Updated on 29 Dec 2022
Mirabai Story in Hindi: कृष्ण भक्ति में लीन रहने वाली मीराबाई को राजस्थान में सब जानते ही होंगे। आज हम जानेंगे कि मीराबाई का जन्म कब और कहां हुआ? {Mirabai Story in Hindi} मीराबाई के गुरु कौन थे? कृष्ण भक्ति से क्या लाभ मिला? मीराबाई ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया। गुरु बनाना क्यों आवश्यक है? आइए जानते हैं।
Mirabai Story in Hindi: मीरा का जन्म राजस्थान के एक राजघराने में हुआ था। उनका जन्म जन्म मेड़ता में 1498 में हुआ और मृत्यु 1547 में हुई। मीराबाई एक मध्यकालीन हिंदू आध्यात्मिक कवयित्री और कृष्ण भक्तों की भक्ति आंदोलन के सबसे लोकप्रिय भक्ति संतों में से एक थी। भगवान श्री कृष्ण को समर्पित उनके भजन आज भी उत्तर भारत में बहुत ही लोकप्रिय हैं और श्रद्धा के साथ आज भी गाए जाते हैं।
मीराबाई के जीवन के बारे में तमाम पौराणिक कथाएं और कविताएं प्रचलित हैं। मीराबाई बहुत ही बहादुर थी, उन्होंने कृष्ण भक्ति के लिए समाज से बहुत संघर्ष किया और कृष्ण को अपना पति मान कर उनकी भक्ति में लीन हो गई। उनके ससुराल पक्ष में उनकी कृष्ण भक्ति को राजपुरा घराने के अनुकूल नहीं माना और उनके द्वारा समय-समय पर मीराबाई पर बहुत अत्याचार किए गए।
Mirabai Story in Hindi: भारतीय परंपरा में भगवान कृष्ण के गुणगान में लिखी कविताओं का संबंध रास के साथ जोड़ा जाता है। विद्वान लोग ऐसा मानते हैं कि कुछ कविताएं ही मीरा द्वारा रचित हैं। बाकी कविताएं 18 वीं शताब्दी में हुई प्रतीत होती है। मीराबाई का जीवन आधुनिक युग में कई फिल्मों, साहित्य और कॉमिक्स का विषय रहा है।
कृष्ण भक्ति में लीन मीराबाई का जीवन बहुत ही संघर्षों से भरा रहा है। क्योंकि समाज और उनके परिवार वाले उनके इस कृष्ण भक्ति के विरोधी थे।
Mirabai Story in Hindi: मीराबाई का जन्म एक राजघराने में हुआ। उनके पिता रतन सिंह राठौड़ एक छोटे से राजपूत रियासत के शासक थे। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। मीराबाई छोटी थी, जब उनकी माता ने खेल-खेल में मीरा को कहा कि यह कृष्ण ही तेरा पति है, तब से ही वीराने सच में कृष्ण भगवान को ही अपना पति मान लिया और उनको अपने हमेशा साथ रखती थी।
धीरे-धीरे जब वह बड़ी हुई ,तब उनकी शादी कर दी गई। मीराबाई का विवाह राणा सांगा के पुत्र और मेवाड़ के राजकुमार भोज के साथ 1516 में संपन्न हुआ। मीराबाई शादी नहीं करना चाहती थी ,लेकिन परिवार के दबाव में उन्हें शादी करनी पड़ी। उनके पति बहुत अच्छे थे। वह मीरा को मंदिर जाने से नहीं रोकते थे।
साथ में दो-चार दासियों को भी भेजते थे। मीराबाई कृष्ण जी की पूजा करने के लिए रोज मंदिर जाती थी, साधु-संतों से मिलती थी । कुछ ही समय में मीराबाई के पति का देहांत हो गया। उसके बाद शासन उनके देवर ने संभाला।
मीराबाई के देवर लोक लाज के कारण मीराबाई पर बहुत रोक टोक करने लगे।
Mirabai Story in Hindi: मीराबाई के पति की मृत्यु होने के बाद भी वह लगातार कृष्ण भक्ति में लीन रही, दिनों दिन भक्ति में रूचि बढ़ती गई। मीराबाई अक्सर मंदिरों में जाकर कृष्ण भक्तों के सामने कृष्ण की मूर्ति के सामने नाचती थी। यह सब मीराबाई के देवर को अच्छा नहीं लगता था। लोग उनकी बातें बनाते थे।
इसी लोक लाज के कारण उनके देवर ने उन्हें कई बार मारने की कोशिश की। विष देकर मारने की कोशिश की। उन्हें मारने के लिए सर्प छोड़ा, लेकिन मीरा बाई किसी भी तरह नहीं मरी।
प्रश्न:- हे महात्मा जी! आज तक मैंने किसी से नहीं सुना कि श्री कृष्ण जी से ऊपर भी कोई परमात्मा है। आज आपके मुख से सुनकर मैं दोराहे पर खड़ी हो गई हूँ। मैं मानती हूँ कि संत झूठ नहीं बोलते। परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि आपके धार्मिक अज्ञानी गुरूओं का दोष है जिन्हें स्वयं ज्ञान नहीं कि आपके सद्ग्रन्थ क्या ज्ञान बताते हैं? देवी पुराण के तीसरे स्कंद में श्री विष्णु जी स्वयं स्वीकारते हैं कि मैं (विष्णु), ब्रह्मा तथा शंकर नाशवान हैं। हमारा आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होता रहता है।
Mirabai Story in Hindi: मीराबाई बोली कि हे महाराज जी! भगवान श्री कृष्ण मुझे साक्षात दर्शन देते हैं। मैं उनसे संवाद करती हूँ। कबीर जी ने कहा कि हे मीराबाई जी! भगवान श्री कृष्ण जी से ही पूछ लेना कि आपसे ऊपर भी कोई मालिक है। वे देवता हैं, कभी झूठ नहीं बोलेंगे। मीराबाई को लगा कि वह पागल हो जाएगी। यदि श्री कृष्ण जी से भी ऊपर कोई परमात्मा है तो।
Mirabai Story in Hindi: रात्रि में मीरा जी ने भगवान श्री कृष्ण जी का आह्वान किया। त्रिलोकी नाथ प्रकट हुए। मीरा ने अपनी शंका के समाधान के लिए निवेदन किया कि हे प्रभु! क्या आपसे ऊपर भी कोई परमात्मा है। एक संत ने सत्संग में बताया है। श्री कृष्ण जी ने कहा कि मीरा! परमात्मा तो है, परंतु वह किसी को दर्शन नहीं देता। हमने बहुत समाधि व साधना करके देख ली है।
मीराबाई जी ने सत्संग में परमात्मा कबीर जी से यह भी सुना था कि उस पूर्ण परमात्मा को मैं प्रत्यक्ष दिखाऊँगा। सत्य साधना करके उसके पास सतलोक में भेज दूँगा।
मीराबाई ने श्री कृष्ण जी से फिर प्रश्न किया कि क्या आप जीव का जन्म-मरण समाप्त कर सकते हो? श्री कृष्ण जी ने कहा कि यह संभव नहीं। कबीर परमात्मा जी ने कहा था कि मेरे पास ऐसा भक्ति मंत्र है जिससे जन्म-मरण सदा के लिए समाप्त हो जाता है। वह परमधाम प्राप्त होता है।
Mirabai Story in Hindi: जिसके विषय में गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वज्ञान तथा तत्वदर्शी संत की प्राप्ति के पश्चात् परमात्मा के उस परमधाम की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आते। उसी एक परमात्मा की भक्ति करो। मीराबाई ने कहा कि हे भगवान श्री कृष्ण जी! संत जी कह रहे थे कि मैं जन्म-मरण समाप्त कर देता हूँ। अब मैं क्या करूं। मुझे तो पूर्ण मोक्ष की चाह है। श्री कृष्ण जी बोले कि मीरा! आप उस संत की शरण ग्रहण करो, अपना कल्याण कराओ। मुझे जितना ज्ञान था, वह बता दिया।
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Mirabai Story in Hindi: मीरा अगले दिन मंदिर नहीं गई। सीधी संत जी के पास अपनी नौकरानियों के साथ गई तथा दीक्षा लेने की इच्छा व्यक्त की तथा श्री कृष्ण जी से हुई वार्ता भी कबीर परमात्मा जी से साझा की। उस समय छूआछात चरम पर थी।
Mirabai Story in Hindi: ठाकुर लोग अपने को सर्वोत्तम मानते थे। परमात्मा मान-बड़ाई वाले प्राणी को कभी नहीं मिलता। मीराबाई की परीक्षा के लिए कबीर परमात्मा जी ने संत रविदास जी से कहा कि आप मीरा को प्रथम मंत्र दे दो। यह मेरा आपको आदेश है। संत रविदास जी ने आज्ञा का पालन किया। संत कबीर परमात्मा जी ने मीरा से कहा कि बहन जी! वो बैठे संत जी, उनके पास जाकर दीक्षा ले लें।
Mirabai Story in Hindi: बहन मीरा जी तुरंत रविदास जी के पास गई और बोली, संत जी! दीक्षा देकर कल्याण करो। संत रविदास जी ने बताया कि बहन जी! मैं चमार जाति से हूँ। आप ठाकुरों की बेटी हो। आपके समाज के लोग आपको बुरा-भला कहेंगे। जाति से बाहर कर देंगे। आप विचार कर लें। मीराबाई अधिकारी आत्मा थी। परमात्मा के लिए मर-मिटने के लिए सदा तत्पर रहती थी।
बोली, संत जी! आप मेरे पिता, मैं आपकी बेटी। मुझे दीक्षा दो। भाड़ में पड़ो समाज। सत्संग में बड़े गुरू जी (कबीर जी) ने बताया है कि भक्ति बिना वह कल को कुतिया बनेगी, तब यह ठाकुर समाज मेरा क्या बचाव करेगा?
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Mirabai Story in Hindi: मीराबाई उपदेश लेने के बाद भक्ति में और अधिक लीन हो गई। कबीर साहेब जी रात में सत्संग किया करते थे, तो मीरा रात में सत्संग सुनने जाती। इससे मीराबाई के देवर और अधिक परेशान हो रहे थे और मीराबाई को मारने के कई प्रयास किए लेकिन असफल रहे।
Mirabai Story in Hindi: इन सब से परेशान होकर मीराबाई वहां से वृंदावन चली गई। वहां अनेक संतों से मिलती और सत्संग सुनती और भक्ति करती। मीराबाई को वहां फिर से कबीर साहेब मिले। उसी रूप में जिस रूप में पहले मिले थे। मीराबाई को फिर ज्ञान उपदेश दिया और बताया कि जो अभी आपको मंत्र मिला है वह तो प्रथम सीढ़ी है अभी सतनाम और सारनाम बाकी है वह मंत्र भी मीराबाई को दिए और भक्ति करवाकर कल्याण किया।
मीराबाई अंत समय में वृंदावन में ही थे. वही भक्ति करते करते उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया. मीराबाई अंत समय कृष्ण जी की मूर्ति में समा गए थे.
वर्तमान में वह पूर्ण मोक्ष (सत मंत्र) उपलब्ध है जो मीरा बाई को कबीर परमेश्वर ने दिए थे।
आज संत रामपाल जी महाराज जी वही मोक्ष मंत्र मानव समाज को प्रदान कर रहे हैं, जिस से मीरा बहन का कल्याण हुआ और जिस मीरा की गाथा पूरी दुनिया गाती है। हमारा सभी से अनुरोध है कि संत रामपाल जी महाराज से दीक्षा लेकर अपना मनुष्य जन्म सफल बनाएं। जिस तरह से मीरा बाई ने अपना कल्याण कराया था।
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