गुड़ी पड़वा इस साल 22 मार्च 2023, को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहते हैं।
Gudi padwa: गुड़ी पड़वा से जुड़ी पौराणिक कथा (Story of Gudi Padwa in Hindi)
Gudi padwa: दक्षिण भारत में गुड़ी पड़वा का त्यौहार काफी लोकप्रिय है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक सतयुग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन हुआ करता था। जब भगवान श्री राम को पता चला कि लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया है तो उनकी तलाश करते हुए जब वे दक्षिण भारत पहुंचे तो यहां उनकी उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई।
सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन से अवगत करवाते हुए उनकी
सहायता करने में अपनी असमर्थता जाहिर की। इसके बाद भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया। मान्यता है कि वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का था। इसी कारण इस दिन गुड़ी यानि विजय पताका फहराई जाती है।
एक अन्य कथा के मुताबिक शालिवाहन ने मिट्टी की सेना बनाकर उनमें प्राण फूंक दिये और दुश्मनों को पराजित किया। इसी दिन शालिवाहन शक का आरंभ भी माना जाता है। इस दिन लोग आम के पत्तों से घर को सजाते हैं।
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व महाराष्ट्र में इसे लेकर काफी उल्लास होता है।
गुड़ी पड़वा 2023 (Gudi Padwa) पर्व का आरम्भ व उपलक्ष्य
गुड़ी पड़वा की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी तथा यही नववर्ष का आरम्भ माना गया। हालांकि यह असत्य है क्योंकि सृष्टि की रचना परम अक्षर ब्रह्म कविर्देव जी ने की थी। यही प्रमाण वेदों, बाइबल एवं कुरान में भी है कि परमात्मा ने मात्र छह दिनों में सृष्टि की रचना की एवं तख्त पर जा विराजा। भारत में सबसे पहली बार मराठों ने इसे मनाना शुरू किया।
छत्रपति शिवाजी ने अपनी विजय के बाद इस त्योहार को सबसे पहली बार मनाया था। पुरानी घटनाओं को लेकर त्योहार तो मनाने प्रारम्भ कर दिए जाते हैं किन्तु इनका शास्त्रों में कोई महत्व ना होने से ये शास्त्रविरुद्ध साधनाएँ हैं।
Gudi padwa: ब्रह्मा जी नहीं हैं सृष्टि के रचयिता
Gudi padwa: आमतौर पर जनसाधारण में यह गलत धारणा विकसित है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की है। लेकिन ऐसा नही है। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना नहीं की क्योंकि वे तो स्वयं ही माता आदिशक्ति एवं पिता ज्योति निरंजन (ब्रह्म) के पुत्र हैं। यदि उन्होंने सृष्टि रची होती तो वे अपने माता-पिता के भी जनक होते। वास्तव में इस सृष्टि को परम अक्षर ब्रह्म कबीर साहेब ने रचा था।
असंख्यों लोकों, पदार्थों के साथ हम सभी आत्माओं को उन्होंने अपनी शब्द शक्ति से उत्पन्न किया था। हम सभी आत्माएं सतलोक में बड़े ही आनंद के साथ रहते थे। बाद में हम आत्माएं आसक्त होकर ज्योति निरंजन के साथ इस लोक में चले आए। अब हमें पुनः अपने वास्तविक घर सतलोक लौटना है यही मोक्ष है।
ब्रह्मा जी तो केवल रजगुण के स्वामी हैं एवं मात्र तीन लोकों में सृष्टि निर्माण के पश्चात हो रही जीव उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी हैं।
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