अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की मौत 1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष से वापस लौटते वक्त हुई थी। अक्सर कल्पना कहा करती थीं मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनीं हूं, हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया और इसी के लिए मरूंगी. यह बात उनके लिए सच भी साबित हुई. उन्होंने 41 साल की उम्र में अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा की, जिससे लौटते समय वह एक हादसे का शिकार हो गईं. आइए जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़ी ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं…
अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107 धरती से करीब 2 लाख फीट की ऊंचाई पर था। उसे धरती पर पहुंचने में महज 16 मिनट का समय लगने वाला था. लेकिन अचानक अंतरक्षि यान से नासा का संपर्क टूट गया और अगले कुछ मिनटों में इसका मलबा अमेरिका के टैक्सस राज्य के डैलस इलाके में फैल गया.
उस वक्त कल्पना चावला की वो बात लोगों के दिलों में घर कर गई, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘मैं अंतरिक्ष के लिए बनी हूं और इसी के लिए मरूंगी.’ कल्पना चावला 41 साल की उम्र में अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा की, जिससे लौटते समय वो एक हादसे का शिकार हो गईं.
Kalpana Chawla Death Hindi: कल्पना हरियाणा के करनाल में बनारसी लाल चावला के घर 17 मार्च 1962 को जन्मी थीं। अपने चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं. प्यार से घर में उन्हें मोंटू पुकारते थे। कल्पना में 8वीं क्लास के दौरान ही अपने पिता से इंजीनियर बनने की इच्छा जाहिर कर दी थी, लेकिन उनके पिता की इच्छा थी कि वह डॉक्टर या टीचर बनें. उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई. स्कूली पढ़ाई के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज 1982 में ग्रेजुएशन पूरा किया.
Kalpana Chawla Death Hindi: इसके बाद वह अमेरिका चली गईं और 1984 टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की. 1995 में कल्पना नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुईं और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया. कल्पना के बारे में कहा जाता है कि वह असफलता से घबराने वाली नहीं थीं।
आज भी युवाओं के अंदर जोश भर देते हैं और उन्हें कुछ अलग करने की प्रेरणा देते हैं. कल्पना चावला ने कहा था कि ‘सपनों से सफलता तक का रास्ता तो तय होता है मगर क्या आपमें इसे ढूंढने की इच्छा है? उसे पाने के लिए उस मार्ग पर चलने का साहस है? क्या आप अपने सपनों को हासिल करने के लिए पूर्ण रूप से दृढ़ हैं?’
कल्पना ने कहा था, ‘कुछ ऐसा करो जिसे आप सच में करना पसंद करते हो. अगर आप बस इसे अपना लक्ष्य समझकर कर रहे हो और उसे करने की प्रक्रिया का आनंद नहीं ले रहे हो तब आप खुद के साथ विश्वासघात कर रहे हो’।
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कल्पना चावला हमेशा युवाओं से सपने को साकार करने की बात पर जोर देती रहीं, उन्होंने कहा, ‘अगर आपके पास कोई सपना है तो उसको साकार करने का प्रयास करो. इस बात से जरा सा भी फर्क नहीं पड़ता कि आप एक औरत हैं. भारत से हैं या फिर कहीं और से. आप जब तारों और आकाशगंगाओं को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आपका अस्तित्व किसी विशेष भूमि के कारण नहीं बल्की सौर मंडल के कारण है’.
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था. कल्पना अपने माता पिता की लाडली थी। कल्पना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई टैगोर बाल निकेतन से की. इसके बाद चंडीगढ़ से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की. कल्पना के कदम यहीं नहीं थमे. कल्पना आगे की पढ़ाई करने अमेरिका चली गईं और 1984 में टेक्सस यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की.
कल्पना को मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर टीम में शामिल किया गया और उन्हें 1997 में अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया.
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वैसे तो उनका जन्म 17 मार्च, 1962 को हुआ था लेकिन ऑफिशल जन्म तिथि 1 जुलाई, 1961 दर्ज करवाई गई थी ताकि उनके दाखिले में आसानी हो। उनका जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ। पिता बनारसी लाल चावला और मां संजयोती के घर 17 मार्च 1962 को जन्मीं कल्पना अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। घर में सब उन्हें प्यार से मोंटू बुलाते थे।
उनकी शुरू की पढ़ाई तो करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई। जब वह आठवीं क्लास में पहुंचीं तो उन्होंने अपने पिता से इंजिनियर बनने की इच्छा जाहिर की। पिता चाहते थे कि वो डॉक्टर या टीचर बने।
पढ़ाई के साथ-साथ उनकी रूचि खेलों में भी थी। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में कराटे भी सीखा था। उन्हें बैडमिंटन खेलना और दौड़ों में भाग लेना भी काफी पसंद था।
कहते हैं ना कि सपनों की उड़ान को कोई नहीं रोक सकता। वो अपने इन्हीं सपनों की उड़ान भरने के लिए 1982 में अमेरिका गईं और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस से एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में मास्टर्स डिग्री ली।
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उनका विवाह जीन पीएर हैरिसन से 1983 में हुआ। वह उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक थे। उनको कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं, जिनमें कॉन्ग्रेशनल अंतरिक्ष पदक सम्मान, नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक शामिल हैं।
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जब उनका विमान कामयाबी के आगाज के साथ धरती पर लौट रहा था. तभी अचानक सफलता का यह जश्न पलभर में ही मातम में बदल गया और हर मुस्कुराते चेहरे पर उदासी छा गई. सभी बेसब्री से कल्पना चावला के लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन खबर कुछ और ही आई. वैज्ञानिकों के मुताबिक- जैसे ही कोलंबिया ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, वैसे ही उसकी उष्मारोधी परतें फट गईं और यान का तापमान बढ़ने से यह हादसा हुआ।
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