World Breastfeeding Week 2021: एक समय ऐसा था जब महिलाएं बच्चों के साथ साथ जानवर (एक हिरण की फोटो जो बहुत फेमस है) को भी दूध पिलाते थी। शायद इसको कलयुग कह सकते हैं कि बच्चों को उनका अधिकार नहीं मिल रहा, क्या आपने कभी सोचा है कि हमें भी हमारी माता ने अगर दूध नहीं पिलाया होता तो क्या हम एक स्वस्थ व्यक्ति बन पाते। नहीं!
World Breastfeeding Week: (विश्व स्तनपान सप्ताह) महिलाएं अपनी खूबसूरती को बचाने के लिए और हमेशा जवान दिखने के लिए अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करवाती लेकिन शायद वह यह बात भूल जाते हैं की जिनसे हम उनका अधिकार छीन रहे हैं वह भी हमारा एक हिस्सा है हमारे ही बच्चे हैं जो आगे चलकर किसी न किसी कुपोषण का शिकार हो जाएंगे।
यहां तक कि मेडिकल साइंस तो यह कहती है कि बच्चे को 6 महीने तक मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए आज से 10-15 साल पहले तो बच्चे 2 साल तक मां का दूध पीते थे।
आज के समय में कुछ महिलाएं बेबी फूड के जाल में उलझी जा रही है। अपने बच्चों को अपना दूध पिलाना पसंद नहीं करती। यह एक मासूम के अधिकारों को वंचित रखने का षड्यंत्र है।
इससे मासूम बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है वैसे भी हमारे देश में कुपोषण से मासूमों की मौत हो रही होती रहती है। विश्व में कुपोषण में कितनी मौतें होती है। उसका 40% हिस्सा सिर्फ और सिर्फ भारत के हिस्से में आता है।
World Breastfeeding Week: अमेरिका की महिलाएं कर रही है कई बार आंदोलन किया जाता है सर्विस करने वाली महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें एक स्थान मिले जिसमें वह इत्मीनान से अपने बच्चे को दूध पिला सके।
ना जाने क्यों कुछ महिलाएं ऐसा सोचती है कि दूध पिलाने (विश्व स्तनपान सप्ताह) से उनका शरीर बेडौल हो जाएगा और वह अपनी सुंदरता खराब नहीं करना चाहती इसीलिए वह अपने बच्चों को दूध पिलाना पसंद नहीं करती है।
लेकिन यह कितनी शर्म की बात है कि वह अपने ही बच्चों को दूध नहीं पिला कर उन्हें कुपोषित कर देती है आजकल की माताएं इतनी अधिक स्वार्थी हो गई है उन्हें अपनी सुंदरता के आगे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है बहुत ही शर्मनाक बात है।
World Breastfeeding Week: अमेरिका की महिलाएं कर रही है कई बार आंदोलन किया जाता है सर्विस करने वाली महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें एक स्थान मिले जिसमें वह इत्मीनान से अपने बच्चे को दूध पिला (विश्व स्तनपान सप्ताह) सके। कई महिलाए कामकाजी होती हैं। इनके लिए अपने बच्चे को ( World Breastfeeding Week )दूध पिलाना सच में एक गंभीर समस्या है।
अभी इसे भारतीय परिवेश में नहीं देखा गया है। किंतु अमेरिका में अब उनकी आफिस में यह व्यवस्था की जाने लगी है, जहां वे आराम से अपने बच्चे को दूध पिला सकती हैं।
अमेरिकी महिलाएं इसके लिए कोर्ट जा रही हैं और आंदोलन कर रही हैं। अभी कुछ महीने पूर्व अमेरिका में एक तस्वीर वायरल हुई थी
जिसमें कई महिलाएं एक डिपार्टमेंटल स्टोर की सीढ़ियों पर अपने बच्चों को दूध पिला रही हैं। यह उस आंदोलन का एक छोटा सा हिस्सा था, जिसमें माताएं अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए स्थान की मांग कर रही हैं।
World Breastfeeding Week: कुछ भारतीय माताएं ऐसा क्यों सोचती हैं कि वे यदि अपने बच्चे को दूध पिलाएंगी तो उसका शरीर बेडौल हो जाएगा। क्या शरीर का आकर्षक होना बच्चे के भविष्य में अधिक आवश्यक है? इस दृष्टि से देखा जाए तो भारत के गरीब बच्चे अधिक खुशकिस्मत हैं। उन्हें मां के दूध ( World Breastfeeding Week ) के सिवाय और कुछ नहीं मिलता। इसलिए बच्चा कम से कम एक साल तक तो मां के दूध से वंचित नहीं रहता।
बच्चे को दूध न पिलाने की प्रवृत्ति कुछ शिक्षित महिलाओं में ही अधिक देखी जाती है। यह भी एक शिक्षा का दुष्प्रभाव है। आजकल की कुछ माताओं में ममता के नाम पर कुछ नहीं होता है। अपने शरीर का आकर्षक होना अपने बिजनेस अपनी जिंदगी यह सब ज्यादा जरूरी होने लग गई है। समाज गलत दिशा में आगे बढ़ता जा रहा है इसे सही दिशा दिखाने की जरूरत है।
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World Breastfeeding Week: अभी भारत में ऐसी व्यवस्था बहुत ही कम है कि माताएं अपने दूध को फ्रीज करती है माताएं दूध को मिल्क बैंक मैं भी बहुत ही कम देती है।
सरकारी अस्पताल में मिल्क बैंक में माताओं का दूध World Breastfeeding Week फ्रिज किया जाता है। हां दूसरों के बालक को अपना दूध पिलाने की परंपरा भारत में जरूर है यह भी काफी कम हद तक रह गई है। जो गरीब महिलाएं हैं वह गरीबी से त्रस्त होकर अपना दूध मिल्क बैंक में धन उपार्जन के लिए बेच देते हैं।
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महिलाए यह न भूलें कि वे अपनी संतान को एक वर्ष तक अपना दूध पिलाकर उसका भविष्य संवार रही हैं, उसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को विकसित कर रही हैं और उसे सबल बना रही हैं, भविष्य में विषमताओं से जूझने के लिए। अंत में उन माताओं को प्रणाम, जो आज भी अपने दूध पर संतान का अधिकार समझती हैं, उसे दूध पिलाती हैं।
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