्रधानमन्त्री बनना है। प्रधानमन्त्री या कोई सा राजपद का भोग भोगने वाले सभी अपने पापों के लिये नरक जायेगे चाहे वह किसी गांव का प्रधान ही क्यों ना हो। आज कल की चकाचौंध ज़िन्दगी में हर किसी के लिये धर्म आधारित सुशासन दे पाना मुश्किल है। नरक का भोग समाप्त करने वाली साधना किसी गुरू के पास नहीं है सिवाय सन्त रामपाल जी महाराज के।
Ganesh Chaturti: गणेश चतुर्थी या कोई सा त्योहार मनाने की उपयोगिता क्या है?
Ganesh Chaturthi [Hindi]: प्रश्न चल रहा था कि गणेश चतुर्थी या कोई सा त्योहार मनाने की उपयोगिता क्या है। सन्त रामपाल जी महाराज के अनुसार यह सब यादगार तो हो सकती है इतिहास का हिस्सा भी पर इन साधनाओं से कोई सुख नही मिलता है।
Ganesh Chaturthi [Hindi]: आपके पूर्व जन्म के कर्मों से बना प्रारब्ध कब जाग्रत होगा यह आम व्यक्ति को सही से पता नहीं होता है। माना कि किसी का कोई कष्ट गणेश विसर्जन के बाद कट गया होगा तो यह सब मान लेते है गणेश ने काट दिया। यह नहीं समझ पाते है कि उस दौरान उस व्यक्ति का प्रारब्ध जगना था लिहाजा उसका श्रेय गणेश जी को मिल गया। बात तो तब मानी जाये जब गणेश विसर्जन के वक्त सभी का भाग्योदय एक साथ हो जाये सभी के कष्ट एक साथ कट जायें , सो होता नही है।
Ganesh Chaturthi [Hindi]: उसका कारण है समाज में व्याप्त गणेश व अन्य देवी देयताओं की पूजा शास्त्रोक्त ना होने के कारण कोई कष्ट कटता ही नहीं है। पर सन्त रामपाल जी महाराज द्वारा दान किये गये शास्त्रोक्त मन्त्रो से यदि पूरी सृष्टि के लोग एक साथ मर्यादा में रहकर जाप करें तो सभी के कष्ट कटेगें।
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पूर्ण परमात्मा कौन है? मुक्तिदाता कौन है?
Ganesh Chaturthi [Hindi]: सन्त रामपाल जी महाराज बताते हैं हमारे शरीर में रीड़ की हड्डी के साथ गुदा से थोड़ा ऊपर मूल कमल है, मूल कामल का प्रधान देव गणेश है। चार पंखुडियाँ का कमल है।
मूल चक्र गणेश वासा, रक्त वर्ण जहां जानिये।
किलियं जाप कुलीन तज सब, शब्द हमारा मानिये।।
Ganesh Chaturthi [Hindi]: मूल चक्र, जिसे मूलाधार कहते हैं ,यहां गणेश जी का निवास है। इस कमल का रंग लाल है। इसी तरह से ब्रह्मा, विष्णु, महेश, दुर्गा के भी कमल व शास्त्रोक्त मन्त्र हैं। शास्त्रोक्त मन्त्रो का ज्ञान सन्त रामपाल जी महाराज के अतिरिक्त किसी को नहीं है। हमारे शरीर में चक्र जिन्हें कमल भी कहा जाता हैं इन कमलों में विभिन्न भगवानों का वास है। यह कमल सन्त रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदत्त दिव्य यन्त्रों से कम समय में आसानी से खुल जाते है। व इस ब्रह्मांड के मूल देवी देयताओं के मूल मन्त्र के जाप से व सन्त रामपाल जी महाराज की कृपा से हर व्यक्ति को लाभ मिलता ही मिलता है।
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Ganesh Chaturthi [Hindi]: विस्तार से जानने के लिये आपको सन्त रामपाल जी महाराज की पुस्तक ज्ञान गंगा पढ़नी होगी। सन्त रामपाल जी महाराज आदि गणेश की पूजा का उपदेश करते है। आदि गणेश मतलब जो आदि भी अनादि भी है । आदि गणेश को मनाकर सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
आदि गणेश मनाऊं, गण नायक देवन देवा |
चरण कमाल ल्यौ लाऊं, आदि अंत करहुं सेवा ।।
Ganesh Chaturthi [Hindi]: आदि अनादि पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी है जिन्हें अपभ्रन्श रूप में विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। इन देवी देवताओं के मन्त्रों के जाप से संसारिक कष्ट तो कट जाते है पर आवागमन का चक्र खत्म करने के लिये आदिगणेश को मनाना होगा। आदि गणेश को मनाने के लिये तत्वदर्शी सन्त की शरण में जाना होगा। आज की तारीख में तत्वदर्शी सन्त सिर्फ जगदगुरु रामपाल जी महाराज ही है।
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