कलयुग में सतयुग
1. Kalyug Me Satyug: सतयुग की क्या पहचान है?
Kalyug Me Satyug: सत्ययुग उस समय को कहते हैं जिस युग में अधर्म नहीं होता चारों तरफ शांति ही शांति होती है । पिता से पहले पुत्र की मृत्यु नहीं होती , स्त्री विधवा नहीं होती । शरीर में किसी प्रकार का रोग नही होता। सर्व मानव भक्ति करते हैं और हर व्यक्ति परमात्मा से डरने वाला होते हैं क्योंकि वे आध्यात्मिक ज्ञान के सर्व कर्मों से परिचित होते हैं । मन , कर्म , वचन से किसी को पीड़ा नहीं देते तथा दुराचारी नहीं होते । पुरुष जति होते हैं तथा स्त्रियां सती होती हैं । वृक्षों की अधिकता होती हैं । सर्व मनुष्य वेदों के आधार से भक्ति करते हैं । सत्ययुग की अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष है। मनुष्य की आयु प्रारम्भ में दस लाख वर्ष होती है। अन्त में एक लाख वर्ष होती है। मनुष्य की ऊँचाई 21 हाथ यानि लगभग 100 से 150 फुट होती है। उस समय मनुष्य के हाथ (कोहनी से बड़ी ऊंगली के अंत तक) की लंबाई लगभग 5 फुट होती है।
2.Kalyug Me Satyug: कलयुग की क्या पहचान है?
Kalyug Me Satyug: कलियुग यानी काला युग, कलह-क्लेश का युग, जिस युग में सभी के मन में असंतोष हो, सभी मानसिक रूप से दुखी हों, वह युग ही कलियुग है। कलयुग में मानव की भक्ति के प्रति आस्था कम हो जाती है या तो भक्ति करते ही नहीं यदि करते हैं तो शास्त्र विधि त्याग कर मनमानी भक्ति करते हैं । जो श्रीमद्भगवत् गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में वर्जित हैं । जिस कारण से परमात्मा से जो लाभ मिलना चाहिए वह प्राप्त नहीं होता । इसलिए अधिकतर मनुष्य नास्तिक हो जाते हैं । धनी बनने के लिए लोग रिश्वत , चोरी , डाके डालने जैसे बुरे कामों को माध्यम बनाते हैं । परन्तु यह विधि धन लाभ की न होने के कारण वे सभी परमात्मा के दोषी हो जाते हैं तथा प्राकृतिक कष्टों को झेलते हैं । परमेश्वर के विधान को मानव भूल जाता है कि किस्मत से अधिक प्राप्त नहीं हो सकता । यदि अन्य अवैध विधि से धन प्राप्त कर लिया तो वह रहेगा नहीं । कलयुग की अवधि 4 लाख 32 हजार वर्ष होती है। मनुष्य की आयु एक हजार वर्ष से प्रारम्भ होती है, अंत में 20 वर्ष रह जाती है तथा ऊँचाई साढ़े तीन हाथ यानि 10 फुट होती है। अंत में 3 फुट रह जाती है।
3. वर्तमान समय में कलयुग का कौन सा चरण चल रहा है ?
Kalyug Me Satyug: वर्तमान में (सन् 1997 से) कलयुग की बिचली पीढ़ी चल रही है यानि कलयुग का दूसरा (मध्य वाला) चरण चल रहा है। इस समय कलयुग 5505 वर्ष बीत चुका है।
प्रमाण : हिन्दु धर्म में आदि शंकराचार्य जी का विशेष स्थान है। दूसरे शब्दों में कहें तो हिन्दु धर्म के सरंक्षक तथा संजीवन दाता आदि शंकराचार्य को माना गया है। उनके पश्चात् जो प्रचार उनके शिष्यों ने किया, उसके परिणामस्वरूप हिन्दु देवताओं की पूजा की क्रान्ति-सी आई है। उनके ईष्ट देव श्री शंकर भगवान हैं। उनकी पूज्य देवी पार्वती जी हैं। इसके साथ श्री विष्णु जी तथा अन्य देवताओं के वे पुजारी हैं।
पुस्तक ‘‘जीवनी आदि शंकराचार्य‘‘ में लिखा है कि आदि शंकराचार्य जी का जन्म 508 वर्ष ईशा जी से पूर्व हुआ था। Kalyug Me Satyug
फिर पुस्तक ‘‘हिमालय तीर्थ‘‘ में भविष्यवाणी की थी जो आदि शंकराचार्य जी के जन्म से पूर्व की है। कहा है कि आदि शंकराचार्य जी का जन्म कलयुग के तीन हजार वर्ष बीत जाने के पश्चात् होगा।
अब गणित की रीति से जाँच करके देखते हैं, वर्तमान में यानि 2012 में कलयुग कितना बीत चुका है?
आदि शंकराचार्य जी का जन्म ईशा जी के जन्म से 508 वर्ष पूर्व हुआ।
2012 में ईसा जी के जन्म को कितने वर्ष हो गए = 2012 वर्ष
शंकराचार्य जी को कितने वर्ष हो गए =2012 + 508 = 2520वर्ष।
ऊपर से हिसाब लगाएं तो शंकराचार्य जी का जन्म हुआ कलयुग 3000 वर्ष बीत जाने पर।
कुल वर्ष 2012 में कलयुग कितना बीत चुका है =3000़+2520=5520 वर्ष।
अब देखते हैं कि 5505 वर्ष कलयुग कौन-से सन् में पूरा होता है = 5520-5505 = 15 वर्ष 2012 से पहले।
2012-15 = 1997 ई. को कलयुग 5505 वर्ष पूरा हो जाता है। संवत् के हिसाब से स्वदेशी वर्ष फाल्गुन महीने यानि फरवरी-मार्च में पूरा हो जाता है।
विशेष :- वर्तमान में (सन् 1997 से) कलयुग की बिचली पीढ़ी चल रही है यानि कलयुग का दूसरा (मध्य वाला) चरण चल रहा है। इस समय कलयुग 5505 वर्ष बीत चुका है। कुछ वर्षों में परमेश्वर कबीर जी के ज्ञान का डंका सर्व संसार में बजेगा यानि कबीर जी के ज्ञान का बोलबाला होगा, खरबों जीव सतलोक जाएंगे। यह भक्ति युग एक हजार वर्ष तक तो निर्बाध चलेगा, उसके पश्चात् दो लाख वर्ष तक भक्ति में 50 प्रतिशत आस्था व्यक्तियों में रहेगी, भक्ति मंत्र यही रहेंगे। फिर एक लाख तीस हजार (130000) वर्ष तक तीस प्रतिशत व्यक्तियों में भक्ति की लगन रहेगी। यहाँ तक यानि ( 336500 वर्ष) तीन लाख छत्तीस हजार पाँच सौ वर्ष तक कलयुग का दूसरा चरण चलेगा।
इसके पश्चात् कलयुग का अंतिम चरण चलेगा। पाँच सौ (500) वर्षों में भक्ति चाहने वाले व्यक्ति मात्र 5ः रह जाएंगे। तीसरे चरण का समय पचानवे हजार पाँच सौ (95500) वर्ष रह जाएगा। फिर भक्ति चाहने वाले तो होगें, परंतु यथार्थ भक्तिविधि समाप्त हो जाएगी।
4. Kalyug Me Satyug: कलयुग के अंत समय का माहौल कैसा होगा?
Kalyug Me Satyug: मनुष्य की औसत आयु 20 वर्ष ही रह जाएगी : पांच वर्ष की उम्र में स्त्री गर्भवती हो जाया करेगी। 16 वर्ष में लोग वृद्ध हो जाएंगे और 20 वर्ष में मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। इंसान का शरीर घटकर बौना हो जाएगा। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि कलियुग में ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी, युवावस्था समाप्त हो जाएगी। कलि के प्रभाव से प्राणियों के शरीर छोटे-छोटे, क्षीण और रोगग्रस्त होने लगेंगे।
Kalyug Me Satyug: श्रीमद्भागवत गीता के द्वादश स्कंध में श्री शुकदेव परीक्षित से कहते हैं, ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा, त्यों-त्यों उत्तरोत्तर धर्म, सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, आयु, बल और स्मरणशक्ति का लोप होता जाएगा। लोगों की आयु भी कम होती जाएगी जैसे जैसे कलियुग बढ़ता चला जाएगा। कलयुग के अंत में जिस समय कल्कि अवतार अवतरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष होगी। चारों वर्णों के लोग क्षुद्रों (बौनो) के समान हो जाएंगे। गौएं भी बकरियों की तरह छोटी छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएगी।
Kalyug Me Satyug: कलियुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी कि अन्न नहीं उगेगा। लोग मछली-मांस ही खाएंगे और भेड़ व बकरियों का दूध पिएंगे। गाय तो दिखना भी बंद हो जाएगी। होगी तो वह बकरी समान होगी। एक समय ऐसा आएगा, जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे। धीरे-धीरे ये सारी चीजें विलुप्त हो जाएंगी। गाय दूध देना बंद कर देगी। स्त्रियां कठोर स्वभाव वाली व कड़वा बोलने वाली होंगी। वे पति की आज्ञा नहीं मानेंगी। जिसके पास धन होगा उसी के पास स्त्रियां रहेगी। मनुष्यों का स्वभाव गधों जैसा हो जाएगा, केवल गृहस्थी का भार ढोने वाला रह जाएगा। धर्म-कर्म का लोप हो जाएगा। मनुष्य नास्तिक व चोर हो जाएंगे।
Kalyug Me Satyug: सभी एक-दूसरे को लूटने में लगे रहेंगे। कलियुग में समाज हिंसक हो जाएगा। जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी। रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का ही शत्रु हो जाएगा। जुआ, शराब, परस्त्रिगमन और हिंसा ही धर्म होगा।
पुत्र, पिता का और पिता पुत्र का वध करके भी उद्विग्न नहीं होंगे। उस समय सारा जगत् म्लेच्छ हो जाएगा।
कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जाएंगे। अनैतिक साहित्य ही लोगों की पसंद हो जाएगा। बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा। स्त्री और पुरुष, दोनों ही अधर्मी हो जाएंगी। स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे। स्त्री और पुरुषों से संबंधित सभी वैदिक नियम विलुप्त हो जाएंगे।
5. Kalyug Me Satyug: कलयुग से सतयुग कैसे बनेगा?
Kalyug Me Satyug: वर्तमान में सन् 1997 से 3000 ईशवी तक पुनः सत्ययुग जैसा वातावरण, आपसी प्रेम का माहौल बनेगा। फिर से फलदार वृक्ष तथा छायादार वृक्ष लगाए जाएंगे। फैक्ट्रियां धुँआ रहित होंगी। फिर बंद हो जाऐंगी। लोग हाथ से बने कपड़े पहनेंगे। मिट्टी या स्टील के बर्तन प्रयोग करेंगे जो छोटे कारखानों में मानव चालित यंत्रों से तैयार होंगे जो मानव संचालित अहरण की तरह चलेंगे। पशुधन बढ़ेगा। सब मानव मिलकर पूरी पृथ्वी को उपजाऊ बनाने में एकजुट होकर कार्य करेंगे। कोई धनी व्यक्ति अहंकारी नहीं होगा। वह अधिक धन दान में देगा।
Kalyug Me Satyug: जो अधिक धन संग्रह करेगा, उसे मूर्ख कहा जाएगा। उसको ज्ञान समझाकर सामान्य जीवन जीने की प्रेरणा दी जाएगी जिसको वह स्वीकार करेगा। सामान्य जीवन जीने वाले और भक्ति, दान धर्म करने वालों की प्रशंसा हुआ करेगी। पश्चिमी देशों (अमेरिका, इंग्लैंड आदि-आदि) वाली सभ्यता समाप्त हो जाएगी। स्त्री-पुरूष पूरे वस्त्र पहना करेंगे। सुखमय जीवन जीएंगे। एक-दूसरे की सहायता अपने परिवार की तरह करेंगे। कलयुग में सतयुग एक हजार वर्ष तक चलेगा। इसका 50% प्रभाव 2 लाख वर्ष तक तथा 30% प्रभाव एक लाख तीस हजार वर्ष तक रहेगा।
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Kalyug Me Satyug: अंत के 95500 (पचानवे हजार पाँच सौ) वर्षों में 95%व्यक्ति कृतघ्नी, मर्यादाहीन, दुष्ट हो जाऐंगे। कच्चा माँस खाने लगेंगे। आयु बहुत कम यानि 20 वर्ष रह जाएगी। मानव की लंबाई 2 से 3 फुट तक रह जाएगी। 5 वर्ष की लड़की को बच्चा पैदा होगा। 80% व्यक्ति 15 वर्ष की आयु में मर जाया करेंगे। फिर एकदम पृथ्वी पर बारिश से पानी-पानी हो जाएगा। कुछ व्यक्तियों को कल्कि (निःकलंक) अवतार मार देगा, कुछ बाढ़ में मर जाऐंगे।
Kalyug Me Satyug: बचे हुए व्यक्ति ऊँचे स्थानों पर निवास करेंगे। पृथ्वी पर सौ-सौ फुट तक पानी हो जाएगा। धीरे-धीरे पानी सूखेगा। पृथ्वी पर पेड़ (वन) उगेंगे। फिर जमीन उपजाऊ होगी। कलयुग के अंत में धरती के 3 फुट नीचे तक उपजाऊ अंश समाप्त हो जाएगा। पानी के कारण वह विष पृथ्वी से बाहर पानी के ऊपर आएगा। पृथ्वी फिर से उपजाऊ होगी और पुनः सत्ययुग की शुरूआत होगी।
कैसे होगा कलयुग में सतयुग: वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज के साधक नाम दीक्षा लेकर सभी सामाजिक बुराइयों को छोड़ 16 गुण धारण कर रहे हैं। जो इस प्रकार हैं।
1.ज्ञान 2.विवेक 3.सत्य बोलना 4.संतोष रखना 5.प्रेम भाव से रहना 6.धीरज 7.किसी से धोखा ना करना 8.दया 9.क्षमा 10.शील 11.निष्कर्मा 12.त्याग 13.बैराग 14.शांति निज धर्मा 15.भक्ति करना 16.सबको मित्र समझना।
Kalyug Me Satyug: यह तो केवल शुरुआत है। आगे आने वाले समय में पूरा विश्व संत रामपाल जी महाराज से नाम लेगा जैसा कि भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणियां की हैं। कोई खतरनाक बीमारियां नहीं होंगी। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में रहने पर कैंसर क्या कैंसर का बाप भी ठीक होगा। फलदार वृक्ष होंगे, कोई फैक्ट्रियां या धुआं नहीं होगा। ना कोई दहेज लेगा ना देगा। ना कोर्ट कचहरी, ना सास बहू में झगड़ा, ना मार काट होगी, सभी प्यार से रहेंगे, सतभक्ती का माहौल होगा, अलग-अलग धर्म नहीं होंगे, एक झंडा होगा, एक भाषा होगी, ना अमीर ना गरीब होगा। एक परमात्मा होगा।
6.Kalyug Me Satyug: कौन महापुरुष कलयुग में सतयुग लायेगा?
कबीर परमात्मा ने स्वसमवेद बोध पृष्ठ 171 (1515) पर एक दोहे में इसका वर्णन किया है, जो इस प्रकार है:-
पाँच हजार अरू पाँच सौ पाँच जब कलयुग बीत जाय।
महापुरूष फरमान तब, जग तारन कूं आय।
हिन्दु तुर्क आदि सबै, जेते जीव जहान।
सत्य नाम की साख गही, पावैं पद निर्वान।
सबही नारी-नर शुद्ध तब, जब ठीक का दिन आवंत।
कपट चातुरी छोडी के, शरण कबीर गहंत।
एक अनेक ह्नै गए, पुनः अनेक हों एक।
हंस चलै सतलोक सब, सत्यनाम की टेक।
भावार्थ:- जिस समय कलयुग पाँच हजार पाँच सौ पाँच वर्ष बीत जाएगा, तब एक महापुरूष विश्व को मोक्ष दिलाने के लिए आएगा। हिन्दु, मुसलमान आदि जितने भी पंथ हैं सब खत्म हो जाएंगे और जितने जीव संसार में हैं, वे मानव शरीर प्राप्त करके उस महापुरूष से सत्यनाम लेकर मोक्ष प्राप्त करेंगे। जिस समय वह निर्धारित समय आएगा। उस समय स्त्री-पुरूष उच्च विचारों तथा शुद्ध आचरण के होकर कपट, व्यर्थ की चतुराई त्यागकर मेरी (कबीर जी की) शरण ग्रहण करेंगे। वर्तमान समय में जिस प्रकार से लाभ लेने के लिए एक ‘मानव‘ धर्म से अनेक पंथ (धार्मिक समुदाय) बन गए हैं, वे सब पुनः एक हो जाएंगे। सब हंस (निर्विकार भक्त) आत्माऐं सत्यनाम की शक्ति से सतलोक चले जाएंगे।
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7. Kalyug Me Satyug: आखिर कौन है वह महापुरुष?
Kalyug Me Satyug: आज के समय में कितने ही धर्मगुरु हो चुके हैं, परन्तु सभी मनमाना आचरण तथा शास्त्र विरुद्ध साधना बताते हैं जिससे ना तो कर्म बंधनों से छुटकारा हो सकता है और ना ही मोक्ष प्राप्ति संभव है। क्योंकि केवल अधिकारी (पूर्ण संत) द्वारा वेदों में वर्णित किए गए नाम व मंत्रो से ही मोक्ष प्राप्ति हो सकती है।
वर्तमान समय में वह पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज ही हैं। विश्व में केवल वही एकमात्र संत हैं जो सभी धर्म ग्रंथों (गीता, बाइबल, कुरान, ऋगवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद, कबीर सागर, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी) में प्रमाणित साधना विधिवत बताते हैं। पूर्ण सतगुरु की पहचान भी वेदों में वर्णित है जो इस प्रकार है।
सतगुरु के लक्षण कहुं, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद छठ शास्त्र, कहे अठारह बोध।
गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में भी पूर्ण सतगुरु द्वारा प्रदान करने वाली भक्ति विधिं बताई गई है:-
ऊँ तत् सत् इति निर्देशः ब्रह्मणः त्रिविधः स्मृतः।
ब्राह्मणाः तेन वेदाः च यज्ञाः च विहिताः पुरा।।
सरलार्थ:- उस परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति केवल ओम, तत्, सत् मन्त्र के स्मरण से संभव है तथा विद्वान् अर्थात् तत्वदर्शी सन्त ही उसको देने का अधिकारी है।
भगवत गीता के अनुसार पूर्ण संत की पहचान:
पूर्ण संत की पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में बताई गई है कि जो संत इस संसार रूपी उल्टे लटके हुए पीपल के वृक्ष के एक-एक विभाग को तत्व से जानता है, वही पूर्ण संत है। इसके अलावा और भी कई जगह पूर्ण संत के बारे में बताया गया है जैसे:
सोए गुरु पूरा कहावे, जो दो अक्षर का भेद बतावे।
एक छुड़ावे एक लखावे, तो प्राणी निज घर को पावे।
सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही दो अक्षर का (सतनाम) मंत्र सही विधि के साथ देते हैं और सारशब्द का तो किसी को ज्ञान ही नहीं है, संत रामपाल जी महाराज को छोड़ कर। हमारे धार्मिक ग्रंथों में बताया है कि जो संत, विधि अनुसार नाम दीक्षा देगा, वही पूर्ण संत होगा तथा वह तीन चरण में दीक्षा देगा। इसके साथ ही कितनी ही भविष्यवाणियां भी संत रामपाल जी महाराज पर सटीक बैठती हैं।
फ्रांस के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता मिशेल दि नास्त्रेदमस ने अपनी पुस्तक में उस महापुरुष (संत रामपाल जी महाराज) के बारे में कई भविष्यवाणियां की हैं।
•उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि वह महापुरुष एक ऐसे देश में जन्म लेगा जो तीन तरफ से समुद्र से घिरा होगा तथा वह एक सागर, हिंद महासागर के नाम पर होगा और हिंदुस्तान ही एकमात्र देश है जो तीन ओर से सागर से घिरा हुआ है।
•वह महापुरुष ऐसे प्रांत में जन्म लेगा जिसमें पांच नदियां बहती हैं और वह प्रांत पांच आब अर्थात पंजाब है।
•उस महापुरुष की चार संतान होंगी जिसमें 2 पुत्र तथा दो पुत्रियां होंगी।
•उस महापुरुष की माता, तीन बहने होंगी तथा उसका ज्ञान सुनकर सबको उसके आगे नतमस्तक होना पड़ेगा।
•उस महापुरुष पर देशद्रोह का झूठा मुकदमा चलाया जाएगा। वह महापुरुष ना क्रिश्चियन होगा, ना मुसलमान अपितु केवल हिंदू होगा।
Kalyug Me Satyug: न्यूजर्सी अमेरिका की प्रसिद्ध महिला भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने 1960 में अपनी पुस्तक ‘गोल्डन लाइट ऑफ न्यू एरा’ में उस दिव्य महापुरुष के बारे में वर्णन करते हुए कहा है कि जब भी वह ध्यान लगाती हैं तो एक दिव्य पुरुष को देखती हैं। वह संत गौरेे वर्ण का है। उसके सर पर सफेद बाल हैं। उसके ना दाढ़ी है ना मूंछ। उनके ललाट पर प्रकाश से निरंतर प्रकाश की किरणें बरसती रहती हैं। वह संत धरती को स्वर्ग बनाने के लिए दिन-रात प्रयत्न कर रहे हैं तथा वह संत उत्तरी भारतवर्ष के पवित्र स्थान पर मौजूद है।
Kalyug Me Satyug: इंग्लैंड के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता किरो ने 1925 में उस संत के बारे में भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा सन् 1950 के पश्चात यानी 1951 में जन्मा संत ही विश्व में नई सभ्यता लाएगा। वह व्यक्ति संसार में ज्ञान क्रांति ला देगा।
अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता जीन डिक्शन ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि एक ग्रामीण परिवार के व्यक्ति के नेतृत्व में पूरे विश्व में सतयुग का माहौल हो जाएगा।
उपरोक्त भविष्यवाणियां संत रामपाल जी महाराज पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। उनका जन्म एक ग्रामीण परिवार में 8 सितंबर 1951 में धनाना प्रांत (रोहतक) में हुआ। इनकी चार संताने हैं तथा इनकी माता तीन बहने हैं। उन पर झूठे आरोप भी लगाए गए हैं तथा देशद्रोह का केस । वह विश्व में एकमात्र संत है जिनके जेल में होने के बावजूद उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती जा रही है।