Special Day

Jallianwala Bagh Massacre: जलियांवाला बाग हत्याकांड: नरसंहार के 103 साल

Jallianwala Bagh Massacre: बर्बर खूनी दास्तां का गवाह है यह बाग


Jallianwala Bagh Massacre आज ही के दिन 103 साल पहले सन 1919 में हुआ था जलियांवाला बाग हत्याकांड। भारतीय इतिहास में कुछ ऐसी तारीख हैं जिनको कभी नहीं भुलाया जा सकता और 13 अप्रैल 1919 उन्हीं तारीखों में से एक है जो ब्रिटिश शासन के अमानवीय चेहरे को सामने लाती हैं।
दिसंबर 1919 में अमृतसर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ जिसमें किसानों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। यह स्पष्ट है कि इस नरसंहार ने आग में घी डालने का काम किया था। लोगों में दमन के विरोध और स्वतंत्रता के प्राप्ति की इच्छा शक्ति को और भी ज्यादा प्रबल किया था।

आज के इस लेख में हम यह जानेंगे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कैसे हुआ। उसके क्या कारण और क्या प्रभाव रहे। इन दिनों कोरोनावायरस महामारी के कारण जलियांवाला बाग को जून तक बंद किया गया हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि यहां पर कोई कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा। पहली बार सन्नाटा कुर्बान हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देगा।
निर्माण कार्य के कारण जलियांवाला बाग को 15 फरवरी को बंद किया गया था लेकिन 13 अप्रैल को यह खोला जाना था। लेकिन कोरोनावायरस के लगातार बढ़ते मामलों के कारण अभी भी यह बंद ही रहेगा।

Jallianwala Bagh Massacre: जलियांवाला बाग हत्याकांड

यह किस्सा 13 अप्रैल 1919 का हैं जब एक प्रतिबंधित मैदान में हो रहे जनसभा में एकत्रित भीड़ पर बगैर किसी चेतावनी के जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश सैनिकों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी। यह जनसभा जलियांवाला बाग में हो रही थी इसलिए इसे जलियांवाला बाग हत्याकांड भी बोला जाता हैं। इस जनसभा की मुखबिरी हंसराज नामक भारतीय कर रहे थे।

13 अप्रैल को यहां एकत्रित भीड़ दो राष्ट्रीय नेताओं सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी का विरोध कर रही थी। अचानक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल डायर ने अपनी सेना को नियत की भीड़ पर तितर-बितर होने का मौका देखकर गोली चलाने का आदेश दे दिया। लगातार 10 मिनट तक गोलीबारी होती रही जब तक वह लोग खत्म नहीं हुए।
कांग्रेस की गणना के अनुसार 10 मिनट तक हुई गोलीबारी में 1000 लोग मारे गए और लगभग 2000 लोग घायल हो गए।
उन गोलियों के निशान आज भी जलियांवाला बाग में देखे जा सकते हैं। जलियांवाला बाग को अब राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया हैं।

यह नरसंहार पूर्व नियोजित था। जनरल डायर ने गर्व के साथ यह घोषित किया कि उसने सभी को सबक सिखाने के लिए यह सब किया हैं अगर वह लोग सभा जारी रखते तो वह सब को मार डालते हैं। उन्हें अपने किए पर कोई शर्मिंदगी तक नहीं हैं।
एक ब्रिटिश अखबार में इसे आधुनिक इतिहास का सबसे ज्यादा खून खराबे वाला नरसंहार कहा हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इसकी तारीफ भी करते हैं।

Jallianwala Bagh Massacre: पहली बार अंग्रेज कब और क्यों भारत आए?

21 वर्ष बाद 13 मार्च 1940 को एक क्रांतिकारी भारतीय उधम सिंह ने माइकल ओ डायर को गोली मारकर हत्या कर दी क्योंकि जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय वही पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर था। भारतीय संघ के लोगों में इतना गुस्सा था कि जिसे दबाने के लिए सरकार को पुणे बर्बरता का सहारा लेना पड़ा।

jallianwala Bagh Massacre: पंजाब के लोगों पर इतने अत्याचार किए गए लोगों को खुले पिंजरे में रखा गया और कोड़े बरसाए गए। अखबारों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था उनके संपादकों को या तो जेल में डाल दिया गया या उन्हें निर्वाचित कर दिया गया। एक आतंक का साम्राज्य जैसा कि 1857 के विद्रोह के दमन के दौरान पैदा हुआ था चारों तरफ फैला हुआ था।
रविंद्र नाथ टैगोर ने अंग्रेजों द्वारा उन्हें प्रदान की गई “नाइटहुड” की उपाधि तक वापस कर दी थी।
Jallianwala Bagh Massacre: यह नरसंहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित करता हैं।

jallianwala Bagh Massacre: 13 अप्रैल 1919 का वह दिन था जो हर भारतीय को सदियों के लिए एक गहरा जख्म दे गया. आज भी उस नृशंस घटना को याद कर लोग सिहर उठते हैं. यह घटना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ था. यह घटना अंग्रेजी राज का क्रूर और दमनकारी चेहरा सामने लेकर आई थी. कई इतिहासकारों का मानना है कि इस घटना के साथ ही अंग्रेजों के नैतिक पराजय की शुरुआत हुई थी. जानें जनरल डायर और उसकी क्रूरता की कहानी.

जनरल डायर की क्रूरता का पहला उदाहरण नहीं था 

jallianwala Bagh Massacre: जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम देने वाले जनरल डायर की क्रूरता की कई कहानियां इतिहास में दर्ज हैं. जनरल ओ डायर को साल 1913 में पंजाब के लाला हरकिशन लाल के पीपुल्स बैंक की बर्बादी के लिए भी दोषी माना जाता है. इसके चलते लाहौर के व्यापारियों और ख़ासतौर पर शहरी इलाके में रहने वाले लोगों का सब कुछ बर्बाद हो गया था. जनरल डायर बेहद क्रूर और विद्रोहों को कुचलने वाले अधिकारी थे. आयरलैंड मूल के इस अधिकारी को शिक्षितों, साहूकारों और व्यापारियों से भी सहानुभूति नहीं थी. 

जनरल डायर

Also Read : सरदार भगत सिंह का जीवन परिचय।

Jallianwala Bagh Massacre: जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मरे?


jallianwala Bagh Massacre: जलियांवाला बाग हत्याकांड के दौरान हुई मौतों की संख्या पर कोई भी अधिकारी डाटा नहीं था लेकिन अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची हैं।
ब्रिटिश राज्य के अभिलेख में इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 400 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार की हैं। जिसमें से 337 पुलिस तथा 41 नाबालिक लड़के और एक 6 सप्ताह का बच्चा था।
अनधिकृत आंकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 लोग घायल हुए।

Also Read : Story behind making of Udham Singh

Video Credit : BBC Hindi News YouTube

दिसंबर 1919 में अमृतसर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था जिसमें बड़ी संख्या में किसानों सहित अन्य लोगों ने भी भाग लिया। जिससे यह स्पष्ट है कि इस नरसंहार ने आग में घी डालने का काम किया था। लोगों में दमन के विरोध और स्वतंत्रता की इच्छा की प्राप्ति शक्ति को और ज्यादा प्रबल कर दिया था।

Nity

Recent Posts

BSNL का सबसे किफायती ऑफर, अब Airtel और Jio के छूटे पसीने! सिर्फ 5 रुपए में BSNL का सुपरहिट प्लान, हर किसी की पहली पसंद!

सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड) लगातार एक से बढ़कर एक किफायती प्रीपेड…

1 week ago

Govinda Shot: गोविंदा को पैर में लगी गोली, अपनी ही बंदूक से हुए जख्मी, फैंस में चिंता

गोविंदा के मैनेजर शशि सिन्हा ने बताया कि अभिनेता अपनी रिवॉल्वर को केस में रख…

4 months ago

Indian Army Day in Hindi: 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है भारतीय सेना दिवस, इतिहास जाने

Indian Army Day in Hindi: 15 जनवरी का दिन भारत के लिए अहम दिन होता…

1 year ago

National Youth Day: नेशनल युवा दिवस कब और क्यों मनाया जाने लगा, जानिए इसका इतिहास।

National Youth Day: राष्ट्रीय युवा दिवस (स्वामी विवेकानंद जन्म दिवस) National Youth Day: हर वर्ष…

1 year ago

Gadi Ke Number Se Malik Ka Name गाड़ी नंबर से मालिक का नाम जानें, घर बैठे चेक करें

Gadi Ke Number Se Malik Ka Name गाड़ी नंबर से मालिक यहां से घर बैठे…

1 year ago

Kabir Saheb Nirvan Diwas: कबीर जी ने पाखंडवाद का पर्दाफाश कर, दिया प्रेम और सद्भावना का संदेश

Kabir Saheb Nirvan Divas: कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस: यह परमात्मा की ही दया है कि…

1 year ago

This website uses cookies.