Kabir Prakat Diwas: “कबीर” जिनका नाम सुनकर आत्मा गदगद हो जाए जिनके नाम को जुबान पर लाने से अनेकों पुण्य मिलते हैं ऐसी महान शख्सियत का प्रकट दिवस कब है? हम आपको बताते हैं कबीर साहेब प्रकट दिवस 2022 में 14 जून को है।
कबीर साहेब प्रकट दिवस 2022 को इस बार बहुत कुछ अनोखा होने वाला है। बहुत सारे लोग गूगल पर सर्च कर रहे हैं कबीर साहेब प्रकट दिवस कब है तो उनको हम अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताना चाहते हैं कि कबीर साहेब प्रकट दिवस 14 जून को है।
Kabir Prakat Diwas: दोस्तों 14 जून 2022 को इस बार कबीर साहेब प्रकट दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा और इसकी गवाही कर रहे हैं संत रामपाल जी महाराज उनके सानिध्य में विश्व भर में कबीर साहिब जी का प्रकट दिवस बड़े ही धूमधाम जोरों शोरों से मनाया जाएगा।
हर साल की भांति इस वर्ष भी कबीर साहिब जी का प्रकट दिवस संत रामपाल जी महाराज के सभी आश्रमों में मनाया जा रहा है इस अवसर पर परम आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज की अमर वाणी का अखंड पाठ 3 दिन तक यानी कि 12-13 और 14 जून को होगा।
कबीर साहिब जी का कलयुग में प्रकट दिवस।
Kabir Prakat Diwas: भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में जेष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत 1455 (1396) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कलयुग में कबीर साहिब जी कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे।
Kabir Prakat Diwas: अखंड पाठ क्या होता है?
Kabir Prakat Diwas: परम आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज जी को कबीर परमेश्वर स्वयं जिंदा महात्मा के रूप में मिले थे उनको अपने सचखंड के दर्शन करवाए थे और अपना सर्वज्ञान गरीब दास जी महाराज को देखकर सतलोक लेकर गए थे।
गरीबदास जी महाराज जी ने अपने ज्ञान के संग्रह को गोपाल दास जी महाराज को एक ग्रंथ के रूप में लिखवा कर गए थे जिसको सत्य ग्रंथ साहिब कहते हैं।
इसी सत्य ग्रंथ साहिब अमर ग्रंथ साहिब का पाठ तीन दिवस तक जब होता है उसको अखंड पाठ कहते हैं।
Kabir Prakat Diwas: कबीर साहिब जी कैसे प्रकट हुए
Kabir Prakat Diwas: नीरू नीमा को मिले तभी परमात्मा प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे उनकी कोई संतान नहीं थी 1 दिन या स्नान करने जा रहे थे। नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी की है भगवान एक बच्चा हमें भी दे देते जीवन हंसते हुए निकल जाता हमारा भी जीवन सफल हो जाता दुनिया के व्यंग्य सुन सुनकर आत्मा बहुत दुखी होती है मुझे पापी ने ऐसा कौन सा बात किया है कि मुझे बच्चे का मुंह देखने के लिए इतना तरसना पड़ रहा है हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु हमें भी एक बालक दे दो।
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Kabir Prakat Diwas: यह कहकर नीमा फूट-फूट कर रोने लगी तब नींद नीरू ने देश दिखाते हुए कहा कि नीमा हमारे भाग्य में संतान नहीं है तो आप रो रो कर अपना बुरा हाल मत कीजिए हमारी संभाल कौन करेगा इसी तरह प्रभु की चर्चा वह वाले प्राप्ति की याचना करते हुए लहरतारा तालाब पर पहुंच गए प्रथम नीमा ने स्नान किया उसके पश्चात नीरू ने स्नान के लिए प्रवेश किया सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है जिस समय नीमा ने स्नान किया था। उस समय तक तो अंधेरा था।
कमल के फूल पर बालक रूप में कबीर जी
Kabir Prakat Diwas: जब नीमा कपड़े बदल कर पुनः तालाब में कपड़े के धोने के लिए जा रही थी जिसे पहले स्नान किया था इसे पहन कर डांस किया था उन कपड़ों को धोने जा रही थी तो उसने देखा कि नेहरू जहां नहा रहा है।
वहां कमल के फूल पर कुछ वस्तु हिल रही है तो नीमा ने देखा कि यह कोई सर तो नहीं है जो मेरे पति को 10 ना ले इसलिए नहीं माने ध्यानपूर्वक देखा तो पाया कि वह सिर्फ नहीं बालक है जो अपना एक पैर हिला रहा है और एक हाथ मुंह में लिया हुआ है नीमा ने अपने पति से ऊंची आवाज में कहा देखो जी एक छोटा सा बालक कमल के फूल पर लेटा हुआ है जन्म डूब जाएगा स्नान करते करते उसकी बातें सुन रहा था फिर जब नीरू नीमा और भी जोर से आतुर होकर बोलती है तो नीरू देखता है कि हां सच में बच्चा है और उसे उठाकर नीमा को दे देता है।
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Kabir Prakat Diwas: नीमा की आवाज में बदलाव और अधिक कसक जानकर नीरू ने देखा। कमल के फूल पर एक नवजात शिशु को देखकर नीरू ने झपट कर कमल के फूल सहित बच्चा उठाकर अपनी पत्नी की गोद में दे दिया। नीमा ने बालक को सीने से लगाया, मुख चूमा, खुश हुई, पुत्रवत प्यार किया। जिस परमेश्वर की खोज में ऋषि-मुनियों ने जीवन भर शास्त्र विरूद्ध साधना की, उन्हें वह नहीं मिला। वहीं परमेश्वर नीमा की गोद में खेल रहा था। उस समय जो शीतलता व आनन्द का अनुभव नीमा को हो रहा होगा। उसकी कल्पना नहीं की जा सकती हैं।
Kabir Prakat Diwas: शिशु रूप में कबीर जी को देखने आए लोग
Kabir Prakat Diwas: तब बालक को लेकर नीरू तथा नीमा अपने घर जुलाहा मोहल्ला में आए। जिस भी नर व नारी ने नवजात शिशु रूप में परमेश्वर कबीर जी को देखा वह देखता ही रह गया। परमेश्वर का शरीर अति सुन्दर था। आंखें जैसे कमल का फूल हो, घुंघराले बाल, लम्बे हाथ, लम्बी-लम्बी उंगलियां, शरीर से मानों नूर झलक रहा हो।
Kabir Prakat Diwas: पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्भुत बालक नहीं था। जो भी देखता वहीं अन्य को बताता कि नूर अली को एक बालक तालाब पर मिला है आज ही उत्पन्न हुआ शिशु है। डर के मारे लोक लाज के कारण किसी विधवा ने डाला होगा। बालक को देखने के पश्चात उसके चेहरे से दृष्टि हटाने को दिल नहीं करता, आत्मा अपने आप खींची जाती है। पता नहीं बालक के मुख पर कैसा जादू है?
Kabir Prakat Diwas: पूरी काशी परमेश्वर के बालक रूप को देखने को उमड़ पड़ी। स्त्री-पुरुष झुण्ड के झुण्ड बना कर मंगल गान गाते हुए, नीरू के घर बच्चे को देखने को आए। बच्चे (कबीर परमेश्वर) को देखकर कोई कह रहा था, यह बालक तो कोई देवता का अवतार है।
ऊपर अपने-अपने लोकों से श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, तथा श्री शिवजी झांक कर देखने लगे। बोले कि यह बालक तो किसी अन्य लोक से आया है। इस के मूल स्थान से हम भी अपरिचित हैं परन्तु बहुत शक्ति युक्त कोई सिद्ध पुरुष हैं।
Kabir Prakat Diwas: कबीर परमेश्वर जी का नामकरण
Kabir Prakat Diwas: कबीर साहेब के पिता नीरू (नूर अली) तथा माता नीमा पहले हिन्दू ब्राह्मण ब्राह्मणी थे इस कारण लालच वश ब्राह्मण लड़के का नाम रखने आए। उसी समय काजी मुसलमान अपनी पुस्तक कुरान शरीफ को लेकर लड़के का नाम रखने के लिए आ गए।
Kabir Prakat Diwas: काजियों ने कहा बच्चे का नामकरण हम मुसलमान विधि से करेंगे। अब ये मुसलमान हो चुके हैं। यह कहकर आए हुए काजियों में से मुख्य काजी ने क़ुरान शरीफ़ पुस्तक को कही से खोला। उस पृष्ठ पर प्रथम पंक्ति में प्रथम नाम “कबीरन्” लिखा था।
काजियों ने सोचा “कबीर” नाम का अर्थ बड़ा होता है। इस छोटे जाति (जुलाहे अर्थात धाणक) के बालक का नाम कबीर रखना शोभा नहीं देगा। यह तो उच्च घरानों के बच्चों के रखने योग्य है। शिशु रूपधारी परमेश्वर, काजियों के मन के दोष को जानते थे।