National Girl Child Day: राष्ट्रीय कार्य दिवस के रुप में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस बालिका शिशु के लिये मनाया जाता है। देश में लड़कियों के लिये ज्यादा समर्थन और नये मौके देने के लिये इस उत्सव की शुरुआत की गयी। समाज में बालिका शिशु के द्वारा सभी असमानताओं का सामना करने के बारे में लोगों के बीच जागरुकता को बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है।
बालिका शिशु के साथ भेद-भाव एक बड़ी समस्या है जो कई क्षेत्रों में फैला है जैसे शिक्षा में असमानता, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सीय देख-रेख, सुरक्षा, सम्मान, बाल विवाह आदि।
यह दूसरे सामुदायिक सदस्यों और माता-पिता के प्रभावकारी समर्थन के द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में लड़कियों के सार्थक योगदान को बढ़ाता है।
राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस कब?
National Girl Child Day: राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस 24 जनवरी 2021, रविवार को मनाया गया। राष्ट्रीय बालिका विकास मिशन के रुप में राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाने की शुरुआत हुई। लड़कियों की उन्नति के महत्व के बारे में पूरे देश के लोगों के बीच ये मिशन जागरुकता को बढ़ाता है।
राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस क्यों मनाया जाता है?
National Girl Child Day: सामाजिक लोगों के बीच उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिये और समाज में लड़कियों की स्थिति को सुधारने के लिये इसे मनाया जाता है। ये बहुत जरुरी है कि विभिन्न प्रकार के सामाजिक भेदभाव और शोषण को समाज से पूरी तरह से हटाया जाये, जिसका हर रोज लड़कियाँ अपने जीवन में सामना करती हैं। समाज में लड़कियों के अधिकारों की जरुरत के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये एक समान शिक्षा और मौलिक आजादी के बारे में विभिन्न राजनीतिक और सामुदायिक नेता जनता में भाषण देते हैं। लड़कियों के लिये ये बहुत जरुरी है कि वो सशक्त, सुरक्षित और बेहतर माहौल प्राप्त करें।
उन्हें जीवन की हर सच्चाई और कानूनी अधिकारों से अवगत होना चाहिये। उन्हें इसकी जानकारी होनी चाहिये कि उनके पास अच्छी शिक्षा, पोषण, और स्वास्थ्य देख-भाल का अधिकार है।
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National Girl Child Day: जीवन में अपने उचित अधिकार और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिये उन्हें बहुत अच्छे से कानून सहित घरेलु हिंसा की धारा 2009, बाल-विवाह रोकथाम एक्ट 2009,
दहेज रेकथाम एक्ट 2006 आदि से अवगत होना चाहिये।
National Girl Child Day: हमारे देश में, महिला साक्षरता दर अभी भी 54.87% है और युवा लड़कियों का एक-तिहाई कुपोषित हैं। स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुँच और समाज में लैंगिक असमानता के कारण विभिन्न दूसरी बीमारियों और रक्त की कमी से प्रजननीय उम्र समूह की महिलाएँ पीड़ित हैं। विभिन्न प्रकार की योजनाओं के द्वारा बालिका शिशु की स्थिति को सुधारने के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बहुत सारे कदम उठाये गये हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने “धनलक्ष्मी” नाम से एक योजना की शुरुआत की है जिसके तहत बालिका शिशु के परिवार को नकद हस्तांतरण के द्वारा मूलभूत जरुरतों जैसे असंक्रमीकरण, जन्म पंजीकरण, स्कूल में नामांकन और कक्षा 8 तक के रखरखाव को पूरा किया जाता है। शिक्षा का अधिकार कानून में बालिका शिशु के लिये मुफ्त और जरुरी शिक्षा उपलब्ध कराया गया है
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राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाने का उद्देश्य
- समाज में बालिका शिशु के लिये नये मौके देता है और लोगों की चेतना को बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय कार्य के रुप में इसे मनाया जाता है।
- भारतीय समाज के बालिका शिशुओं के द्वारा सामना किये जा रहे है असमानता को हटाना।
- ये सुनिश्चित किया जाये कि भारतीय समाज में हर बालिका शिशु को उचित सम्मान और महत्व दिया जा रहा है।
- ये सुनिश्चित किया जाये कि देश में हर बालिका शिशु को उसके सभी मानव अधिकार मिलेंगे।
- भारत में बाल लिंगानुपात के खिलाफ कार्य करना तथा बालिका शिशु के बारे में लोगों का दिमाग बदलना है।
- बालिका शिशु के महत्व और भूमिका के बारे में जागरुकता बढ़ाने के द्वारा बालिका शिशु की ओर दंपत्ति को शुरुआत करनी चाहिये।
- उनके स्वास्थ्य, सम्मान, शिक्षा, पोषण आदि से जुड़े मुद्दों के बारे में चर्चा करना।
- भारत में लोगों के बीच लिंग समानता को प्रचारित करना।
- लड़कियों के अधिकारों के प्रति जागरुकता बढ़ाना।
- विभिन्न अत्याचारों और असमानताओं के बारे में बात करना, जो लड़कियों को अपने दैनिक जीवन में सामना करना पड़ता है।
- लड़कियों के शिक्षा और स्वास्थ्य का महत्व समझाने तथा इसे बढ़ावा देने हेतु।